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कस्टमर के प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट गायब होने पर आईसीआईसीआई बैंक पर 25 लाख जुर्माना

आईसीआईसीआई बैंक में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। बैंक ने कर्ज लेने वाले कस्टमर के बैंक में जमा मूल दस्तावेज खो दिए।

राज एक्सप्रेस । निजी क्षेत्र के देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। हुआ यह कि कर्ज लेने वाले कस्टमर के बैंक में जमा मूल दस्तावेज खो गए। कस्टमर यह मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनडीआरसी) के पास ले गया। जिसने इस लापरवाही के लिए बैंक को कड़ी फटकार लगाई और फिर 25 लाख रुपये का मुआवजा शिकायतकर्ता को देने का निर्देश दिया। आयोग ने कहा कि बैंक अपनी लापरवाहियां दूसरों पर नहीं डाल सकता।

होम लोन लेने की वजह बैंक के पास रखे थे दस्तावेज

यह मामला बेंगलुरु का है, जहां शिकायत के अनुसार, बैंक ने अप्रैल 2016 में एक ग्राहक का 1.86 करोड़ रुपये का होम लोन स्वीकृत किया था और सेल डीड समेत प्रॉपर्टी के अन्य मूल दस्तावेज अपने पास रख लिए थे। लेकिन बैंक की ओर से कर्ज लेने वाले व्यक्ति मनोज मधुसूदनन को उन दस्तावेजों की की स्कैन या सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई और पूछे जाने पर इनके खो जाने की बात कही गई। इसके बाद मधुसूदनन ने अपनी शिकायत कई बार बैंक अधिकारियों के पास दर्ज कराई, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर उन्होंने बैंकिंग लोकपाल का रुख किया।

बेंगलुरु से हैदराबाद के बीच कहीं खो गए दस्तावेज

शिकायतकर्ता मनोज मधुसूदनन ने बताया था कि दो महीने तक बैंक के पास जमा दस्तावेजों की स्कैन कॉपी न मिलने पर जब उन्होंने इसकी जानकारी लेनी चाही, तो जून 2016 में आईसीआईसीआई बैंक ने उन्हें सूचित किया कि दस्तावेज एक कूरियर कंपनी द्वारा बेंगलुरु से हैदराबाद में अपनी केंद्रीय भंडारण सुविधा तक ले जाते समय खो गए। बैंकिंग लोकपाल ने इस मामले में सितंबर 2016 में बैंक को निर्देश दिया कि मधुसूदनन को खोए हुए दस्तावेजों की डुप्लिकेट प्रति जारी की जाए, नुकसान के संबंध में एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित किया जाए और शिकायतकर्ता को सेवा में कमी के लिए 25,000 रुपये का भुगतान मुआवजे के तौर पर दिया जाए।

बैंक अपनी देनदारी कूरियर कंपनी पर नहीं थोप सकती

इसके बाद शिकायकर्ता मनोज मधुसूदनन ने इस मामले को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में ले जाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि दस्तावेजों की स्कैन प्रतियां मूल डॉक्युमेंट्स की जगह नहीं ले सकतीं। मधुसूदनन ने मानसिक पीड़ा और नुकसान के लिए 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की। सबूतों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने कहा सेवा में कमी के आधार पर बैंक से मुआवजा मांगना एक वैध दावा है। पीठासीन सदस्य सुभाष चंद्रा सेवाओं में कमी के मुआवजे की मांग वाली इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए कहा कि बैंक अपनी देनदारी को कूरियर कंपनी पर नहीं थोप सकता। एनसीडीआरसी ने आईसीआईसीआई बैंक को सेवाओं में कमी के लिए मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपये और मुकदमेबाजी के खर्च के रूप में 50,000 रुपये देने का भी निर्देश दिया।

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