नियोक्ता वेतन को रिस्ट्रक्चर कर काफी हद तक कम कर सकते हैं कर
आइए विशेषज्ञों से समझते हैं किस तरह कम किया जा सकता है कर
एऑन इंडिया के सर्वे के अनुसार इस साल 9.5% औसत वेतन वृद्धि होगी
राज एक्सप्रेस । ग्लोबल एचआर फर्म एऑन इंडिया द्वारा 40 सेक्टर्स में काम करने वाली 1,414 कंपनियों के एक अध्ययन में सामने आया है कि इस साल 9.5% औसत वेतन वृद्धि होगी। हालांकि, औसत वेतन वृद्धि वास्तविकताओं को पूरी तरह से चित्रित नहीं करती है। वेतन निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है। इन कारकों में शामिल हैं व्यक्तिगत प्रदर्शन, कौशल की प्रासंगिकता, कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन और जिस सेक्टर में वह कंपनी काम कर रही है उसकी संभावनाएं।
यदि वेतन वृद्धि कम है, तो प्रबंधन का आमतौर पर यही तर्क होता है कि कंपनी को लागत में कटौती करने की आवश्यकता है. ये विडंबना ही है कि जहां एक ओर कंपनियां लगातार लागत कम करने के प्रयास में रहती हैं, वहीं दूसरी ओर वेतन व्यय बढ़ाए बिना कर्मचारियों की आय में सुधार लाने वाले उपायों को अपनाने से कतराती हैं। कंपनियां अपने मुआवजा पैकेजों का पुनर्गठन करके कर्मचारियों के कर दायित्व को कम कर सकती हैं। यह पुनर्गठन कर योग्य आय को कर-मुक्त लाभों से बदलने के द्वारा किया जा सकता है।
वेतन संरचना किसी व्यक्ति के कर दायित्व को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक है। जैगल प्रीपेड ओशन सर्विसेज के प्रबंध निदेशक और सीईओ अविनाश गोखले का कहना है नई कर व्यवस्था में भले ही कई कर कटौती और छूट उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी कुछ कर-मुक्त भत्तों का लाभ उठाया जा सकता है। ऐसे कई कर-मुक्त भत्ते उपलब्ध हैं, जिनमें भोजन कूपन और ईंधन और यात्रा, समाचार पत्र और पत्रिकाओं, फोन और इंटरनेट पर खर्च की प्रतिपूर्ति शामिल है। वेतन के कर योग्य भागों, जैसे विशेष भत्ता, को कम करके कर-मुक्त भत्तों के लिए जगह बनाई जा सकती है।
कम किराया देने वाले करदाता हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) को भी कम करने पर विचार कर सकते हैं। एचआरए छूट मूल वेतन से जुड़ी होती है और यह निम्नलिखित 3 विकल्पों में से न्यूनतम होती है: प्राप्त वास्तविक एचआरए, मूल वेतन का 50% (गैर-महानगरों में 40%), और मूल वेतन का 10% घटाकर भुगतान किया गया किराया। यदि आप ज्यादा किराया देते हैं तो छूट का दावा कर सकते हैं। लेकिन, यदि किराया कम है, तो इसे किसी अन्य भत्ते से बदल दीजिए। अपने घर में रहने वाले और किराया नहीं देने वाले करदाता भी अपना एचआरए कम कर सकते हैं।
कुछ कर-मुक्त भत्तों के लिए राशियां निर्धारित होती हैं, जबकि अन्य को उचित सीमा के भीतर रहना होता है। उदाहरण के लिए, पूरे दिन में बहुत अधिक यात्रा करने वाले कर्मचारियों के लिए यात्रा और ईंधन की प्रतिपूर्ति राशि बहुत अधिक हो सकती है। किसी मार्केटिंग कार्यकारी को प्रति माह 25,000-30,000 की यात्रा प्रतिपूर्ति प्राप्त करना असामान्य नहीं है, लेकिन जिन कर्मचारियों को यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है, वे इतनी अधिक राशि की उम्मीद नहीं कर सकते। कई कंपनियों ने अपने मुआवजा ढांचे में पहले ही फ्लेक्सी लाभों को शामिल कर लिया है।
कर्मचारियों को वेतन पैकेज को कर-कुशल बनाने में लचीलेपन का विकल्प दिया जाता है। उन्हें लाभों के समूह से उपयुक्त भत्तों का चयन करने की स्वतंत्रता होती है। कुछ लाभों पर कर संरचना भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, कोई कर्मचारी कंपनी के नाम पर चल संपत्ति (कंप्यूटर, लैपटॉप, उपकरण आदि) खरीद सकता है और राशि की प्रतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है। धारा 17(2) के तहत, संपत्ति के मूल्य के केवल 10% पर ही कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने 80,000 रुपए का लैपटॉप खरीदा है, तो आप पर केवल 8,000 रुपए का ही कर लगेगा। लगभग पांच सालों में, वस्तु का बहीखाता मूल्य लगभग शून्य हो जाता है और कंपनी इसे कर्मचारी को मामूली राशि (आमतौर पर 1) में बेच सकती है।
आईटी कंपनियां वर्षों से अपने कर्मचारियों को यह लाभ दे रही हैं। पोर्टल क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है अब अन्य कंपनियां भी इस ओर रुख कर रही हैं। कंपनियां कर-कुशल विकल्पों को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें कर नियमों के उल्लंघन की आशंका होती है, इस लिए वे उसी परंपरागत वेतन संरचना का पालन करना पसंद करती हैं। नतीजतन, इन कंपनियों के कर्मचारियों को पुराने ढांचे के कारण अधिक कर का भुगतान करना पड़ता है। पोर्टल टैक्सप्लैनर के सीईओ सुधीर कौशिक ने कहा कि कर-कुशल विकल्पों के माध्यम से कंपनियां अपने कर्मचारियों को लगभग 1 लाख रुपए का कर बचाने में मदद कर सकती हैं, वह भी बिना किसी अतिरिक्त लागत या प्रशासनिक बोझ के।
उन्होंनेा कहा यह कर्मचारी के वेतन में वृद्धि करने के समान है, वेतन बिल में एक रुपया जोड़े बिना। यदि कंपनियों को यह चिंता है कि इन लाभों को लागू करने की वजह से उनकी अतिरिक्त कागजी कार्रवाई बढ़ जाएगी, तो यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। वेतन में फ्लेक्सी लाभों को अब डिजिटल रूप से प्रबंधित किया जा सकता है, जो वास्तव में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए अनुपालन प्रक्रिया को आसान बनाता है। जैगल कार्ड के उपयोग से किसी नियोक्ता के लिए प्रतिपूर्ति के दावे के लिए कागज आधारित वाउचर ले जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। वेतन पैकेज में सेवानिवृत्ति बचत एनपीएस भी एक अन्य महत्वपूर्ण कर-बचत विकल्प हो सकता है।
यदि 30% टैक्स स्लैब में आने वाले करदाता को इनमें से 7-8 लाभ भी मिल जाएं, तो उसका वार्षिक कर व्यय एक लाख से अधिक कम हो सकता है। कुछ लाभों की सीमा निर्धारित है, लेकिन अन्य के लिए राशि उचित होनी चाहिए। गौरतलब है कि कर छूट का दावा करने के लिए वास्तविक बिलों की आवश्यकता होती है।
एलटीए का उपयोग देश के अंदर परिवार के साथ यात्रा करने के लिए किया जा सकता है। यात्रा लागत (सड़क, रेल या हवाई मार्ग से) वास्तविक बिल जमा करने पर प्रतिपूर्ति कर दी जाती है। जिस राशि का दावा नहीं किया जाता, वह कर योग्य होती है। एलटीए का दावा चार सालों की अवधि में दो बार किया जा सकता है। यात्रा भत्ते के रूप में वार्षिक कर मुक्त राशि की सीमा 1,00,000 तक है।
जिन कर्मचारियों को काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ती है, वे यात्रा या ईंधन खर्च की प्रतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें वास्तविक बिल जमा करने होंगे। दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए, कार्यस्थल और घर के बीच आने-जाने में सहायता के लिए ईंधन भत्ते की सीमा 2,400 है। इसकी वार्षिक कर मुक्त सीमा 28,000 है।
कर्मचारी उस वाहन के रख-रखाव और चालक के वेतन के लिए भत्ता ले सकते हैं, जिसका उपयोग वे आधिकारिक कार्य के लिए करते हैं। इस मद के अंतर्गत सीमा 3,300 प्रति माह है। इस मद में अधिकतम वार्षिक कर मुक्त राशि 39600 रुपए निर्धारित की गई है। आप इतनी राशि के कर की छूट का दावा कर सकते हैं।
वास्तविक बिल जमा करने पर लैंडलाइन, इंटरनेट और मोबाइल फोन बिलों की प्रतिपूर्ति कर से मुक्त है। आज के समय में बढ़ी हुई कारोबारी गतिविधियों के बीच अपने क्षेत्र के लोगों के साथ बने रहने के लिए फोन के बिलों पर कर की छूट दी जाती है। कोविड-19 के बाद वर्क-फ्रॉम-होम चरण के दौरान इस भत्ते का महत्व काफी बढ़ गया है। इस मद में अधिकतम 36,000 रूपए कर छूट का लाभ लिया जा सकता है।
50 रुपए प्रति भोजन का भत्ता कर से मुक्त रखा गया है। एक महीने में 22 कार्यदिवसों में दो भोजन प्रतिदिन मानते हुए, यह राशि 2,200 प्रति माह होती है। इस धन का उपयोग भोजन और गैर-मादक पेय पदार्थों पर किया जा सकता है। इस मद में कुल सालाना कर छूट की सीमा अधिकतम 26,400 रुपए है।
वास्तविक बिलों के समर्थन से पुस्तकों, पत्रिकाओं और समाचार पत्र बिलों की प्रतिपूर्ति भी कर से मुक्त रखी गई है। इस मद में समाचार पत्रों और पोर्टलों की ऑनलाइन सदस्यता भी शामिल है। लेकिन इसका लाभ लेने से लिए समाचार पत्रों और पत्रिका खरीदने के वास्तविक बिल पेश करने होंगे। इस मद में अधिकतम 24,000 रुपए का निवेश किया जा सकता है।
कुछ कंपनियां कर्मचारी के कौशल विकास और प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन पाठ्यक्रमों मे भाग लेने के लिए अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करती हैं। वे इस पर आने वाले खर्च को भी वहन करने को तैयार रहती हैं। इन कोर्सेज के वास्तविक बिल पेश करने की स्थिति में इस परु कर से छूट देने का प्रावधान किया गया है। इस मद में अधिकतम 48,000 रुपए की राशि कर छूट के दायरे में आती है।
कार्यस्थल पर अच्छा दिखना और पेशेवर तरीके से तैयार होने का बेहद महत्व है। कुछ कंपनियां कार्यालयों में पहने जाने वाले कपड़े के लिए भत्ता देती हैं। इस पर कर छूट का लाभ हासिल करने के लिए इस पर वास्तविक बिलों की आवश्यकता होती है। इस मद में अधिकतम स्वीकृत कर मुक्त राशि 24,000 रुपए।
कोरोना महामारी के दौर में शुरू हुए वर्क-फ्रॉम-होम चरण के दौरान लोकप्रिय हुआ यह एक और लाभ है। इसमें कंपनी के नाम से सामान खरीदा जाता है और कर्मचारी को व्यक्तिगत उपयोग के लिए दिया जाता है। इस मद में अधिकतम करछूट के दायरे में आने वाली राशि 60,000 रुपए है।
नियोक्ता अपने कर्मचारियों के मेधावी बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए, मासिक राशि या वार्षिक छात्रवृत्ति का भी लाभ दे सकते हैं। इस मद के केवल शिक्षा से संबंधित खर्चों जैसे ट्यूशन फीस, बुक्स और स्टडी मैटेरियल को ही कर छूट का लाभ दिया जाता है। इसके लिए कर छूट के दायरे में आने वाली अधिकतम राशि 60,000 रुपए है।
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