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NPS में कर्मचारी की बेसिक सैलरी पर नियोक्ता को मिलनी चाहिए पीएफ की तरह 12% कर छूट

पीएफआरडीए चेयरमैन ने वित्तमंत्री से आग्रह किया है कि एनपीएस में नियोक्ता कर्मचारी की बेसिक सैलरी का जो 12% योगदान करते हैं, उसे भी पीएफ की तरह कर मुक्त जाए।

हाईलाइट्स

  • 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक फंड को पीएफआरडीए मैनेज कर रहा ।

  • भविष्य निधि (पीएफ) खाते में 12 फीसदी तक योगदान पर मिलता है कर छूट का लाभ।

  • एनपीएस में योगदान पर एंप्लॉयर्स को भी मिलनी चाहिए इसी के बराबर कर छूट।

राज एक्सप्रेस । वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट पेश करेंगी। चुनावी वर्ष होने की वजह से यह बजट अंतरिम बजट के रूप में या लेखानुदान के रूप में पेश किया जाएगा। हालांकि, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं, अंतरिम बजट में कोई नई घोषणा नहीं की जाएगी। केवल जरूरी खर्चों को ही पास किया जाएगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के दावे के विपरीत, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव के पहले आने वाले इस अंतरिम बजट में चुनाव की दृष्टि से कुछ अहम ऐलान किए जाने की पूरी संभावना है।

बजट को ध्यान में रखते हुए पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) के चेयरमैन दीपक मोहंती ने वित्तमंत्री से आग्रह किया है कि एंप्लॉयर्स नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में नियोक्ता कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी तक जो योगदान करते हैं, उसे भी भविष्य निधि (पीएफ) की तरह कर मुक्त किया जाना चाहिए। दीपक मोहंती के मुताबिक कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) खाते में 12 फीसदी तक योगदान पर कर छूट का लाभ मिलता है। इसी के बराबर एनपीएस में कांट्रिब्यूशन पर एंप्लॉयर्स को टैक्स बेनेफिट्स देने की मांग कर रहे हैं।

एनपीएस के तहत बेसिक और डीए मिलाकर सैलरी का 10 फीसदी ही कर दायरे से बाहर है, जिसे पेंशन नियामक पीएफआरडीए के चेयरमैन ने पीएफ खाते की भाति कर छूट का दायरा कम से कम 12 फीसदी करने की मांग की है। हालांकि, वह चाहते तो यह हैं कि इसे 14 फीसदी के स्तर तक ले जाया जाना चाहिए। सरकारी कर्मचारी के मामले में भविष्य निधि में 14 फीसदी तक योगदान कर मुक्त रखा गया है। नेशनल पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी के एनपीएस खाते में बेसिक सैलरी और डीए के 10 फीसदी तक के योगदान पर एंप्लॉयर्स या कॉरपोरेट्स टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है।

सरकारी कर्मचारी के मामले में यह 14 फीसदी है। इनकम टैक्स 1961 के सेक्शन 36(1)(iv)(ए) के तहत लाभ और हानि खाते में इसे कारोबारी खर्च के तौर पर घटा दिया जाता है। कर्मचारी भी आयकर एक्ट के सेक्शन 80सीसीडी(2) के तहत अपने वेतन के 10 फीसदी तक के कॉन्ट्रिब्यूशन पर टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं। यह फायदा पुराने के साथ-साथ नए टैक्स रिजीम में भी मिलता है। सभी रिटायरमेंट स्कीमों में मिलाकर एंप्लॉयर्स के कॉन्ट्रिब्यूशंस पर सालाना आधिकतम 7.5 लाख रुपये तक टैक्स बेनेफिट्स हासिल किया जा सकता है।

यह धारा 80सीसीडी(1) के तहत स्वयं के एनपीएस योगदान पर वेतन के 10 फीसदी तक (1.5 लाख रुपये की कुल 80सी सीमा के अधीन) और धारा 80सीसीडी(1बी) के तहत 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती के अतिरिक्त है। वर्ष 2023-24 में पीएफआरडीए ने कॉरपोरेट और व्यक्तिगत कुल मिलाकर 13 लाख सब्सक्राइबर्स को पंजीकृत करने की योजना है। इस वर्ष अब तक 5 लाख से अधिक कर्मचारी एनपीएस से जुड़ चुके हैं। हालांकि नियामक को अब इस वित्त वर्ष के आखिरी तीन महीनों यानी जनवरी-मार्च पर उम्मीदें टिकी हुई हैं। मोहंती के मुताबिक सभी सब्सक्राइबर्स की कैटेगरीज मिलाकर एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 11 लाख करोड़ रुपये के स्तर को छू चुका है।

वहीं पूरा एनपीएस सब्सक्राइबर बेस दिसंबर 2022 में 6.06 करोड़ से 16 फीसदी उछलकर दिसंबर 2023 में 7.03 करोड़ हो गया है। इसमें सरकारी एंप्लॉयीज और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) लेने वाले लोग भी शामिल हैं। 11 लाख करोड़ रुपये का जो फंड जीएफआरडीए मैनेज करता है, उसमें शेयरों की हिस्सेदारी महज 17 फीसदी है। मोहंती के मुताबिक इसमें एएए-रेटेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स और सरकारी सिक्योरिटीज का अधिक दबदबा है। रियल इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रीट्स), इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट और अल्टरनेटिव फंड्स को भी मंजूरी है, लेकिन इनकी हिस्सेदारी बहुत कम है। 30 दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक सभी सब्सक्राइबर कैटेगरीज में टोटल एयूएम करीब 28 फीसदी उछलकर 10.91 लाख करोड़ रुपये के लेवल को पार कर गया है।

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