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FTP का लक्ष्य 2030 तक निर्यात 2 ट्रिलियन डालर तक ले जाना, बर्थवाल ने की नई नीति के छह बिंदुओं पर चर्चा

भारत सरकार की शुक्रवार 31 मार्च को घोषित फारेन ट्रेड पालिसी (FTP) आज से लागू हो गई है। उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इसकी खासिय़तों पर प्रकाश डाला।

राज एक्सप्रेस। भारत सरकार की शुक्रवार 31 मार्च को घोषित फारेन ट्रेड पालिसी (FTP) आज से लागू हो गई है। नई फारेन ट्रेड पालिसी के माध्यम से घरेलू स्तर पर विनिर्माण को बढ़ा्वा देने और उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया है। नई नीति में सन 2030 तक विदेश व्यापार को दो ट्रिलियन डालर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। नई नीति में डालर के मुकाबले रुपए में लेन-देन को प्रोत्साहित करने की भी बात कही गई है।

भारतीय मुद्रा में ट्रेड को प्रोत्साहित करने की योजना

हाल के दिनों में दुनिया के 18 देशों ने भारत के साथ रुपए में द्विपक्षीय व्यापार में दिलचस्पी दिखाई है, यही वजह है नई फारेन ट्रेड पालिसी में भारतीय मुद्रा में ट्रेड को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है। नई फारेन ट्रेड पालिसी पर प्रतिक्रिया करते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि वित्तवर्ष 2022-23 में हमारा अनुमान था कि गुड्स एंड सर्विसेज से हम 750 अरब डालर का निर्यात हासिल कर लेंगे। फरवरी के आंकड़े आए तो लगा कि हम 760 अरब डालर का आंकड़ा पकड़ सकते हैं। लेकिन जब ताजा आंकड़े देखे तो लगा कि यह आंकड़ा 765 अरब डालर सीमा को पार कर सकता है। उन्होंने कहा अवसर बहुत हैं, हमें योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ना होगा। नई फारेन ट्रेड पालिसी निर्यात से जुड़ी योजनाओं का नीति दस्तावेज है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान से निर्यात को बढ़ावा

उन्होंने कहा हमारे सामने संभावनाएँ बहुुत हैं। हमें योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ना है। पीएम नरेंद्र मोदी की संकल्पना के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हाल के दिनों में घरेलू स्तर पर विनिर्माण सुविधाओं का विकास हुआ है। प्रायः सभी क्षेत्रों में तेजी से काम शुरू किए गए हैं। आज प्रतिरक्षा से लेकर सभी क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी गतिविधियां बढ़ी हैं। भारत में अगले दिनों में विनिर्माण से जुड़ी बड़ी गतिविधिय़ों का केंद्र बनने वाला है। यह हमारा सौभाग्य है कि हम बदलाव के बड़े दौर के गवाह हैं। हमने निर्यात बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित किया है। हमारे सामने अगला लक्ष्य है कि 2030 तक भारत एक ट्रिलियन डालर विभिन्न उत्पादों के निर्यात से और एक ट्रिलियन डालर सेवा निर्यात से हासिल किए जाएं। हमें विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। मुझे पूरी उम्मीद है कि 2030 तक तेजी से विकसित होते हुए सेवा क्षेत्र एक ट्रिलियन का आंकड़ा जल्द ही हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अगले चार-पांच माह में विदेशों में भारतीय मिशनों को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर लक्ष्य केंद्रित, वैश्विक पहुंच बनाने का प्रय़ास किया जाएगा।

बर्थवाल ने नई नीति के 6 बिंदुओं पर डाला प्रकाश

FTP 2023 के पीछे प्रमुख सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए, केंद्रीय वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने छह बिंदुओं पर प्रकाश डाला। नई नीति के छह बिंदु हैं। पहला परंपरागत 5 साल की एफटीपी की परंपरा को तोड़ना है, ताकि सनसेट क्लॉज के बिना एक गतिशील विदेश व्यापार नीति की शुरूआत करना है, जिसमें निर्यात क्षेत्र का सूरज कभी अस्त नहीं होता हो। फारेन ट्रेड पालिसी को व्यावहारिक बनाया गया है ताकि जमीनी प्रतिक्रिया के आधार पर इसमें जरूरत पड़ने पर जब-तब जरूरी बदलाव किए जा सकें। सुनील बर्थवाल ने कहा कि हम एक गतिशील दुनिया में रह रहे हैं। ऐसे में हमारी नीतियां रिजिड नहीं हो सकती हैं। उन्होंने कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए व्यवधानों का हवाला देते हुए कहा कि जहां कहीं नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता हो हमें तेजी से हस्तक्षेप करने की जरूरत है। उन्होंने नीति की ओर इशारा करते हुए कहा कि नीति की बहुत स्पष्ट दिशा होनी चाहिए। नई फारेन ट्रेड पालिसी में सब्सिडी आधारित गतिविधियों की जगह प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया है। इस नीति में एक विकेंद्रित दृष्टि अपनाई गई है, ताकि ई-कॉमर्स के माध्यम से विभिन्न जिलों को जोड़कर समावेशी विकास की बुनियाद रखी जा सके। इस नीति में विभिन्न देशों के साथ रुपए में कारोबार करने को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बर्थवाल ने कहा कि अगर किसी देश में डॉलर की कमी है, तो हम उनके साथ रुपये में व्यापार करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार में भारत भी अपनी डिजिटल भुगतान प्रणाली का लाभ उठा रहा है।

विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाना लक्ष्य

बर्थवाल ने कहा कि एफटीपी एक व्यवहारिक नीति दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि 30 फीसदी की उच्च दर से सेवा निर्यात बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विकास की गुंजाइश बहुत स्पष्ट है। मर्चेंडाइज निर्यात में हमारी वैश्विक हिस्सेदारी बमुश्किल 1.8 फीसदी है, जबकि सेवा क्षेत्र में यह 4 फीसदी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए हम 7-10 फीसदी के बीच बढ़ सकते हैं। माल और सेवाओं के निर्यात के अलावा, नई फारेन ट्रेड पालिसी में ई-कॉमर्स जैसे नए क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा जल्दी ही ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात की सुविधा के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत के बाद इस मामले में जरूरी दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे। विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि अकेले ई-कॉमर्स निर्यात में 2030 तक 200-300 अरब डॉलर तक बढ़ने की क्षमता है। नई नीति में निर्यातकों को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से इनपुट और कच्चे माल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देना जारी रखी जाएगी। नई ट्रेड पालिसी में 4 नए शहरों को टाउन्स आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस (टीईई) की सूची में जोड़ा है। इस सूची में 39 शहर पहले से मौजूद हैं। चार नए शहरों में परिधान के लिए फरीदाबाद, हस्तशिल्प के लिए मुरादाबाद, हस्तनिर्मित कालीनों के लिए मिर्जापुर और हथकरघा और हस्तशिल्प के लिए वाराणसी को टाउन्स आफ एक्सीलेंस में जोड़़ा गया है। टीईई सुविधा वैश्विक मान्यता में मदद करती है, विपणन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, और सामान्य सेवा प्रदाता सुविधा प्रदान करती है जो निर्यात के लिए पूंजीगत वस्तुओं के सामान्य उपयोग को सक्षम करके प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद करती है।

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