इन्फोसिस से LIC, FPIs और म्यूचुअल फंड कितने होंगे प्रभावित?

इन्फोसिस का झटका लगेगा कई निवेशकों पर, सेलऑफ से इंश्योरेंस कंपनी पर पड़ेगा असर, सितंबर तक रही इनकी बड़ी हिस्सेदारी, व्यक्तिगत निवेशकों का कंपनी में 10 प्रतिशत हिस्सा।
इन्फोसिस से LIC, FPIs और म्यूचुअल फंड कितने होंगे प्रभावित?
इन्फोसिस से LIC, FPIs और म्यूचुअल फंड कितने होंगे प्रभावित?Neha Shrivastava - RE

हाइलाइट्स:

  • इन्फोसिस का झटका लगेगा कई निवेशकों पर!

  • सेलऑफ से इंश्योरेंस कंपनी पर पड़ेगा असर

  • सितंबर तक रही इनकी बड़ी हिस्सेदारी

  • व्यक्तिगत निवेशकों का कंपनी में 10 प्रतिशत हिस्सा

राज एक्सप्रेस। बाजार में इन्फोसिस को लग रहे झटकों के बाद अब यह सवाल अहम हो गया है कि इस कंपनी के कारण दूसरे विनियोग कितना प्रभावित होंगे बजाए इसके कि इन्फोसिस संभलेगी या नहीं? आर्थिक अनियमितता की शिकायत से कंपनी को बड़ा नुकसान पहुंचा है। ऐसे में आशंकाएं प्रबल हो रही हैं कि, इन्फोसिस की सेलऑफ से LIC, FPIs और म्यूचुअल फंड्स को प्रभाव पड़ेगा।

भारत में सबसे बड़ा संस्थाभूत विनियोगकर्ता जीवन बीमा निगम (LIC), फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्वेस्टर्स (FPI) और टॉप म्यूचुअल फंड्स समूह को इन्फोसिस के कारण झटका लगा है। दरअसल व्हिसिल ब्लोअर द्वारा शिकायत करने के बाद इन्वेस्टर्स ने इंफोसिस NSE -1.18% के शेयरों से हाथ खींचना शुरू कर दिया।

NSE-BSE पर 24 अक्टूबर को Infosys Ltd. 635.35 रुपया पर -15.25 नीचे (-2.34%) चल रहा था। साथी कंपनियों विप्रो, टेक महिंद्रा, टीसीएस, एचसीएल टेक को 6.84 की वृद्धि मिली। जांच की खबरों के बाद इन्फोसिस का शेयर टूट गया और गुरूवार को इन्फोसिस का शेयर 635.35 रुपया पर बंद हुआ।

इन्फोसिस के CEO सलिल पारेख और CFO नीलांजन रॉय पर कई तिमाहियों में गैर अधिकृत व्यवहार करने संबंधी कंपनी के कर्मचारी के पत्र के बारे में जानकारी लगने के बाद से इन्फोसिस का शेयर दबाव में आ गया।

इनका इतना :

ताजा शेयर होल्डिंग डाटा के मुताबिक LIC के पास इन्फोसिस के 25.81 करोड़, या इन्फोसिस में सितंबर 2019 तक 6.06 फीसदी का हिस्सा था। निजी जीवन बीमाकर्ता ICICI प्रूडेंशियल लाइफ इन्श्योरेंस कंपनी का 1.32 प्रतिशत स्टेक बताया गया।

टॉप म्यूचुअल फंड्स :

टॉप म्यूचुअल फंड्स की बात करें तो HDFC म्यूचुअल फंड, SBI म्यूचुअल फंड, ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड और UTI म्यूचुअल फंड के पास 30 सितंबर तक इन्फोसिस के 1 फीसदी से अधिक स्टेक थे। BSE के डाटा के मुताबिक म्यूचुअल फंड्स को मिलाकर ही इन्फोसिस में तकरीबन 55 करोड़ या फिर 12.92 फीसदी शेयर्स की भागीदारी है।

ये नामी नाम-

FPIs की इन्फोसिस में 33.51 हिस्सेदारी है। सिंगापुर सरकार, वानगार्ड, अबू धाबी और सरकारी पेंशन फंड इसके प्रमुख FPI शेयरधारकों में एक हैं।

निजी इन्वेस्टर्स :

व्यक्तिगत निवेशकों ने 30 सितंबर, 2019 तक कंपनी में लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी रखी।

"निवेशकों और व्यापारियों को इस गिरते चाकू को पकड़ने से बचना चाहिए।"

आशीष नंदा, EVP और बिजनेस हेड, कोटक सिक्योरिटीज़

इन्फोसिस में घालमेल की शिकायत में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर बगैर लाभ वाले बड़े सौदे करने के अलावा रेवेन्यु और कॉस्ट के बारे में लेखांकन के दौरान घालमेल का आरोप लगाया गया है। इस मामले में ऑडिटर्स और बोर्ड की भूमिका भी जांच के दायरे में नज़र आ रही है।

बिजनेस जगत के विश्लेषकों के मुताबिक इस शिकायत के समाचारों की सुर्खियां बनने से स्टॉक पर प्रेशर पड़ सकता है। यह दबाव तब तक कायम रह सकता है जब तक कंपनी मामले में स्पष्ट स्थिति में नहीं पहुंच जाती।

SEC ने शुरू की जांच :

शिकायत के बाद अमेरिकी सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने इन्फोसिस की जांच शुरू की है। अमेरिका का SEC विंग ज्यादा मुनाफा और रेवेन्यू कमाने के लिए कंपनी पर लगाए गए 'अनैतिक' आचरण का सहारा लेने के आरोपों की जांच कर रहा है। गौरतलब है इन्फोसिस न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्टेड है।

कंपनी ने कहा :

इन्फोसिस ने बताया है कि अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEC) ने CEO पारेख और CFO रॉय के बारे में मिली शिकायत पर जांच शुरू की है। बीएसई और एनएसई को दी गई जानकारी में इन्फोसिस ने बताया है कि कंपनी प्रतिभूति और विनिमय आयोग के साथ संपर्क में है। इन्फोसिस ने एसईसी की जांच के बारे में पूरा सहयोग करने का भरोसा दिया है।

ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग :

शिकायत के साथ ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग के प्रमाण भी जांच का विषय हैं। सूत्रों के मुताबिक शिकायकर्ताओं ने नियामकों को जो शिकायत भेजी है उसमें सबूतों को पुख्ता करने वॉयस रिकॉर्डिंग और कुछ अन्य प्रमाण भी अटैच हैं।

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