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जापानी आटो मेकर टोयोटा का विनिंग फार्मूला साबित होगा हाइड्रोजन कम्बस्शन इंजन, ईवी हो जाएंगे बीते युग की बात

टोएटा ने हाईड्रोजन कंबस्शन इंजन का विकास किया है। यह इंजन अगले दिनों में आटो इंडस्ट्री की तस्वीर को पूरी तरह बदल देगा।

राज एक्सप्रेस। जापानी वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा इन दिनों एक ऐसी तकनीक के विकास पर काम कर रही है, जो अगले दिनों में पूरी आटो इंडस्ट्री की तस्वीर तो बदल ही देगी, कार्बन न्यूट्रैलिटी का लक्ष्य हासिल करने में भी मददगार साबित होगी। टोयोटा ने हाइड्रोजन कम्बस्शन इंजन का विकास किया है। हाईड्रोजन कंबस्शन प्रणाली बेहतरीन ईंधन का स्रोत तो उपलब्ध कराती ही है, साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। हाईड्रोजन कम्बस्शन प्रणाली बेहद उपयोगी होने की वजह से अगले दिनों में इलेक्ट्रिक वेहिकल इंडस्ट्री के सामने बड़ी चुनौती पेश करने वाली है। माना जा रहा है कि हाइड्रोजन कम्बस्शन इंजन का विकास जापानी आटो मेकर के लिए विनिंग फार्मूला साबित हो सकता है।

आटो इंडस्ट्री को बदल देगी यह खोज

इन दिनों दुनिया के अधिकांश वाहन निर्माता अपने वाहनों को तेजी से डीजल-पेट्रोल की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने में लगे हुए हैं। जापानी आटो मेकर ने बिल्कुल अलग ही राह पकड़ी है। टोएटा ने इस समय अत्याधुनिक हाइड्रोजन कम्बैस्शन इंजन पर काम कर रही है, जो अगले दिनों में वाहन उद्योग को पूरी तरह से बदल देने वाला है। हाइड्रोजन कम्बैस्शन इंजन, इलेक्ट्रिक वेहिकल से केवल अलग ही नहीं है, बल्कि उसकी तुलना में कई गुना बेहतर भी है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल है।

कैसे काम करता है हाईड्रोजन कम्बस्शन इंजन

हाईड्रोजन कम्बैस्शन इंजन काम कैसे करता है और इसका आटो-मोबाइल इंडस्ट्री में क्या उपयोग है? ट्योटा द्वारा विकसित किया जाने वाला हाई्ड्रोजन कम्बैस्शन इंजन एक तरह की जादुई खोज है। यह ऊर्जा के अब तक ज्ञात स्रोतों में सबसे अधिक उपयोगी है। हम सभी जानते हैं कि अनियोजित औद्योगिक विकास की कीमत आज हमारी धरती को भुगतनी पड़ रही है। पर्यावरण संकट आधुनिक युग में एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। इस समस्या को बढ़ाने में वाहनों का अहम योगदान होता है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में 15 फीसदी कार्बन उत्सर्जन के लिए वाहनों को जिम्मेदार माना जाता है। हाई्ड्रोजन कम्बैस्शन इंजन भारत कार्बन उत्सर्जन घटाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि इसमें बिल्कुल प्रदूषण नहीं होता।

कार्बन उत्सर्जन घटाएगा यह प्रयोग

पर्यावरण संकट आज दुनिया के सामने मुंह बाए खड़ा है। ऐसे में टोएटा का यह प्रयोग हमारे प्लेनेट के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है। टोएटा द्वारा विकसित किया गया कम्बैस्शन इंजन वाहनों द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने के बड़े उपाय के रूप में सामने आया है। पर्यावरण संकट की वजह से इन दिनों इलेक्ट्रिक वाहन लोकप्रिय होने लगे हैं। पर्यावरण की दृष्टि से कम्बैस्शन इंजन अन्य इंजनों की तुलना में बेहद उपयोगी पाए गए हैं। ये हाइड्रोजन से चलते हैं और हाइड्रोजन हमारे पर्यावरण में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध है। इसकी खासियत है कि इसके ईंधन के रूप में रूपांतरण के दौरान कोई प्रदूषण भी नहीं होता है। यही वजह है नान-न्यूक्लियर ईंधन के रूप में, इसे अन्य सभी ईंधनों की तुलना में इसे सबसे ज्यादा उपयोगी पाया गया है। यह एक्जास्ट फ्री और नान टाक्सिक है। इसका भंडारण और परिवहन भी बहुत आसान है।

बार-बार चार्ज करने का झंझट नहीं

हाइड्रोजन चलित इंजन को इलेक्ट्रिक वेहिकल की तरह बार-बार चार्ज नहीं करना पड़ता है। हाइड्रोजन इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन की तरह बार-बार चार्ज नहीं करना पड़ता है। हाइड्रोजन इंजन में ऊर्जा पैदा करने के लिए फ्यूल सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो हाईड्रोजन को इलेक्ट्रिसिटी में बदल देता है। इसे इलेक्ट्रिक वाहन की तरह बार-बार चार्ज करने की जररत नहीं होती। ये फीचर्स साबित करते हैं कि हाइड्रोजन चलित इंजन तुलनात्मक रूप से सस्ता होने और तकनीक क्षम होने से इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के समक्ष कड़ी चुनौती पेश करेगा और जल्दी ही इसे पूरी तरह से खत्म कर देगा।

ईवी में मार्केट लीडर है टेस्ला

पूरी दुनिया में हर साल लाखों मिलियन टन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। टोएटा हमेशा से ही ईंधन के बेहतरीन रूपों की तलाश में काम करती रही है। ट्योटा ने 1997 से ही फासिल फ्यूल का विकल्प तलाशने का प्रयास शुरू कर दिया था। टोएटा के शोधकर्ताओं ने पाया कि तीन तरह के ईंधन भविष्य में फासिल फ्यूल का स्थान ले सकते हैं। पहला सोलर एनर्जी, दूसरी इलेक्ट्रकल एनर्जी तीसरी हाइड्रोजन एनर्जी। लंबे समय तक किए गए प्रयोगों में कंपनी ने पाया कि हाइड्रोजन आधारित ईंधन पर्यावरण के लिहाज से सबसे ज्यादा सुरक्षित है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसे बार-बार इलेट्रिक वेहिकिल की तरह चार्ज करने की भी जरूरत नहीं होती है।

2010 में मस्क ने शुरू किया था ईवी पर काम

एलन मस्क के नेतृत्व में टेस्ला ने 2010 में इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम शुरू किया था। टेस्ला का यह बदलाव लोगों को पसंद आया और टेस्ला देखते ही देखते बहुत बड़े वेंचर में तब्दील हो गई। आज के समय में ईवी में टेस्ला सबसे विश्वसनीय नाम है। पूरी दुनिया में इसका नाम है। टेस्ला के अलावा रिवयान, ल्यूसिड मोटर्स, बीवाईडी, एनआईओ और ऐसी ही बहुत सारी दूसरी कंपनियों ने भी इस क्षेत्र में काम शुरू कर दिया। फोर्ड, हुंडई और फाक्सवैगन जैसे बड़े नामों ने भी ईवी पर बड़े पैमाने पर निवेश किया है। ऐसे समय में जब पर्यावरण अनुकूल ईंधन की मांग बढ़ रही है, टोएटा ने हाईड्रोजन कम्बस्शन इंजन पर काम करके बिल्कुल नई दिशा में प्रगति शुरू की है।

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