ईरान-इजरायल युद्ध गहराया तो 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है कच्चा तेल

ईरान के इजराइल पर हमले के बाद संकट गहरा गया है। माना जा रहा है अगर युद्ध आगे बढ़ा तो इसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ना तय है।
ईरान-इजरायल युद्ध से बढ़ा कच्चा तेल में बढ़ोतरी का खतरा
ईरान-इजरायल युद्ध से बढ़ा कच्चा तेल में बढ़ोतरी का खतराRaj Express

हाइलाइट्स

  • ईरान ने इजरायल के ऊपर किया जबर्दस्त हमला

  • युद्ध के बीच कच्चे तेल के मल्य में दिखी गिरावट

  • अभी दिक्कत नहीं, युद्ध खिंचा तो बढ़ेगी मुश्किल

राज एक्सप्रेस । इजराइल पर ईरान के हमले के बाद मध्यपूर्व में संकट गहरा गया है। पिछले कुछ दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की वजह कच्चा तेल में तेजी देखने को मिल रही है। माना जा रहा है कि अगर यह युद्ध बड़ा रूप लेता है तो ब्रेंट क्रूड का मूल्य 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जा सकता है। हालांकि, इस बीच एशियाई बाजार में कच्चा गिरता दिखाई दिया है। पिछले कुछ दिनों में ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ने की वजह से कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। पिछले सप्ताह ब्रेंट क्रूड का मूल्य 6 माह के उच्च स्तर के करीब जा पहुंचा था।

युद्ध गहराया तो बेकाबू हो सकती हैं स्थितियां

जानकारों का मानना है कि फिलहाल कच्चा तेल आपूर्ति में कोई बाधा नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन अगर ईरान और इजराइल के बीच युद्ध लंबा खिंचा तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। तेल आपूर्ति के मार्गों पर आवागम में दिक्कत होने पर ही तेल के मूल्य में किसी तरह की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। अब अगले दिनों में तेल की कीमतें इस बात पर भी बहुत कुछ निर्भर करेंगी कि ईरान के हमले पर इजराइल किस तरह की प्रतिक्रिया करता है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध गहराने की स्थिति में निश्चित ही आवागमन में दिक्कतें पैदा होंगी और इसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ना तय है।

ओपेक कार्टेल का तीसरा अहम सदस्य है ईरान

विश्लेषकों का मानना है कि ईरान-इजरायल युद्ध की वजह से अगले दिनों में स्थितियां गहरा सकती हैं। ईरान के हमले पर इज़राइल की प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें निर्धारित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगी। पिछले सप्ताह के अंत में, ब्रेंट क्रूड की कीमत 92.18 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर जा पहुंची थी, जो अक्टूबर के बाद का शीर्ष स्तर है। लेकिन बाद यह गिरकर 90.45 डॉलर के आसपास आ गई है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के मुताबिक, ईरान ओपेक तेल उत्पादकों के कार्टेल का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है। ईरान दुनिया का 7वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ओमान और ईरान के बीच स्थित जलडमरूमध्य एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है।

जलडमरूमध्य का रास्ता बंद होने पर प्रभावित होगी आपूर्ति

ओमान और ईरान के बीच स्थित जलडमरूमध्य एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है। दुनिया की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 20% हिस्सा इसी मार्ग से हो कर गुजरता है। विश्लेषकों का मानना है कि तेल की कीमतों में तेजी के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि ईरान और ईजराइल के बीच शुरू हुए युद्ध का होर्मुज जलडमरूमध्य मार्ग पर शिपिंग किस मात्रा में प्रभावित होती है। ओपेक के अन्य सदस्य सऊदी अरब, ईरान, यूएई, कुवैत और इराक अपने निर्यात किए जाने वाले अधिकांश कच्चे तेल को जलडमरूमध्य से भेजते हैं। शनिवार को, ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरते समय इजराइल के एक वाणिज्यिक जहाज को जब्त कर लिया है। ईरान-इजरायल युद्ध का असर अगले दिनों में इस मार्ग से कच्चे तेल के आवागमन को प्रभावित कर सकता है।

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