भारतीय शेयर बाजार में ऊंचे मूल्यांकन पर सेबी प्रमुख बुछ ने दिया तर्कपूर्ण जवाब
भारतीय बाजार महंगा हैं, सोचने की बात है इस स्थिति में भी विदेशी निवेश क्यों आ रहा
यह स्पष्ट संकेत है कि वैश्विक निवेशक भारत के भविष्य को लेकर सकारात्मक हैं
विदेशी निवेशकों को अर्थव्यवस्था में मजबूत विकास की संभावनाएं दिखाई दे रही है
राज एक्सप्रेस । भारतीय शेयर बाजार शेयरों के मूल्य के आधार पर जनवरी के अंत में हांगकांग को पछाड़कर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन गया है। इसके साथ ही भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। आपको बता दें कि उच्च मूल्य-आधार अनुपात (पीई रेशियो) इस बात का संकेत हो सकता है कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य उसकी कमाई के मुकाबले ज्यादा है। वहीं, कम पीई अनुपात यह दर्शाता है कि कंपनी का शेयर मूल्य उसकी कमाई के हिसाब से कम है।
सीआईआई के 17वें वार्षिक कॉर्पोरेट गवर्नेंस समिट में सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने इस पर टिप्पणी करते हुए एक तर्कपूर्ण जवाब दिया है। उनका कहना है कि भारतीय बाजार में ऊंचा पीई अनुपात वैश्विक निवेशकों की आशावादी सोच और भारत के प्रति भरोसे को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह मूल्यांकन दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत गति का संकेतक है। हालांकि, उन्होंने पिछले महीने बाजार के कुछ क्षेत्रों में हेराफेरी के संकेत मिलने की बात भी कही थी, जिसके बाद स्मॉल-कैप शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी।
उन्होंने सीआईआई के 17वें वार्षिक कॉर्पोरेट गवर्नेंस समिट में कहा यह सच है कि हमारे बाजार में पीई अनुपात न केवल विश्व सूचकांकों के औसत 22.2 से अधिक है, बल्कि विभिन्न देशों के साथ तुलना करने पर भी अधिक है? हां, कुछ लोग कहते हैं कि हम महंगा बाजार हैं, लेकिन फिर सोचने की बात यह है इस स्थिति में भी विदेशी निवेश क्यों आ रहा है? यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वैश्विक निवेशक भारत के भविष्य को लेकर सकारात्मक हैं और उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत विकास की संभावना दिखाई दे रही है।
यही कारण है कि हमारे बाजार में ऊंचे मूल्य देखने को मिल रहे हैं। माधुरी पुरी बुच ने कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह तथा ऊर्जा खपत का डेटा भी भारतीय अर्थव्यवस्था की गति को सकारात्मक रूप से दर्शाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जीएसटी संग्रह, जो शुरुआत में औसतन 1 लाख करोड़ रुपये महीना हुआ करता था, आज बढ़कर लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह बढ़ोतरी वैश्विक निवेशकों के लिए भारत की आर्थिक मजबूती का सकारात्मक संकेत देती है।
माधुरी पुरी बुच ने कहा आर्थिक विकास के आंकड़े भारतीय शेयर बाजारों में परिलक्षित हो रहे हैं और यही वजह है कि शेयर बाजार सूचकांक तेजी से ऊपर जा रहे हैं। उन्होंने कहा यदि आप पिछले 10 सालों के आंकड़ों को देखें, तो बाजार पूंजीकरण 74 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अब जीडीपी के बराबर हो गया है। इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत का वेट 6.6 से बढ़कर 16.6 हो गया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि वैश्विक बाजार में भारत की मौजूदगी लगातार मजबूत हो रही है।
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