Wholesale inflation remained negative in September
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बेकार साबित हुए आर्थिक दिग्गजों के अनुमान लगातार छठे माह निगेटिव रही थोक महंगाई दर

आज जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर यानी पिछले माह होलसेल महंगाई बढ़ने की दर माइनस 0.26 फीसदी रही है। थोक महंगाई दर लगातार छठे माह निगेटिव बनी हुई है।

हाईलाइट्स

  • आंकड़ों के अनुसार सितंबर में होलसेल महंगाई बढ़ने की दर माइनस 0.26 फीसदी रही

  • अर्थशास्त्रियों ने कहा था यह दर पिछले माह यानी सितंबर में माइनस 0.70 फीसदी रहेगी

राज एक्सप्रेस। थोक महंगाई दर लगातार छठे माह निगेटिव रही है। सितंबर के माह में आर्थिक दिग्गजों के अनुमान फेल साबित हुए हैं। कॉमर्स मिनिस्ट्री द्वारा आज जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार सितंबर यानी पिछले माह होलसेल महंगाई बढ़ने की दर माइनस 0.26 फीसदी रही है। नेगेटिव होलसेल इनफ्लेशन अर्थशास्त्रियों के अनुमान से काफी ज्यादा कम है। अर्थशास्त्रियों ने अनुमान जताया था कि थोक महंगाई बढ़ने की दर पिछले माह 0.70 फीसदी रहेगी। आंकड़ों ने साबित कर दिया है कि अर्थशास्त्रियों के अनुमानों से मेल नहीं खाते।

थोक महंगाई बढ़ने की दर सितंबर में माइनस 0.26 % रही

पिछले महीने सितंबर में थोक महंगाई बढ़ने की दर माइनस 0.26 फीसदी रही है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा् आज जारी किए आंकड़ों के अनुसार यह लगातार छठा महीना है, जब थोक महंगाई दर निगेटिव जोन में बनी हुई है। पिछले साल सितंबर 2022 में यह दर 10.55 फीसदी पर थी और अगस्त 2023 में यह नेगेटिव 0.52 फीसदी पर था। पिछले माह यह पॉजिटिव जोन की तरफ बढ़ी, लेकिन अभी भी यह निगेटिव जोन में ही बनी हुई है। नेगेटिव 0.26 फीसदी थोक महंगाई दर अर्थशास्त्रियों के अनुमान से काफी कम है। अर्थशास्त्रियोंने दावा किया था कि सितंबर में थोक महंगाई दर 0.7 फीसदी रहेगी।

तीन माह के निचले स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई

कुछ दिन पहले खुदरा महंगाई दर से संबंधित आंकड़े सामने आए थे। स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री ने पिछले सप्ताह 12 अक्टूबर को इससे जुड़े आंकड़े पेश किए थे। खुदरा महंगाई बढ़ने की दर सितंबर में तीन माह के निचले स्तर 5.02 फीसदी पर आ गई है। जुलाई माह में यह 7.44 फीसदी पर जा पहुंची थी जो इसका 15 महीने का रिकॉर्ड उच्च स्तर है। इस दौरान डब्ल्यूपीआई इनफ्लेशन 0.97 फीसदी ऊपर चढ़ गया है।

कुछ वस्तुओं ने दी राहत, कुछ ने बढ़ाया दबाव

डब्ल्यूपीआई सितंबर में 0.59 फीसदी सुस्त रहा, जबकि सीपीईआई में इस दौरान 1.1 फीसदी नरमी दिखाई दी। मासिक आधार पर प्राइस इंडेक्स में आई यह तेजी कीमतों के दबाव का संकेत है। पिछले माह डब्ल्यूपीआई का फूड इंडेक्स मासिक आधार पर 4.46 फीसदी गिर गया जोकि अगस्त में मासिक आधार पर 1.38 फीसदी नीचे आ गया था। टमाटर कीमतों में तेजी की वजह से फूड इंडेक्स में गिरावट देखने में आई। टमाटर इंडेक्स मासिक आधार पर जून में 56 फीसदी और जुलाई में 318 फीसदी उछल गया, जो सितंबर में मासिक आधार पर 73 फीसदी गिर गया। अगस्त में इसमें 22 फीसदी गिरावट देखने में आई थी। सब्जियों के लिए ओवरऑल इंडेक्स सितंबर में मासिक आधार पर 37 फीसदी गिरावट आई थी।

सितंबर में अधिकांश फूड़ आईटम्स में दिखी तेजी

भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई और केंद्र सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि टमाटर के अलावा बाकी सभी फूड आइटम्स में मासिक आधार पर तेजी देखने में आई है। इस दौरान अनाज एक फीसदी, दाल छह फीसदी, फल पांच फीसदी और दूध 0.7 फीसदी बढ़ गए। डब्ल्यूपीआई का तेल और पॉवर ग्रुप मासिक आधार पर 2 फीसदी से अधिक चढ़ गया। इस इंडेक्स में करीब दो तिहाई हिस्सा मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का है, जिनके दाम दो लगातार दूसरे महीने सितंबर में बढ़ गए हैं। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उत्पादों में सबसे अधिक दबाव बेसिक मेटल्स पर दिखाई दिया है, जबकि सबसे कम दबाव खाद्य तेजों पर देखने को मिला।

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