जल्द बढ़ सकती कोयले की कीमतें, कोल इंडिया के चेयरमैन ने किया इशारा
राज एक्सप्रेस। भारत में कोयले को काला हीरा कहा जाता है। यह बहुत ही जरूरी पदार्थ है जिसका इस्तेमाल लगभग सभी बड़ी फैक्ट्रियों में होता है। वहीं, अब इसकी कीमत में बढ़त दर्ज होने के असार नज़र आरहे हैं। कोयले की कीमत में बढ़त दर्ज होने का सिहरा 'कोल इंडिया' (Coal India) के चेयरमैन 'प्रमोद अग्रवाल' (Pramod Agarwal) ने सोमवार को किया। उन्होंने कोयले की कीमत को लेकर एक बयान दिया है। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि, कोयले की कीमत में जल्द बढ़त दर्ज होगी।
कोयले की कीमत में जल्द दर्ज होगी बढ़त :
देश में महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में जहां हर चीज की कीमतें बढ़ रही रही है, वहीं जल्द ही कोयले की कीमत में भी बढ़त दर्ज होने लगी है। इस मामले में 'कोल इंडिया' (Coal India) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने सोमवार कहा कि,
'कोयले की कीमतें बढ़ाने के लिए फिलहाल 'मजबूत आधार' मौजूद हैं और यह वृद्धि 'बहुत जल्द' की जा सकती है। हितधारकों के साथ इसकी चर्चा चल रही है। हमें विश्वास है कि खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी 2025-26 तक एक अरब टन के अपने उत्पादन लक्ष्य को हासिल कर लेगी। कोयले की कीमतें बढ़ाने का मजबूत आधार है, क्योंकि पिछले पांच साल में ऐसा नहीं हुआ है। इस साल वेतन पर बातचीत भी हुई है, जिसका असर सीआईएल की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा, खासकर कुछ सहायक कंपनियों पर इसका असर पड़ेगा जहां श्रमशक्ति लागत (Manpower Cost) बहुत अधिक है। अगर कीमतें नहीं बढ़ाई गईं तो कई समस्याएं होंगी। इस पर हितधारकों के साथ चर्चा चल रही है।' अग्रवाल ने कोलकाता में एमजंक्शन की ओर से आयोजित भारतीय कोयला बाजार सम्मेलन के दौरान कहा, 'यह बहुत जल्दी होगा। कंपनी का लक्ष्य 2030 तक भूमिगत कोयला उत्पादन को मौजूदा 25-30 करोड़ टन उत्पादन को बढ़ाकर 100 करोड़ टन करना है।'
प्रमोद अग्रवाल, कोल इंडिया के चेयरमैन
उत्पादन लक्ष्य के बारे में दी जानकारी :
एक अरब टन उत्पादन लक्ष्य के बारे में विस्तार से जुड़ी जानकारी देते हुए कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि, "हालांकि कोल इंडिया 2025-26 तक इसे हासिल करने की राह पर है, लेकिन यह देश की जरूरत और निजी क्षेत्र की वृद्धि जैसे कारकों पर निर्भर करेगा। जो महत्वपूर्ण है वह है उत्पादन करने की तत्परता है। कोल इंडिया के चेयरमैन ने कहा कि कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक कि उसके ऊर्जा संसाधन सुरक्षित नहीं हो जाते। उन्होंने कहा, इसलिए हमें उत्पादन करने के लिए तैयार रहना चाहिए यदि इसकी आवश्यकता है। उत्पादन को उसी अनुसार समायोजित किया जा सकता है।"
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