agriculture commissioner PK Singh
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बेमौसम वर्षा से गेहूं की फसल में 10 फीसदी नुकसान, लेकिन देश की कुल पैदावर में गिरावट की आशंका नहीं : पीके सिंह

केंद्र ने कहा है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल में करीब 8 से 10 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान है।

राज एक्सप्रेस। केंद्र सरकार ने कहा है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल में करीब 8 से 10 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान है। लेकिन देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में बेहतर उपज की संभावना से उत्पादन में होने वाले नुकसान की भरपाई की उम्मीद है। कृषि आयुक्त और देश के प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डॅा. पीके सिंह या डॅा. प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि हाल के दिनों में खराब मौसम के बावजूद कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार पिछले साल की तुलना में अधिक गेंहू का उत्पादन होगा। भारत गेहूं के प्रमुख उत्पादक देशों में से एक है, जो यहां की एक बड़ी आबादी के लिए मुख्य भोजन है। पिछले कुछ सप्ताह से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण गरज, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के साथ बेमौसम बारिश ऐसे समय हुई है, जब फसल कटाई के लिए लगभग तैयार थी।

तापमान गिरने व नमी बढ़ने से उत्पादन बढ़ा

प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के सीनियर अधिकारियों के साथ फसल क्षति की समीक्षा बैठक के बाद कृषि आयुक्त पीके सिंह ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कुछ स्थानों पर फसल को नुकसान पहुंचा है और साथ ही देर से की गई बोनी वाले क्षेत्रों में उपज में वृद्धि हुई है। कृषि आयुक्त पीके सिंह ने कहा कि लगभग 8 से 10 फीसदी गेहूं की फसल क्षति का अनुमान उन क्षेत्रों में लगाया गया है, जो ओलावृष्टि, आंधी और तेज़ हवाओं के कारण पौधों के जमीन पर गिरने से हुआ। उन्होंने कहा इस साल देश में कुल 3.4 करोड़ हेक्टेयर गेहूं बोए जाने के मद्देनजर गेहूं को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। कृषि आयुक्त ने कहा कि अन्य स्थानों पर जहां ओलावृष्टि और तेज हवाएं नहीं थीं, बेमौसम बारिश ने तापमान में गिरावट आई है और मिट्टी की नमी में सुधार किया है और गेहूं की फसल की उपज की संभावनाओं को और बढ़ाया है।

जहां देर से बोनी हुई, वहां मिलेगा फायदा

पीके सिंह ने कहा कि अनाज में भराव के चरण के दौरान तापमान में गिरावट आने और नमी बढ़ने से उपज में और सुधार होगा। बेमौसम बारिश से अधिक क्षेत्र में फसल को फायदा हुआ है और देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में फसल की पैदावार 10 से 15 फीसदी अधिक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में 80 प्रतिशत गेहूं की फसल कट चुकी है, इसलिए इन दोनों राज्यों में फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। पीके सिंह ने कहा कि अन्य राज्यों में, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं का लगभग 25 फीसदी क्षेत्र देर से बोया गया था और इन स्थानों पर बेमौसम बारिश से फसल की वृद्धि में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा इसलिए फसल के नुकसान की वजह से होने वाली संभावित क्षति की भरपाई बाकी पैदावार में बढ़ोतरी से हो जाएगी।

11.22 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान

कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार निस्संदेह हम रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन हासिल करेंगे। मंत्रालय ने चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है। पिछले साल, बेमौसम बारिश और गर्मी की लू चलने के कारण घरेलू गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई, जिससे सरकार को बढ़ती घरेलू कीमतों को रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। राज्यों के आंकड़ों के अनुसार, खराब मौसम के कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 5.23 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है। पंजाब और हरियाणा में नुकसान का आकलन किया जा रहा है। गेहूं एक प्रमुख रबी फसल है और गेंहूं उत्पादन में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है।

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