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EPFO ने ऊंचे रिटर्न के लिए निवेश से जुड़े नियमों में किया बदलाव, 6 करोड़ से अधिक खाता धारकों को मिलेगा फायदा

ईपीएफओ ने अंशाधारकों को ऊंचे रिटर्न देने और बाजार की अस्थिरता से अपनी आय को बचाए रखने के लिए ईटीएफ में निवेश की निकासी की नीति को संशोधित कर दिया है।

राज एक्सप्रेस। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने अंशाधारकों को ऊंचे रिटर्न देने और बाजार की अस्थिरता से अपनी आय को बचाए रखने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश की निकासी की नीति को संशोधित कर दिया है। ईपीएफओ में उच्च पदस्थ सूत्र के अनुसार ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की हालिया बैठक में इस बारे में विस्तार से चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को अंतिम रूप से मंजूरी दे गई है। ईपीएफओ ने इसके तहत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की यूनिट की निकासी करने से पहले उनकी न्यूनतम होल्डिंग अवधि को 4 साल से अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। अपने नए निवेश दिशानिर्देशों के तहत, ईपीएफओ इक्विटी और संबंधित निवेशों में अपनी आय का 5 से 15 फीसदी के बीच निवेश कर सकता है।

इक्विटी में 15 फीसदी तक निवेश की योजना

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अगस्त 2015 में निफ्टी-50 और बीएसई सेंसेक्स पर आधारित ईटीएफ के माध्यम से इक्विटी में अपनी नई आय का 5 फीसदी निवेश करने के निर्णय के बाद विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश बढ़ाना शुरू किया था। इसके बाद से सीमा बढ़ा दी गई है। सूत्रों के अनुसार ईपीएफओ इक्विटी में वास्तविक निवेश को अब 15 फीसदी की सीमा तक ले जाना चाहता है। ईपीएफओ में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था सीबीटी ने इसके पहले फरवरी 2018 में ईटीएफ निकासी पद्धति को मंजूरी दी थी। इसके तहत ईटीएफ इकाइयों की निकासी की अनुमति केवल उन दिनों पर दी गई थी, जब मौजूदा बाजार शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) पिछले सात दिनों के औसत एनएवी के 5 से कम नहीं होगी।

8.15 फीसदी की दर से ब्याज देगा ईपीएफओ

इसके अलावा, 15 से 20 दिनों में की जाने वाली निकासी के समय फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (फीफो) यानी जिसमें पहले निवेश किया गया, उसकी निकासी पहले की जाएगी के सिद्धांत को अपनाया गया था। ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्राहकों के लिए 8.15 फीसदी की दर से ब्याज देने की घोषणा की है, जो कि पिछले वित्त वर्ष के लिए दिए गए 8.1 फीसदी रिटर्न से अधिक है। ब्याज के भुगतान के लिए ईपीएफओ ने कैलेंडर वर्ष 2018 में निवेश ईटीएफ इकाइयों को भुनाया और अनुमान है कि इससे 10,960 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। ईपीएफओ ईटीएफ इकाइयों की निकासी सीमा को सरकारी प्रतिभूतियों से भी जोड़ सकता है। योजना के तहत, जिन इकाइयों को भुनाया जाना प्रस्तावित है, उनकी होल्डिंग-पीरियड रिटर्न 10 साल की बेंचमार्क सरकारी सुरक्षा से कम से कम 250 आधार अंक अधिक होनी चाहिए।

पूंजीगत लाभ बढ़ाने की कवायद

एक अन्य सुझाव ईटीएफ रिटर्न को ऐतिहासिक दीर्घकालिक औसत पर मानक बनाना है। इसके तहत निकासी की जाने वाली यूनिट का होल्डिंग पीरियड रिटर्न निफ्टी या सेंसेक्स के आधार पर पिछले 10 वर्षों के औसत पांच साल के रिटर्न से ऊपर होना चाहिए। इसके अलावा छोटी अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव से निकासी के समय रिटर्न को बचाने के लिए ईपीएफओ ने निकासी को की अवधि को दैनिक आधार पर करने का भी प्रस्ताव दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि संशोधनों से रिटर्न की आंतरिक दर को आसान बनाने और ईटीएफ इकाइयों को भुनाने पर पूंजीगत लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी। चूंकि ईटीएफ नियमित आय नहीं देते और इसकी परिपक्वता की अवधि नहीं होती है।

शेयरों में निवेश की रफ्तार धीमी

इसलिए ईपीएफओ समय-समय पर ईटीएफ इकाइयों को भुनाता रहता है। इस कवायद से प्राप्त पूंजीगत लाभ को तब आय के रूप में माना जाता है और ईपीएफ अंशधारकों को आय के रूप में वितरित किया जाता है। ईटीएफ इकाइयों के आवधिक निकासी और ईटीएफ में निकासी आय के केवल 15 फीसदी के पुनर्निवेश के कारण, कुल ईपीएफ कॉर्पस में इक्विटी निवेश का हिस्सा धीमी गति से ही सही, लेकिन बढ़ रहा है। 31 जनवरी, 2023 तक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की इक्विटी में निवेश आय का 10.03 फीसदी रही थी। यह अनुमान लगाया जा रहा था कि फंड के इक्विटी हिस्से को 15 फीसदी अंक तक पहुंचने में पांच से छह साल का समय लग सकता है।

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