FSSAI ने जड़ीबूटी-मसालों में कीटनाक अवशेष की मात्रा बढ़ाई, यह बेहद खतरनाक

FSSAI ने जड़ी-बूटियों-मसालों के लिए कीटनाशक मानक शिथिल कर दिए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय की आलोचना की है।
FSSAI ने जड़ीबूटी-मसालों में कीटनाक अवशेष की मात्रा बढ़ाई
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हाईलाइट्स

  • FSSAI के शिथिल कीटनाशक मानदंडों से प्रभावित होगा भारतीय निर्यात

  • साथ ही स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी दिखाई देंगे विपरीत असर

  • नए कीटनाशक मानक खतरनाक, इस पर तत्काल रोक लगाए केंद्र सरकार

राज एक्सप्रेस । भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने जड़ी-बूटियों और मसालों के लिए कीटनाशक मानदंडों को कमजोर करते हुए कीटनाशक अवशेषों (एमआरएल) को 0.1 मिलीग्राम प्रति किग्रा बढ़ा दिया है। जड़ीबूटी-मसालों में कीटनाक अवशेष मानकों में किए जाने वाले इस बदलाव से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और निर्यात के मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कहना है कि जड़ीबूटी-मसालों में कीटनाक अवशेष के शिथिल मानकों की वजह से अगले दिनों में स्वास्थ्य जोखिम बहुत बढ़ जाएंगे। साथ ही मसालों और जड़ी बूटियों के आयात पर अज्ञात कीटनाशकों से होने वाला नुकसान की आशंका में भी बढ़ोतरी हो जाएगी।

FSSAI बताए क्या है नए नियमन के पीछे तर्क

बता दें कि FSSAI ने जड़ी-बूटियों और मसालों में कीटनाशकों की अवशेष सीमा (MRL) को 10 गुना बढ़ाकर 0.1 मिग्राग्राम प्रति किग्रा कर दिया गया है। केंद्र सरकार की नई नीति को लेकर कृषि कार्यकर्ताओं और उपभोक्ता हितों की रक्षा करने वाले संगठनों ने चिंता जताई है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम भारतीय मसालों को कुछ बड़े बाजारों में निर्यात के अयोग्य बना देगा। नियामक ने बीती 8 अप्रैल को जारी आदेश में कहा है यदि कोडेक्स द्वारा MRL निर्दिष्ट नहीं हैं, तो मसालों और पाक कला जड़ी बूटियों और मसालों के लिए 0.1 मिलीग्राम का MRL लागू होगा।

FSSAI के नए मानकों में तत्काल हो बदलाव

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के इस निर्णय का स्वास्थ्य जगत के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है। स्वासि्थ्य तके क्षेत्र में इस तरह के प्रयोग खतरनाक साबित हो सकते हैं। यही समझ में नहीं आता कि ऐसे नियमन के पीछे तर्क क्या हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कहा कि इनमें तक्काल बदलाव किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानकों में यह शिथिलता उचित नहीं है। इस पर गौर करने की जरूरत है कि इससे स्वास्थ्य जोखिम बहुत बढ़ जाएंगे। इसके साथ ही खाद्य मसालों और जड़ी बूटियों के आयात की स्थिति में अज्ञात कीटनाशकों से होने वाले नुकसान की संभावना भी बढ़ जाएगी।

शिथिल नियमन से प्रभावित होगा निर्यात

स्वास्थ्य विशेषज्ञों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और उपभोक्ताओं के लिए काम करने वाले संगठनों का मानना है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा मानकों को शिथिल किए जाने से भारतीय मसालों का निर्यात बुरी तरह से लड़खड़ा जाएगा। इसकी वजह यह है कि अनेक बड़े आयातक देशों में कीटनाशक मानक बेहद सख्त हैं। अधिक मात्रा में कीटनाश अवशेष पाए जाने की स्थिति में भारतीय मसालों को उन देशों में अस्वीकार किया जा सकता है। इसका देश के निर्यात पर असर पड़ेगा।

स्वास्थ्य जोखिम बढ़ाएगी नियमों में दी गई छूट

घरेलू उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह फैसला बेहद खतरनाक है। हमारे दैनिक आहार में मसालों का अहम स्थान है। भारतीय खाद्य परंपरा में मसालों का जमकर प्रयोग किया जाता है। अगर इन मसालों में कीटनाश अवशेषों की मात्रा अधिक होगी तो इसका लोगों के स्वास्थ्य पर अत्यन्त विपरीत असर देखने को मिल सकता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का करना है कि स्वास्थ्य एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए मानकों में तत्काल बदलाव किए जाने की जरूरत है।

खतरनाक होगा अज्ञात कीटनाशकों का आयात

कीटनाशकों की अवशेष सीमा (MRL) बढ़ाए जाने से विदेशों से ऐसे मसालों के आयात का रास्ता खुल सकता है, जिनमें उन कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है, जिनकी भारत में अनुमति नहीं है। इन अज्ञात रसायनों के देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर कोई अध्ययन भी नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में इतनी अधिक मात्रा में कीटनाशकों के प्रयोग की अनुमति देने को किसी भी स्थिति में ठीक नहीं कहा जा सकता।

खतरनाक साबित होगा कीटनाशकों का संचयी प्रभाव

एक उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित बनाने के लिए अक्सर कई तरह के कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। एमआरएल सीमा केवल एक कीटनाशक के लिए तय होती है। मसालों को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में मसालों में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशों के अवशेषों के मिलने से हमारे शरीर में उनका संचयी प्रभाव क्या पड़ेगा। इसके बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है। बहुत स्वाभाविक है कि इन मसालों या जड़ी बूटियों का उपयोग करने वालों के स्वास्थ्य पर इसका अत्यन्त विपरीत असर पड़े।

अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनें सख्त नियम

यही वजह है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि इतने शिथिल मानक लागू करना किसी भी तरह से उचित नहीं है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने मांग की देश में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सख्त कीटनाशक नियम लागू किए जाने चाहिए। इसके साथ ही साथ ही, उन्होंने किसानों को जल्द से जल्द जैविक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करने की बात कही।

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