आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में वृद्धि का अनुमान 20 बीपीएस बढ़ाकर 6.3% किया
हाईलाइट्स
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को जारी की अपनी अक्टूबर 2023 विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट
आईएमएफ ने चीन में रियल एस्टेट संकट, अस्थिर कमोडिटी कीमतों, और मुद्रास्फीति पर चिंता जताई
आईएमएफ ने भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान को पहले के 6.1% से संशोधित कर 6.3% किया
राज एक्सप्रेस। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने भारत में विकास की गति 0.2 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 2023 और 2024 में 6.3% के स्तर पर मजबूत बने रहने का अनुमान जताया है। आईएमएफ ने अपने बयान में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 5.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जबकि जीडीपी वृद्धि का 6.5% रहने का अनुमान जताया है।
आईएमएफ ने संतोष प्रकट किया कि मौद्रिक नीति अनुमान मध्यम अवधि में भारतीय केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के अनुरूप हैं। आईएमएफ ने कहा वित्त वर्ष 2024 और 2025 में देश का चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.8% रहने की अनुमान है। वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दोनों ने वित्तवर्ष 24 के लिए अपने 6.5% जीडीपी वृद्धि अनुमान को बरकरार रखा है।
कम और असमान बना हुआ है वैश्विक विकास
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को चीन और यूरो क्षेत्र के लिए अपने विकास पूर्वानुमानों में कटौती की और कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की "उल्लेखनीय ताकत" के बावजूद समग्र वैश्विक विकास कम और असमान बना हुआ है। आईएमएफ ने अपने नवीनतम विश्व आर्थिक आउटलुक (डब्ल्यूईओ) में 2023 में वैश्विक वास्तविक जीडीपी वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को 3.0% पर अपरिवर्तित छोड़ दिया, लेकिन अपने 2024 के पूर्वानुमान को जुलाई के पूर्वानुमान से 0.1 प्रतिशत अंक घटाकर 2.9% कर दिया है।
2022 में वैश्विक उत्पादन 3.5 फीसदी बढ़ा है। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरीनचास ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और पिछले साल के ऊर्जा संकट से उबरने का प्रयास कर रही है, लेकिन दुनिया भर में विकास के रुझान तेजी से बदल रहे हैं और मध्यम अवधि के विकास की संभावनाएं कम हो रही हैं।
यूक्रेन-रूस युद्ध व इजराइल-हमास संघर्ष का पड़ेगा असर
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री गौरींचास ने कहा पूर्वानुमान आम तौर पर दुनिया के अर्थजगत में सामान्य स्थिति कायम रहने की ओर इशारा करते हैं, पर आईएमएफ चीन में रियल एस्टेट संकट, अस्थिर कमोडिटी कीमतों, भू-राजनीतिक विखंडन और मुद्रास्फीति में पुनरुत्थान से संबंधित जोखिमों को लेकर चिंतित है। इज़राइल-फिलिस्तीनी संघर्ष के रूप में एक नया अप्रत्याशित जोखिम सामने आ गया है। अगर यह लंबा खिंचता है तो इसका दबाव पूरी दुनिया पर पड़ना तय है। यूक्रेन-रूस संघर्ष के मारक प्रभावों से दुनिया अब तक किसी न किसी रूप में जूझ रही है। इजराइल और हमास के बीच जिस समय संघर्ष शुरू हुआ, उस समय 190 देशों के वित्त अधिकारी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों के लिए माराकेश में एकत्र हुए थे। यह संघर्ष अगर आगे बढ़ता है तो इसके नकारात्मक परिणाम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।
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