मध्यपूर्व संकट बढ़ने और अमेरिकी महंगाई से प्रभावित हो सकता है विदेशी निवेश
भारतीय शेयर बाजार में अगले कुछ समय में देखने को मिल सकती है बड़ी गिरावट
पिछले कुछ सत्रों में नेट सेलर्स रहे हैं एफआईआई, यह एक नकारात्मक संकेत
राज एक्सप्रेस । भारतीय शेयर बाजार में अगले दिनों कुछ समय में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य-पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ने से बिकवाली बढ़ा सकते हैं एफआईआई । पिछले कुछ सत्रों में देखने में आया है कि एफआईआई नेट सेलर्स रहे हैं। शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान और इजराइल के बीच तनाव गहराने की वजह से एफआईआई और अधिक बिकवाली करते दिखाई दे सकते हैं।
शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य-पूर्व संकट की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशक या एफआईआई अगले दिनों में भारतीय बाजारों से दूरी बना सकते हैं। इसकी दो वजहें मानी जा रही हैं। पहली है अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती में दे्र होने की संभावना और दूसरी अमेरिका के मार्च के महंगाई के आंकड़े हैं। आपने गौर किया होगा कि पिछले कुछ समय में एफआईआई शेयर बाजार से पैसे निकालने में लगे हुए हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दिनों में एफआईआई की शेयर बाजारों से पैसे निकालने की गति में तेजी देखने को मिल सकती है।
आपने गौर किया होगा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक अच्छा खासा निवेश किया है। उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में खरीदारी का सिलसिला अब तक बनाए रखा है। विशेषज्ञ इस बात को लेकर बहुत निश्चिंत नहीं है कि इक्विटीज और डेट मार्केट में इनफ्लो बना रहेगा या नहीं। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अप्रैल में अब तक कुल 13,347 करोड़ रुपये का निवेश किया है। पिछले सप्ताह कुछ सत्रों में एफआईआई ही मुख्य रूप से बिकवाली करते दिखाई दिए हैं। अब मध्य-पूर्व संकट बढ़ने के बाद बिकवाली बढ़ा सकते हैं एफआईआई।
इस दौरान नेट आउटफ्लो 6,526.71 करोड़ रुपये देखने को मिला है। भारत-मॉरीशस टैक्स समझौते में बदलाव की आशंका के मद्देनजर 12 अप्रैल को शेयर बाजार में फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों ने 8,027 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच भूराजनीतिक तनाव में बढ़ने की वजह से भी एफआईआई द्वारा निकाली तेज करने की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले दिनों में अगर यह घटनाक्रम तेज हुआ तो दुनिया भर से शेयर बाजारों में इसका असर देखने को मिल सकता है।
अमेरिकी में महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए ब्याज दरों में वृद्धि की कोई संभावना नहीं है। फरवरी 2024 में जहां इस साल ब्याज दरों में तीन बार ब्याज में कटौती किए जाने की संभावना जताई जा रही है, वहीं सिर्फ 2 बार ही दरों में कटौती का अनुमान जताया जा रहा है। यह कटौती भी फिलहाल होने की संभावना नहीं दिखाई देती। माना जा रहा है कि फेड रिजर्व साल के अंत ऐसे किसी उपाय पर काम कर सकता है। यही वजह है कि दस साल की बॉन्ड यील्ड बढ़कर 4.52 फीसदी हो गई है।
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