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एक साल में 9500 रुपये महंगा हुआ सोना, जानिए क्यों है इतनी तेजी क्या इस लेवल पर भी किया जाना चाहिए निवेश?

बाजार की अनिश्चितता से सुरक्षा के लिए भारतीय निवेशक हमेशा से ही सोने में निवेश करना पसंद करते रहे हैं। हाल के दिनों में सोने ने अच्छा रिटर्न दिया है।

राज एक्सप्रेस। बाजार की अनिश्चितता और महंगाई से सुरक्षा के लिए निवेशक हमेशा से ही सोना और चांदी में निवेश करते रहे हैं। भारत जैसे देश में सोना निवेश का सबसे विश्वसनीय विकल्प है। यही वजह है मौजूदा अनिश्चितता वाले आर्थिक माहौल में सोने ने तेजी के सभी रिकॉर्ड ब्रेक तोड़ दिए हैं। सोना पहली बार 61 हजार रुपए की सीमा को पार कर गया है। इस सोना 60800 रुपये प्रति 10 ग्राम के आस पास ट्रेड कर रहा है। सोने के भाव में एक साल में करीब 9500 रुपये की तेजी आ चुकी है। निवेशकों के बीच इस समय सबसे ज्यादा सवाल किया जा रहा है कि इतना महंगा होने के बाद भी क्‍या सोने में अब भी निवेश की संभावना बनी हुई है। बाजारों में अनिश्चितता अब भी कायम है, महंगाई का स्तर उच्च स्तर पर बना हुआ है। इसके साथ ही भू-राजनीतिक स्थतियां लगातार तनाव बढ़ाने पाली हैं।

इस साल सोना हो सकता है 65 हजारी

सोने में निवेशकों को बीते एक साल में जमकर रिटर्न दिया है। 1 साल के दौरान सोना 51,500 रुपये से बढ़कर करीब 61000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया। यानी हर 10 ग्राम के निवेश पर सिर्फ 1 साल में 9500 रुपये का या 20 फीसदी रिटर्न मिला है। असल में इस दौरान सोना जहां महंगाई के खिलाफ हेजिंग के रूप में डिमांड में रहा है, वहीं बाजार की अनिश्चितता में यह सेफ हैवन साबित हुआ है। वर्तमान में ग्‍लोबली आर्थिक वातावरण अनिश्चितता से भरा है और रिजर्व करेंसी के रूप में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को चुनौती दी जा रही है। यह स्थिति निवेशकों के लिए सोने को एक आकर्षक विकल्प के रूप में स्थापित करती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2023 के अंत तक सोना 65,000 के स्तर की ओर बढ़ सकता है। इस लिए किसी पोर्टफोलियो में सोने का एक बैलेंस वेटेज होना जरूरी है, जिसे समय-समय पर बढ़ाया भी जा सकता है। अभी की बात करें तो एमसीएक्स या भारतीय बुलियन मार्केट में, सोने की कीमतें पहले से ही हाई लेवल पर हैं, लेकिन फिलहाल जो स्थितियां दिखाई दे रही हैं, उसमें तेजी का ट्रेंड आगे भी जारी रहने वाला है।

आगे भी जारी रहेगा सोने में तेजी का दौर

अमेरिकी सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व इस साल की दूसरी छमाही से पहले अपनी एग्रेसिव मॉनेटरी पॉलिसी के रुख को खत्‍म कर सकता है। साल 2000 में जब फेडरल रिजर्व ने ब्‍याज दरों पर पॉज लगाया था, तब सोने की कीमत में 55 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी, वहीं जब 2006 में पॉज लगा तो सोना 230 फीसदी चढ़ गया था। ध्यान देने की बात है कि जब-जब पाज लगाया, तो सोने के दामों में तेजी आई। फेडरल रिजर्व ने 2008 में पॉज लगाया था तब सोने में 70 फीसदी तेजी दर्ज की गई थी। इस बार भी अमेरिकी फेडरल रिजर्व पॉज लगाने जा रहा है, पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए माना जा रहा है कि आगे भी सोने के दामों में तेजी आने की उम्‍मीद है। आगे ब्‍याज दरों में कटौती की भी संभावना है, जिसका मतलब है कि वास्तविक ब्याज दरें कम रहेंगी, जिससे सोने के लिए एक आकर्षक वातावरण तैयार होगा। इस मौद्रिक नीति परिवर्तन के दौरान बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी, लेकिन सोना एक एंकर के रूप में काम कर सकता है इस लिए इसके दाम अग्रगामी बने रहने वाले हैं।

केंद्रीय बैंक भी बढ़ा रहे सोने का रिजर्व

सोने के भाव में लगातार तेजी की एक वजह केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी भी है। केंद्रीय बैंक अनिश्चितता के दौर में सोने का रिजर्व बढ़ा रहे हैं, क्‍योंकि सोना, मुद्रा की तरह ही एक बेहद सुरक्षित और लिक्विड एसेट है जो डाइवर्सिफिकेशन का लाभ देता है। पिछले साल वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने रिकॉर्ड 1136 टन सोना खरीदा था। इस साल अब तक, केंद्रीय बैंकों ने 125 टन सोना खरीदा है, जो एक दशक से भी अधिक समय में एक साल की सबसे मजबूत शुरुआत है। यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने का अनुमान है और सेंट्रल बैंकों की ओर से लगातार की जाने वाली मांग से बाजार में सोने को सपोर्ट मिलेगा। हाल के दिनों में कोरोना महामारी की वापसी होती दिख रही, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है, अन्य भूराजनीतिक दबावों ने दुनिया में कारोबारी गतिविधियों पर दबाव बनाया है। कमोडिटी की कीमतों में उछाल, करेंसी वार, महंगाई में बढ़ोतरी आदि के चलते 2022 में कई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के हालात बन गए थे। दुनिया इनके प्रभावों से अब तक मुक्त नहीं हो सकी है। यही वजह है कि आम निवेशकों के साथ-साथ बैंकिंग संस्थानों ने भी सोने में निवेश को प्रोत्साहित किया है।

गोल्ड ईटीएफ भी निवेश का एक बेहतरीन विकल्‍प

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ): जो लोग असली सोना और चांदी रखने की परेशानी से बचना चाहते हैं, उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प गोल्‍ड ईटीएफ है। मार्च में ग्‍लोबली गोल्ड ईटीएफ में 32 टन का शुद्ध फ्लो रहा है। मार्च के अंत तक, सभी गोल्ड ईटीएफ का कुल एयूएम 10 फीसदी बढ़कर 220 अरब डॉलर हो गया था। वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल यानी डब्ल्यूजीसी के अनुसार ग्‍लोबल लेवल पर हाई लेवल की महंगाई के चलते निवेशक अपने धन की सुरक्षा के चलते भी सोने में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत में सोने के निवेश के दो सबसे आम तरीके हैं। कोई सोने का आभूषण खरीदता है या कोई बाजार से सोने का सिक्का घर में लाकर रखता है। लेकिन गोल्ड ईटीएफ में सोने में निवेश करने का सबसे सुरक्षित और सबसे किफायती तरीका है। ऐसा इसलिए, क्योंकि फिजिकल गोल्ड में कई अशुद्धियां भी हो सकती हैं, लेकिन गोल्ड ईटीएफ में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यह आपको बिना फिजिकल फॉर्म में गोल्ड को रखे, आपको निवेश करने का मौका देता है। एक गोल्ड ईटीएफ यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है। गोल्ड ईटीएफ का कारोबार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर होता है।

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