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सीखने से लेकर नेतृत्व करने तक मानव संसाधन प्रबंधन में पीएचडी करने से मिलेंगे बेहतर अवसर

कई कालेज और विवि मानव संसाधन प्रबंधन में पीएचडी कार्यक्रम संचालित करते हैं। यह पाठ्यक्रम संचार कौशल, निर्णय लेने और संगठनात्मक क्षमता पर जोर देता है।

हाईलाइट्स

  • देश के के कई कॉलेज और विवि मानव संसाधन प्रबंधन में तीन से पांच साल का पीएचडी कार्यक्रम संचालित करते हैं

  • यह पाठ्यक्रम संचार कौशल, निर्णय लेने और संगठनात्मक गतिशीलता पर विशेष रूप से जोर देता है

  • मानव संसाधन में पीएचडी की पात्रता के लिए संबंधित क्षेत्र में न्यूनतम 55% ग्रेड के साथ मास्टर डिग्री होनी जरूरी

राज एक्सप्रेस। देश के विभिन्न कॉलेज और विवि मानव संसाधन प्रबंधन में तीन से पांच साल का पीएचडी कार्यक्रम संचालित करते हैं। यह पाठ्यक्रम संचार कौशल, निर्णय लेने और संगठनात्मक गतिशीलता पर विशेष रूप से जोर देता है। मानव संसाधन में पीएचडी की पात्रता के लिए संबंधित क्षेत्र में न्यूनतम 55% ग्रेड के साथ मास्टर डिग्री होनी जरूरी है। पीएचडी में प्रवेश प्रवेश परीक्षा को नतीजे और व्यक्तिगत साक्षात्कार पर ज्यादा निर्भर करता है। पीएचडी करने के बाद युवा मानव संसाधन प्रबंधक, मानव संसाधन निदेशक, भर्ती प्रबंधक जैसे विभिन्न कैरियर अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। मानव संसाधन प्रबंधन में तीन से पांच साल का पीएचडी कार्यक्रम भारत भर के विभिन्न कॉलेजों में कराया जाता है। यह विशेष पाठ्यक्रम संचार, प्रशिक्षण, संगठनात्मक गतिशीलता और निर्णय लेने में कौशल को निखारने पर जोर देता है। यह नवीन और अपरंपरागत दृष्टिकोणों को प्रोत्साहित करते हुए आलोचनात्मक सोच विकसित करता है। पाठ्यक्रम उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिए संगठनों द्वारा अपनाई गई रणनीतियों की अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है।

नेतृत्व पर सर्वोत्तम व्यावसायिक पाठ्यक्रम

  • आईआईएम कोझिकोड आईआईएमके सीनियर मैनेजमेंट प्रोग्राम

  • आईआईएम कोझिकोड आईआईएमके जनरल मैनेजमेंट, प्रोग्राम फार बिजनेस एक्सीलेंस

  • नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी केलाग मार्केटिंग लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम

  • आईआईएम कोझीकोड आईआईएमके फाइनेंशियल एनालिसिस एंड फाइनेंशियल मैनेजमेंट

  • एमआईटी एमआईटी टेक्नालाजी लीडरशिप एंड एनोवेशन

  • आईआईएम कोंझीकोड आईआईएमके एडवांस्ड स्ट्रेटजिक मैनेजमेंट प्रोग्राम

  • आईआईएम लखनऊ आईआ्रईएमएल सीनियर लीडरशिप प्रोग्राम

  • इंडियन स्कूल आफ बिजनेस आईएसबी वेंचर कैपिटल एंड प्राइवेट इक्विटी प्रोग्राम

  • इंडियन स्कूल आफ बिजनेस आईएसबी लीडरशिप इन एआई

  • आईआईएम लखनऊ आईआईएमएल एडवांस्ड प्रोग्राम इन ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट

प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मिलता है प्रवेश

कार्यक्रम में प्रवेश प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। परीक्षा पास करने के बाद व्यक्तिगत साक्षात्कार होते हैं। पात्रता के लिए संबंधित क्षेत्र में किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से मास्टर डिग्री की आवश्यकता होती है। मानव संसाधन प्रबंधन में पीएचडी के स्नातक स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैरियर के व्यापक अवसरों का आनंद लेते हैं। मानव संसाधन प्रबंधक, मानव संसाधन निदेशक, भर्ती प्रबंधक और मुख्य मानव संसाधन अधिकारी जैसी भूमिकाएँ आईटी, मार्केटिंग, व्यवसाय और अकादमी सहित सभी क्षेत्रों में उपलब्ध हैं।

मानव संसाधन प्रबंधन में पीएचडी

  • कोर्स का नामः पीएचडी इन ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट

  • कोर्स की अवधिः 3 से 5 वर्ष।

  • प्रवेश प्रक्रियाः प्रवेश परीक्षा के बाद व्यक्तिगत साक्षात्कार

  • पात्रताः यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय या विदेशी विश्वविद्यालय से कम से कम 55% औसत के साथ प्रासंगिक क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री।

  • कोर्स की फीसः 10,000 से 11 लाख रुपए।

  • जाब कैरियर्सः एचआर जनरलिस्ट, मुआवजा प्रबंधक, कार्यकारी भर्तीकर्ता, तकनीकी भर्तीकर्ता, मानव संसाधन प्रशिक्षण और विकास

  • टॅाप रिक्रूटर्सः गूगल, एक्सेंचर, एलएंडटी, अमेज़ॅन, पेप्सिको, एबीजी, आईटीसी, मोंडेलेज, पीएंडजी, विप्रो और कोलगेट पामोलिव

  • एवरेज सेलरीः औसतन 15 लाख रुपए प्रतिवर्ष सैलरी।

कैसे मिलता है पीएचडी में प्रवेश

इस पाठ्यक्रम में नामांकित डॉक्टरेट छात्र कॉलेज या विश्वविद्यालय के गाइड के मार्गदर्शन में अपने विषय पर स्वतंत्र शोध की शुरुआत करते हैं। पीएचडी कार्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करने का काम छात्र को आमतौर पर अध्ययन के पहले साल के दौरान पूरा करना होता है। कोर्सवर्क ज्यादातर विषय-वस्तु विशेषज्ञता और पाठ्यक्रम के बाद के चरणों में शोध करते समय लागू की जाने वाली शोध प्रक्रियाओं पर केंद्रित होता है। शोध के दौरान विषय-वस्तु पर केंद्रित रहते हुए छात्र को निर्धारित समय में अपना शोध पूरा करना होता है। इस बिंदु पर, छात्रों को उनकी शोध परियोजनाओं में सहायता के लिए एक शोध पर्यवेक्षक या मार्गदर्शक नियुक्त किया जाता है। थीसिस के स्तर से तय होता है कि छात्र को पीएचडी अवार्ड होगी या नहीं। इसके बाद छात्रों को बाहरी परीक्षकों द्वारा उनकी थीसिस के आधार पर मौखिक परीक्षा से गुजरना पड़ता है। मौखिक परीक्षा के दौरान छात्रों को अपनी थीसिस में स्थापित किए गए निष्कर्षों का बचाव करना होता है।

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