लाल सागर संकट की वजह से हवाई माल ढु़लाई पर निर्भर हुए गुजरात के निर्यातक

लाल सागर संकट ने वैश्विक समुद्री व्यापार को बाधित कर दिया है। इसकी वजह से गुजरात के निर्यातक हवाई माल ढुलाई सेवाओं की ओर रुख करने को मजबूर हो गए हैं।
लाल सागर संकट ने बढ़ाई मुश्किल, हवाई माल ढु़लाई पर निर्भर हुए गुजरात के निर्यातक
लाल सागर संकट ने बढ़ाई मुश्किल, हवाई माल ढु़लाई पर निर्भर हुए गुजरात के निर्यातकRaj Express

हाईलाइट्स

  • लाल सागर संकट ने बाधित किया समुद्री व्यापार, हवाई माल ढ़ुलाई पर बढ़ी निर्भरता

  • लाल सागर संकट से समुद्री यातायात अवरुद्ध, गुजराती निर्यातकों की परेशानी बढ़ी

  • कल्पिक हवाई सेवा के लिए भी गुजरात के निर्यातकों को जाना पड़ता है मुंबई-दिल्ली

राज एक्सप्रेस । लाल सागर संकट ने वैश्विक समुद्री व्यापार को बाधित कर दिया है। इसकी वजह से हवाई माल ढु़लाई पर निर्भर हुए गुजरात के निर्यातक। गुजरात के निर्यातकों को इन दिनों हवाई माल ढुलाई सेवाओं की ओर रुख करने को मजबूर होना पड़ा है। अपने विशाल समुद्र तट के लिए जाना जाने वाला गुजरात, पारंपरिक रूप से परिवहन के लिए समुद्री मार्गों पर ही निर्भर करता है। लाल सागर संकट ने उनके लिए बड़ी परेशानी पैदा कर दी है। उन्हें अब वैकल्पिक हवाई मार्गों को अपनाना पड़ रहा है। उन्हें यह सेवा भी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं है। गुजरात एग्रो लिमिटेड (जीएएल) का कार्गो कॉम्प्लेक्स पिछले काफी समय से बंद पड़ा है। इसके लिए स्थानीय निर्यातकों को दिल्ली और मुम्बई की ओर रुख करना पड़ता है, जो उनकी लागत को बढ़ा देता है।

दिल्ली-मुंबई की ओर रुख कर रहे गुजरात के निर्यातक

इसके लिए गुजरात के निर्यातकों को दिल्ली या मुंबई की ओर रुख करना पड़ता है, जो उन्बहें हुत महंगा पड़ता है। इसने निर्यातकों की कारोबारी लागत में बढ़ोतरी कर दी है। अहमदाबाद से हवाई माल ढुलाई सेवाओं की कमी है। जबकि, हाल के दिनों में मांग बहुत बढ़ गई है। बढ़ी हुई मांग के कारण हवाई माल ढुलाई पर आने वाली लागत में भी बढ़ोतरी हो गई है। इस खर्च में उछाल ने अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व जैसे प्रमुख स्थानों तक पहुंचने वाली खेपों को प्रभावित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात, को उसकी उद्यमिता और निर्यात के लिए जाना जाता है। समुद्री मार्ग अवरुद्ध होने की वजह से हवाई माल ढु़लाई पर निर्भर हुए गुजरात के निर्यातक।

जीएएल कार्गो परिसर बंद होने से बढ़ी परेशानियां

गुजरात के उद्यमियों को गुजरात एग्रो लिमिटेड (जीएएल) के कार्गो कॉम्प्लेक्स के लंबे समय से बंद होने और लाल सागर संकट के कारण बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे उसकी रसद संबंधी बाधाएं काफी बढ़ गई हैं। इसके साथ ही हवाई माल ढुलाई की लागत बहुत बढ़ गई है। शुल्क बढ़ने की वजह से निर्यातकों पर शिपमेंट लागत में 40% की वृद्धि देखने को मिली है। जीएएल द्वारा संचालित हवाई माल ढुलाई परिसर, जो कभी कृषि उत्पादों, दवाओं और रसायनों समेत प्रति माह लगभग 1,500 मीट्रिक टन कार्गो के निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण चैनल हुआ करता था, जून 2023 के बाद से बंद हो गया है।

लाल सागर संकट ने बाधित किया समुद्री व्यापार

अनुपालन के मुद्दों और कई मंजूरी संबंधी औपचारिकताएं पूरी नहीं होने की वजह से इस परिसर को रातोंरात बंद करना पड़ा। इसके निर्यात लदान को मुंबई या दिल्ली की ओर मोड़ दिया गया। इसकी वजह से लागत और कसाइनमेंट पूरा होने का समय बहुत बढ़ गया है। इसके अलावा, लाल सागर संकट ने वैश्विक समुद्री व्यापार को बाधित कर दिया है। जिसकी वजह से निर्यातकों को हवाई माल ढुलाई सेवाओं का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अपने विशाल समुद्र तट के लिए जाना जाने वाला गुजरात पारंपरिक रूप से परिवहन के लिए अपने विशाल समुद्री यातायात पर निर्भर था।

मुंबई दिल्ली की ओर मोड़़नी पड़ रही निर्यात लदानें

अब हवाई माल ढ़ुलाई पर निर्भर होने की वजह से इसकी लागत बहुत बढ़ गई है। खर्च में होने वाली यह वृद्धि अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व जैसे प्रमुख गंतव्यों तक पहुंचने वाली खेपों को प्रभावित कर रही है। जीएसईसी लिमिटेड के सीईओ और निदेशक समीर मांकड ने कहा हम कार्गो केंद्र में परिचालन फिर से शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से महत्वपूर्ण उपकरण प्राप्त करने में देरी होने की वजह से दिक्कत आ रही है। इसी वजह से, निर्यात लदानों को मुंबई या दिल्ली की ओर मोडना पड़ रहा है, जिसकी वजह से न केवल लागत बढ़ गई है बल्कि कंसाइनमेंट समय पर भेजने में भी दिक्कत आ रही है।

अहमदाबाद में 14 विमानन कंपनियां देती हैं कार्गो सेवाएं

इस स्थिति ने निर्यातकों को भारी लागत के बावजूद हवाई माल ढुलाई सेवाओं का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया है। एक सीमा शुल्क समाशोधन एजेंट के अनुसार, अहमदाबाद से केवल 14 विमानन कंपनियां कार्गो सेवाएं प्रदान करती हैं। ये समय पर माल की आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। इसकी वजह से लागत में 40% तक की बढ़ोतरी है। अमेरिका के लिए हवाई माल ढुलाई का शुल्क 400 रुपये से बढ़कर 700 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा पहुंचा है। निर्यातकों को यूरोप और मध्य पूर्व के गंतव्यों के लिए इसी तरह बढ़ा हुआ शुल्क अदा करना पड़ रहा है।हवाई माल ढुलाई लागत में बढ़ोतरी होने की वजह से निर्यातकों के लिए इसका वैकल्पिक समाधान विकसित करने की जरूरत है।

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