हिंदुस्तान जिंक अगले 3 माह में सरकार के माध्यम से करेगी ऑफर फॉर सेल की घोषणा

हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने बताया कि कंपनी के लिए ऑफर फॉर सेल की घोषणा अगले तीन माह में सरकार के माध्यम से की जाएगी।
अरुण मिश्रा, हिंदुस्तान जिंक सीईओ
अरुण मिश्रा, हिंदुस्तान जिंक सीईओRaj Express

हाईलाइट्स

  • हिंदुस्तान जिंक ने 2023 में रखा था कॉर्पोरेट पुनर्गठन का प्रस्ताव

  • इसमें जस्ता, सीसा, चांदी के लिए अलग कार्यक्षेत्र स्थापित करना था

  • कंपनी के अनुसार इससे बढ़ेगी दक्षता, सरकार का मत इससे विपरीत

राज एक्सप्रेस। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अरुण मिश्रा ने कहा कि कंपनी के लिए ऑफर फॉर सेल की घोषणा अगले तीन माह में सरकार के माध्यम से की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने सितंबर 2023 में एक कॉर्पोरेट पुनर्गठन का प्रस्ताव रखा था। कार्पोरेट पुनर्गठन का लक्ष्य जस्ता, सीसा, चांदी और रिसाइक्लिंग संचालन के लिए 3 अलग अलग कार्यक्षेत्र स्थापित करना था। अरुण मिस्र ने बताया यह रणनीति, परिचालन दक्षता बढ़ाने और मुख्य कारोबारी सेक्टर पर केंद्रित रहने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

खननकर्ता के विभिन्न इकाइयों में विभाजित होने के प्रस्ताव को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है।सरकार अरुण मिश्र के दृष्टिकोंण के विपरीत यह मानती है कि इससे समस्याएं बढ़ जाएंगी। अरुण मिश्रा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार मौजूदा तिमाही में प्रस्तावित ऑफर फॉर सेल या ओएफएस पर आगे बढ़ेगी। ओएफएस के अभाव में प्रस्तावित डीमर्जर का क्या होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा, यह एक चूका हुआ अवसर होगा, क्योंकि मेटल की कीमतों ने इस समय एक बेहतर अवसर पेश किया है।

ऑफर ऑर सेल यानी ओएफएस प्रस्ताव एक ऐसा उपाय है, जिसके माध्यम से एक सूचीबद्ध कंपनी में उसके प्रवर्तक पारदर्शी तरीके से अपने शेयर सीधे जनता को बेचते हैं। बता दें कि वेदांता के स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान जिंक देश में जिंक की सबसे बड़ी उत्पादक है। इस कंपनी में वेदांता की 64.92% हिस्सेदारी है, जबकि सरकार की 29.54% हिस्सेदारी है। यही वजह है कि इस कंपनी के पुनर्गठन के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत पड़ेगी।

खननकर्ता के विभिन्न इकाइयों में विभाजित होने के प्रस्ताव को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार को संदेह है कि ऐसा करने से शेयरधारक मूल्य में बढ़ोतरी हो सकती है। हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा सरकार की राय से अलग जाते हुए कहते हैं, बाजार अब विनिवेश के लिए पूरी तरह से तैयार है। विनिवेश की प्रक्रिया अब पूरी कर ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार विनिवेश प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरी करेगी, क्योंकि हम लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2022 में सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी थी। शेयरधारकों के पास 26% तक अधिकार बरकरार हैं। सरकार की योजना कंपनी में अपनी केवल 3.5% हिस्सेदारी बेचने की है। वहीं हिंदुस्तान जिंक ने मार्च 2024 तिमाही के लिए अपने पीएटी में 21 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में कारोबार के दौरान जिंक की कम कीमतों ने कंपनी के लाभ को प्रभावित किया है।

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