भीषण गर्मी के चलते सरियों की कीमत में दर्ज हुई गिरावट

इस भीषण गर्मी में कुछ वस्तुओं की कीमत में गिरावट दर्ज हो रही है। जिन वस्तुओं की कीमत में गिरावट दर्ज हो रही है। उनमें लोहे की सरिया भी शामिल है।
भीषण गर्मी के चलते सरियों की कीमत में दर्ज हुई गिरावट
भीषण गर्मी के चलते सरियों की कीमत में दर्ज हुई गिरावटSocial Media

राज एक्सप्रेस। इन दिनों देश के कुछ राज्यों में गर्मी अपना कहर बरपा रही है। ऐसे में कई चीजे बहुत महंगी होती जा रही है तो कुछ वस्तुओं की कीमत में गिरावट दर्ज हो रही है। जिन वस्तुओं की कीमत में गिरावट दर्ज हो रही है उनमें लोहे की सरिया भी शामिल है क्योंकि, इस भीषण गर्मी में एक तो श्रमिकों का मिलना मुश्किल हो जाता है। दूसरा इस गर्मी के चलते कई निर्माण कार्यों को रोक दिया जाता है। ऐसे में जो वर्तमान में निर्माण कार्य करवा रहे होंगे उनके लिए यह फायदे की खबर है।

सरियों की कीमत में दर्ज हुई गिरावट :

दरअसल, इस भीषण गर्मी के चलते बहुत से लोग निर्माण (Construction Work) का कार्य रोक देते है। ऐसे में निर्माण कार्य में कच्चे माल की डिमांड काफी कम हो जाती है। इसी गिरती डिमांड के चलते कई चीजों की कीमतों में गिरावट दर्ज होने लगती है। फिलहाल इसी के चलते सरिया की कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है और यह गिरावट कोई छोटी मोटी नहीं है बल्कि, सरियों की कीमत में लगभग 7,000 रुपये टन का अंतर देखने को मिला है। इतना ही नहीं, छह डिजिट का आंकड़ा पार कर रहे बडे़-बड़े ब्रांड की कीमतों में भी चार से पांच हजार रुपये की गिरावट देखने को मिली है।

फरवरी के बाद दर्ज हुई थी बढ़त :

बताते चलें, यह गिरावट ऐसे समय में देखने को मिली है जब फरवरी के आखिरी हफ्ते से इस्पात की कीमत में निरंतर रफ्तार देखने को मिल रही थी। इन हालातों में रायपुर, रायगढ़ और गैलेंट आद‍ि लोकल ब्रांड अप्रैल महीने 82,000 हजार रुपये टन तक की ऊंचाई पर पहुंच गए थे। जबकि, Tata और Jindal जैसे ब्रांड के सरिये की कीमत छह ड‍िज‍िट का आंकड़ा पार कर चुके थे। इस प्रकार इनकी कीमत लगभग एक लाख रुपये टन तक पहुंच गई थी।

प्रदेश अध्यक्ष का कहना :

बताते चलने, सीमेंट व्यापार संघ के प्रदेश अध्यक्ष (उप्र) श्याममूर्ति गुप्ता का कहना है कि, 'गर्मी के समय में भवन निर्माण के सभी आइटम डंप हैं चाहे वह बालू हो या फिर मौंरग, गिट्टी, ईंट आदि सभी चीजें नार्मल हैं। सरिया के भाव में लगातार कमी आ रही है। हालांकि 60,000 रुपये टन का आंकड़ा वापस लाने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा।'

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