Toyota Innova Highcross
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गडकरी ने लांच की एथेनॉल से चलने वाली टोयोटा इनोवा हाईक्रास, एक लीटर में 20 किमी का एवरेज

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज शत-प्रतिशत एथेनॉल से चलने वाली कार टोयोटा इनोवा हाईक्रास लांच कर दी है। यह कार पर्यावरण के लिहाज से बेहद उपयोगी है।

हाइलाइट्स

  • दिल्ली में लांच की गई शत-प्रतिशत एथेनॉल फ्यूल से चलने वाली कार टोयोटा इनोवा हाईक्रॉस

  • यह कार दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल का प्रोटोटाइप है

  • इथेनॉल गन्ना, कई अनाजों और पौधों से बनाया जाने वाला बायो फ्यूल है, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं करता

राज एक्सप्रेस । केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज शत-प्रतिशत एथेनॉल से चलने वाली कार टोयोटा इनोवा हाईक्रास लांच कर दी है। एथेनाल से चलने वाली यह कार पर्यावरण के लिहाज से बेहद उपयोगी है। साथ ही इसे चलाना भी पेट्रोल की तुलना में सस्ता है। बाजार में एथेनॉल 60 रुपये प्रति लीटर मिलता है, जबकि पेट्रोल इसकी तुलना में काफी महंगा है। टोयोटा की इनोवा हाईक्रॉस कार शत-प्रतिशत एथेनॉल से चलती है। यह दुनिया की पहली इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार का प्रोटोटाइप है। नितिन गडकरी ने आज यहां दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा विकसित बीएस-6 (स्टेज-2) इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स फ्यूल वेहिकल का प्रोटोटाइप लॉन्च किया।

कार बीएस6 स्टेज-2 के मानकों के अनुसार विकसित

इस कार को बीएस6 स्टेज-2 के मानकों के अनुसार विकसित किया गया है। इस बहुप्रतीक्षित कार को नई दिल्ली में आयोजित एक इवेंट में लांच किया गया। यह कार हाइब्रिड सिस्टम के लिए फ्लेक्स फ्यूल से 40 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी जेनेरेट कर सकती है। लांच के अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एथेनॉल की कीमत 60 रुपए प्रति लीटर है, यह कार 20 किमी प्रति लीटर का माइलेज देती है। यह पेट्रोल की तुलना में ज्यादा सस्ती पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि यह एथेनॉल पेट्रोल की तुलना में कहीं अधिक किफायती है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हम तेल के आयात पर हर साल 16 लाख करोड़ रुपए खर्च करते हैं। यह ईंधन पेट्रोलियम के आयात पर होने वाले खर्च को बचा सकता है। अगर हमें आत्मनिर्भर बनना है, तो हमें तेल के आयात को जीरो पर लाना होगा।

तेल के आयात पर हर साल खर्च होते हैं 16 लाख करोड़

गड़करा ने कहा हम तेल के आयात पर हर साल 16 लाख करोड़ रुपए खर्च करते हैं। यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बोझ है। अगर यह खर्च बच पाए तो देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करेगा। टोयोटा के अलावा मारुति भी फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों पर काम कर रही है। कंपनी ने इस साल जनवरी में ऑटो एक्सपो में वैगन आर प्रोटोटाइप को पेश किया था। यह कार 85 फीसदी एथेनॉल मिक्स फ्यूल पर चल सकती है। एथेनॉल शुगर और स्टार्च के फर्मेंटेशन से बनता है। एथेनॉल दरअसल, एक तरह का अल्कोहल होता है, जिसे स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से तैयार किया जाता है।

एथेनॉल से सुधरेगा पर्यावरण, मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था

एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से किया जाता है। लेकिन मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है। प्रथम जेनेरेशन एथेनॉल गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू मीठा ज्वार और मक्का से बनाया जाता है। जबकि, सेकेंड जेनेरेशन एथेनॉल चावल की भूसी, गेंहू की भूसी, भुट्टा, बांस और वुडी बायोमास से बनाया जाता है। थर्ड जेनेरेशन बायोफ्यूल एल्गी से बनाया जाता है। पेट्रोल के स्थान पर एथेनॉल का प्रयोग अभी प्रायोगिक स्तर पर है। अगर इस परियोजना को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया जाए तो देश की अर्थव्यवस्था पर से तेल आयात के रूप में बहुत बड़ा दबाव हट जाएगा। एथेनॉल का उत्पादन गन्ने से होता है। इससे गन्ना उत्पादक किसानों की हालत सुधर जाएगी। हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आ जाएगा।

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