क्या ‘अर्पू’ में कैद है एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, जियो की जान?

"सेक्टर के जानकारों का मानना है, भारती एयरटेल के पास सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी समीक्षा खारिज किए जाने की स्थिति में भुगतान के लिए बेहतर बैलेंस शीट की ताकत है।"
क्या ‘अर्पू’ में कैद है एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, जियो की जान?
क्या ‘अर्पू’ में कैद है एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, जियो की जान?Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स :

  • ARPU के रास्ते कितनी आसान होगी कांटों वाली डगर?

  • वोडाफोन-आइडिया, भारती एयरटेल को कितना मिलेगा फायदा?

  • एयरटेल पर मोर्गन स्टेनली और गोल्डमैन साक्स की कैसी-क्या है राय?

राज एक्सप्रेस। प्राण वायु को तरस रहे टेलिकॉम सेक्टर में एकमात्र खुलकर सांस ले रही मुकेश धीरूभाई अंबानी की जियो (रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड) की मार्केट में रणनीतियों के मुकाबले पानी मांग रहे वोडाफोन-आइडिया चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने तो एक तरह से हाथ खड़े कर ही दिए हैं, लेकिन भारती एयरटेल प्रमुख सुनील भारती मित्तल का कहना है कि उनके पास बेहतर बैलेंस शीट की ताकत है।

सवाल का जवाब चर्चा-रिपोर्ट में-

क्या ‘अर्पू’ (ARPU) यानी 'एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र' में कैद है जान? तो इसको जानने बैलेंस शीट के साथ आगामी संभावित परिस्थितियों में बनने वाली रणनीतियों पर ध्यान देना होगा। दुनिया के कई देशों में सर्विस प्रोवाइडर भारती एयरटेल के सर्वेसर्वा सुनील भारती मित्तल की इंडियन टेलिकॉम सर्किट में आगामी संभावनाओं पर वर्ल्ड बिजनेस के बड़े नाम मोर्गन स्टेनली ने रिपोर्ट जबकि, गोल्डमैन साक्स ने चर्चा के आधार पर प्रकाश डाला है।

बुलंद है भारती-

भारती एयरटेल के बोर्ड ने पहले ही 2 अरब डॉलर इक्विटी और 1 अरब डॉलर ऋण के संयोजन के जरिये 3 अरब डॉलर जुटाने की मंजूरी दे दी है। एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया दोनों ही वैधानिक दायित्व के भुगतान पर राहत के लिए सरकार के साथ मिलकर पैरवी भी कर रहे हैं।

बैलेंस शीट की ताकत-

सेक्टर के जानकारों का मानना है, टेलिकॉम दिग्गज सुनील भारती मित्तल की अगुवाई वाली भारती एयरटेल अकेले वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की कीमत पर अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उसके पास सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी समीक्षा खारिज किए जाने की स्थिति में भुगतान के लिए बेहतर बैलेंस शीट की ताकत है।

याचकों की याचिका-

एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएँ दायर कर अपेक्स कोर्ट के 24 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा करने की मांग की है, जो पिछले 14 वर्षों से उनके वार्षिक सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू -AGR) में गैर-दूरसंचार राजस्व को शामिल करने के बाद वैधानिक बकाया का भुगतान करने के लिए उन्हें उत्तरदायी ठहराता है। इंडस्ट्री के 1.47 लाख करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान आदेश के तीन महीने के भीतर किया जाना है।

"एयरटेल के लिए देनदारियां 4.8 अरब डॉलर और वोडाफोन-आइडिया के लिए 5 अरब डॉलर की हैं। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया, तो यह एयरटेल के लिए निगेटिव डेवलपमेंट होगा, लेकिन वोडाफोन-आइडिया के लिए स्थति ज्यादा चिंताजनक हो जाएगी। वो इसलिए क्योंकि, ऐसे में 24 जनवरी, 2020 से पहले इन देनदारियों का वित्तपोषण करना मुश्किल हो सकता है।"

मोर्गन स्टेनली की रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, "इससे संभावित रूप से बाजार में हिस्सेदारी मजबूत हो सकती है जिससे इंडस्ट्री में एयरटेल की स्थिति मजबूत होगी।"

फिलहाल तो वैधानिक देनदारियों के भुगतान पर राहत के लिए दोनों फर्म्स सरकार के साथ मिलकर पैरवी कर रही हैं। जैसी की चर्चा है, भारती एयरटेल के बोर्ड ने पहले ही 2 अरब डॉलर इक्विटी और 1 अरब डॉलर ऋण के संयोजन के जरिये 3 अरब डॉलर जुटाने की मंजूरी दे दी है।

मोर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक, "यह फंड मुख्य रूप से सबसे खराब स्थिति से निपटने के लिए है, जिसमें पूरे एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यु (AGR) देय हो जाते हैं।"

"हालांकि, अगर एजीआर देनदारियों का हिस्सा माफ किया जाना था और/या समय की अवधि में भुगतान किया गया था, तो कंपनी मौजूदा ऋण की अदायगी के लिए आय का उपयोग कर सकती है। ऐसी स्थिति में हम इंडस्ट्री में एयरटेल की तंदरुस्त बैलेंस शीट को एक विभेदक कारक के रूप में देखते हैं।"

मोर्गन स्टेनली की रिपोर्ट

गोल्डमैन साक्स ने बताया इस दौरान मित्तल ने दूरसंचार व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। जिसमें उद्योग संरचना और टैरिफ पर उनका दृष्टिकोण, एजीआर देयता के संभावित परिणाम और भारती एयरटेल की बैलेंस शीट एवं कंपनी की गैर-वायरलेस सहायक कंपनियों के बारे में उन्होंने चर्चा की।

बकौल साक्स भारती एयरटेल को उम्मीद है कि, हाल ही में की गई टैरिफ बढ़ोतरी के कारण इंडस्ट्री रेवेन्यू फिर से बढ़ना शुरू होगी। साथ ही आशा है कि, वर्तमान में प्रति कंपनी 30 अरब डॉलर के मुकाबले इंडस्ट्री रेवेन्यू 50 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगी।

"इंडस्ट्री में किसी भी मार्केट शेयर के पुन: आवंटन की स्थिति में, भारती एयरटेल का मानना है कि यह वृद्धिशील मार्केट में हिस्सेदारी का 50 प्रतिशत या उससे अधिक पर कब्जा करने के लिए अच्छी स्थिति में है। प्रति कंपनी, वृद्धिशील राजस्व बहुत उच्च ईबीआईटीडीए (EBITDA- अर्निंग्स बिफोर इंट्रेस्ट,टैक्स, डेप्रिसिएशन एंड अमोरटाइजेशन) मार्जिन यानी ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की उच्च कमाई पर आ सकता है।"

गोल्डमैन साक्स, प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय अमेरिकी संगठन

साक्स को एक नए खिलाड़ी के भारत के दूरसंचार बाजार में प्रवेश करने की संभावना कम ही नज़र आती है। मॉर्गन स्टेनली ने भारत के तीनों ऑपरेटर्स की हाल ही में टैरिफ वृद्धि की घोषणा को कंपनियों और टेलिकॉम सेक्टर की मरम्मत की दिशा में सही कदम माना है।

एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र-

मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक इस बढ़ोतरी के कारण एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र (ARPU- अर्पू) यानी प्रति उपयोगकर्ता औसत आय बढ़ने में समय लगेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, नए टैरिफ केवल अगले रिचार्ज पर लागू होते हैं और कम मूल्य वाले पैक की डाउनग्रेडिंग यानी अवनति की संभावना है।"साल 2016 में रिलायंस जियो के इंडस्ट्री में आने से पहले तक भारती का अर्पू लगभग 200 रुपया प्रति माह था। कंपनी का मानना है कि वो अगली कुछ तिमाहियों में समान लेवल पर पहुंच कर आगामी समय में 300 रुपया प्रति माह के लेवल पर पहुंच सकती है।"–

अर्पू 180-200 रुपया-

रिपोर्ट में भरोसा जताया गया है कि, वित्तीय वर्ष 2021 में एयरटेल के अर्पू में पर्याप्त सुधार दिखेगा। माना जा रहा है कि, कीमत बढ़ोतरी के कारण अगले कुछ वर्षों में अर्पू की संभावना 180-200 रुपये तक बढ़ गई है। इसी तरह वोडाफोन-आइडिया के लिए भी इस तरह की बड़ी बढ़ोतरी की जरूरत होगी, ताकि अन्य सरकारी राहत उपायों के साथ इसकी लीवरेज स्थिति को और अधिक स्थायी स्तर तक लाया जा सके।

"साल 2016 में रिलायंस जियो के इंडस्ट्री में आने से पहले तक भारती का अर्पू लगभग 200 रुपया प्रति माह था। कंपनी का मानना है कि, वो अगली कुछ तिमाहियों में समान लेवल पर पहुंच कर आगामी समय में 300 रुपया प्रति माह के लेवल पर पहुंच सकती है।"

गोल्डमैन साक्स, प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय अमेरिकी संगठन

टेलिकॉम सेक्टर में जियो के एकाधिकार राज में वोडाफोन-आइडिया संग एयरटेल की पूंछ ऐसी दबी है कि, सर्विस प्रोवाइडर इन दमित कंपनियों से लेकर, इन तीनों कंपनियों के कस्टमर्स का एक बड़ा बेचारा वर्ग नित-नए प्लानों के गणित के चक्कर में उलझ कर रह गया है। क्या कहना है आपका? अपने विचार हमारे संग जरूर शेयर करें, बिजनेस जगत की और ताजा तरीन खबरों के लिए क्लिक करें व्यापार-राज-एक्सप्रेस

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