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जीएसटी परिषद ने मोटे अनाजों के आटे से बने खाने पर 18 से घटाकर पांच प्रतिशत की जीएसटी की दर

जीएसटी काउन्सिल की 52वीं बैठक में मोटे अनाज के आटे से बने खाने पर जीएसटी की दर को मौजूदा स्तर से घटाकर नीाचे लाने का निर्णय लिया गया है।

हाईलाइट्स

  • जीएसटी काउन्सिल की बैठक में मोटे अनाज को बताया गया बेहद पौष्टिक

  • मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने के लिए घटाई गयीं जीएसटी की मौजूदा दरें

  • फिटमेंट कमेटी ने आटा फॉर्म में मिलेट्स पर की थी जीएसटी दर घटाने की सिफारिश

राज एक्सप्रेस। जीएसटी काउन्सिल की 52वीं बैठक में मोटे अनाज के आटे से बने खाने पर जीएसटी की दर को मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का निर्णय लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी परिषद की शनिवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। फिटमेंट कमेटी ने आटा फॉर्म में मिलने वाले मिलेट्स पर जीएसटी दर घटाने की सिफारिश की थी। इस यह पहले से माना जा रहा था कि जीएसटी काउन्सिल बैठक में मोटे अनाज पर जीएसटी की दर कम कर दी जाएगी। मोटे अनाज के तहत बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां, चना, जौ आदि आते हैं। मोटे अनाज अपने पोषक तत्वों की वजह से ग्रामीण इलाकों में आज भी काफी इस्तेमाल किए जाते हैं। पहले ज्यादातर ग्रामीण समाज के लोग इन्हीं अनाजों को खाकर अपना गुजर-बसर करते थे।

राजस्तान मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक

मोटे अनाजों का उत्पादन भारत के लगभग सभी राज्यों में किया जाता है। राजस्थान में इनका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक आज सुबह 10 बजे से सुषमा स्‍वराज भवन में शुरू हुई। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी बैठक में शामिल हुए। जीएसटी काउन्सिल की पिछली बैठक में कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्सेशन में स्पष्टता के लिए जीएसटी कानून में संशोधन को मंजूरी दी गई थी। उस बैठक में कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर बेट की कुल फेस वैल्यू पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया गया था।

मोटे अनाज में आते हैं बाजरा, ज्वार, कोदो, सवां व जौ

जीएसटी काउंसिल ने मोटे अनाज (मिलेट्स) के आटे से बने खाने पर जीएसटी की दर को मौजूदा 18% से घटाकर 5% करने का फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी ​परिषद की शनिवार को हुई 52वीं बैठक में मोटे अनाज पर जीएसटी की दर कम करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि इस फैसले का अनुमान पहले से लगाया जा रहा था, क्योंकि फिटमेंट कमेटी ने आटा फॉर्म में मिलने वाले मिलेट्स पर जीएसटी घटाने की सिफारिश की थी। मोटे अनाज के तहत बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां, चना, जौ आदि आते हैं। मोटे अनाज अपने पोषक तत्वों की वजह से काफी पंसद किए जाते हैं। मोटे अनाज का उत्पादन भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है, लेकिन राजस्थान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रही है।

सुषमा स्‍वराज भवन में 10 बजे शुरू हुई बैठक

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज सुबह दस बजे जीएसटी काउंसिल की बैठक सुषमा स्‍वराज भवन में शुरू हुई। बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी शामिल हुए। जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर करों में स्पष्टता के लिए जीएसटी कानून में संशोधन करने को मंजूरी दी गई थी। उस बैठक में कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर बेट की कुल फेस वैल्यू पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय लिया गया था।

हर माह खजाने में आते हैं 1.5 लाख करोड़ रुपये

देश में कर की चोरी और टैक्स पर नियंत्रण करने के लिए 1 जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू की गई थी। जीएसटी का पूरा नाम माल एवं सेवा कर है। इसे अप्रत्यक्ष कर में सुधार के रूपर में लाया गया है। शुरुआती दौर में देश में केवल 85,000-95,000 करोड़ रुपये जीएसटी का ही कलेक्शन होता था। वहीं, अप्रैल, 2023 में यह कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यह अभी तक का सबसे उच्च स्तर है। जीएसटी लागू करने के बाद से देश के राजस्व में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। माल एवं सेवा कर के रूप में हर माह सरकारी खजाने में 1.5 लाख करोड़ रुपये आते हैं।

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