Nirmala Sitaraman
Nirmala SitaramanSocial Media

प्रगतिशील बने, सदस्य देशों की बात सुने और उनके प्रति निष्पक्ष रहे, निर्मला सीतारमण ने दिखाया WTO को आईना

निर्मला सीतारमण ने अमेरिका में डब्ल्यूटीए को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि भारत चाहता है कि डब्ल्यूटीओ और अधिक प्रगतिशील और सर्वग्राही बने।

राज एक्सप्रेस। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीए) को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि भारत चाहता है कि डब्ल्यूटीओ और अधिक प्रगतिशील और सर्वग्राही बने। नई परिस्थिति में उसकी कार्यप्रणाली में कुछ बदलाव अपरिहार्य हो गए हैं। निर्मला सीतारणण ने कहा कि कार्यप्रणाली में बदलाव करके ही इस विश्व निकाय की भूमिका में बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने कहा अब तक की परंपरा के अनुसार विश्व व्यापार संगठन को केवल दूसरे देशों को केवल अपनी बात ही नहीं सुनानी चाहिए, उसे सदस्य देशों की बातों को भी गंभीरता से सुनना चाहिए, तभी वास्तविक लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।

गंभीरता से नहीं सुनी जाती सदस्य देशों की बात

सीतारमण ने कहा कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य अनेक सारे देशों के पास कहने को बहुत कुछ जरूरी होता है, लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं सुना जाता। उनकी बात को गंभीरता से सुनने के बाद ही कामकाज में सकारात्मक बदलाव की कोई संतोषजनक पहल की जा सकती है। निर्मला सीतारमण ने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की ओर से आयोजित बातचीत में कहा कि मैं चाहूंगी कि डब्ल्यूटीओ अधिक प्रगतिशील रूप अख्तियार करे, सभी देशों की बात को गंभीरता से सुने और सभी सदस्यों के प्रति निष्पक्ष रहे। निर्मला सीतारमण ने कहा कि सौभाग्य से मैं 2014 से 2017 के बीच भारत के वाणिज्य मंत्री के रूप में डब्ल्यूटीओ के साथ कुछ समय बिता चुकी हूं, मेरा मानना है कि विश्व निकाय को उन देशों की आवाज को गौर से सुनना चाहिए, जिनके पास कहने के लिए कुछ अलग और महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ के लिए आज का संदेश अधिक खुलापन होना चाहिए।

उदारीकरण की कीमत अमेरिका ने चुकाई

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज अमेरिकी वाणिज्य मंत्री कैथरीन ताई के शब्दों को याद करना उपयोगी हो सकता है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि पारंपरिक व्यापार दृष्टिकोण क्या है? वास्तव में बाजार को उदार बनाना क्या है? शुल्क में कमी के संदर्भ में वास्तव में इसका क्या अर्थ है? उन्होंने कहा, अब यह सवाल ग्लोबल साउथ के कई देशों के मन में है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा समय है, जब विभिन्न देश इस बात पर विचार कर रहे हैं कि आप किस हद तक बाजार का उदारीकरण करना चाहते हैं? अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने इसकी कीमत चुकाई है, अमेरिकी वाणिज्य सचिव की चिंता उसी से संबंधित है। वर्ष 2014 और 2015 के दौरान वाणिज्य मंत्री के तौर पर मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआ था। शायद मेरी अभिव्यक्ति को वैश्विक मीडिया में कभी जगह नहीं मिली, पर अब ग्लोबल साउथ के कई देशों की भी यही भावना है।

भारत में कोटा मुक्त, टैरिफ मुक्त व्यापार प्रणाली पर अमल

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब हम भारत में कोटा मुक्त, टैरिफ मुक्त व्यापार प्रणाली को अमल में ला रहे हैं। इसलिए दुनिया में कोई भी देश, चाहे वह अफ्रीका का हो या प्रशांत क्षेत्र का, आकांक्षी हो या कम आय वाला देश हो भारत में आसानी से निर्यात कर सकता है। हमने जहां तक संभव है, अपने बाजारों को दूसरों के लिहाज से सुविधाजनक बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा भारत का ध्यान कौशल और डिजिटलीकरण पर है, ताकि जीवन यापन, पारदर्शिता और अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में अधिक आसानी हो। भारत सरकार का दृष्टिकोण गरीब लोगों को कम से कम बुनियादी सुविधाओं के साथ सशक्त बनाना है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com