क्या शेयर बाजार में फिर शुरू होने वाला है तेजी का दौर...इन संकेतों ने जगाई निवेशकों की उम्मीद
हाईलाइट्स
15 नवंबर को बाजार में जिस तरह से तेजी देखने को मिली है, वह अभूतपूर्व है।
अक्टूबर में अमेरिका की मंहगाई दर उम्मीद से अधिक कम रही, इस वजह वजह से बाजार गिरा।
अमेरिका में ब्याज दरें घटीं तो एक बार फिर से भारत का रुख कर सकते हैं विदेशी निवेशक।
राज एक्सप्रेस।शेयर बाजार में बुधवार 15 दिन आई जबर्दस्त तेजी को देखते हुए कयास लगाए जाने लगे हैं कि शेयर बाजार में एक बड़ी बुल रैली की शुरुआत हो चुकी है। यह कयास इस लिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि 15 नवंबर को बाजार में जिस तरह से तेजी देखने को मिली है, वह अभूतपूर्व है। शेयर बाजार में आए इस अप्रत्याशित बदलाव की वजह से इन अटकलों को बल मिला है। सेंसेक्स बुधवार को 742 अंक चढ़कर बंद हुआ है। शेयर बाजार में आई तेजी का नेतृत्व अमेरिकी मार्केट की तेजी ने किया।
शेयर बाजार को उम्मीद है कि विदेशी निवेशकों के अपना पैसा निकालने का क्रम अब रुकेगा और ताजी विदेशी पूंजी का प्रवाह बाजार में तेजी का कारण बनेगा। दरअसल, शेयर बाजार में आई आज की तेजी की वजह अक्टूबर में अमेरिका की मंहगाई दर उम्मीद से अधिक कम रहना है। यह बाजार के लिए अच्छी खबर है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक महंगाई रोकने के लिए अमेरिका और बाकी दुनिया में ब्याज दरों को तेजी से बढ़ाया जा रहा था। भारत में भी आरबीआई ने ब्याज दरें बढ़ाई थीं। अब जबकि अमेरिकी महंगाई दर नीचे आई है, तो यह उम्मीद जागी है कि अब ब्याज दर बढ़ाने का सिलसिला बंद हो जाएगा।
इससे विदेशी निवेशक एक बार फिर से भारतीय बाजार की ओर आकर्षित हो सकते हैं, जो अपने साथ तेजी का सिलसिला भी लाएंगे। यह बात समझने की है कि ब्याज दरों और शेयर बाजार का 36 का रिश्ता होता है। ब्याज दरें जब बढ़ती है, तो कहीं और से सहारा नहीं मिले तो शेयर बाजार में गिरावट आती है। इसके विपरीत जब ब्याज दरें घटती हैं, तो शेयर बाजार में तेजी का दौर शुरू हो जाता आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज दर बढ़ने पर फिक्स्ड डिपॉजिट या बॉन्ड पर मिलने वाली दर बढ़ जाती है। ऐसे में जो लोग जोखिम नहीं लेना चाहते, वे अपना पैसा एफडी या बॉन्ड में लगा देते हैं।
कोरोना के पहले तक अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों के बैंकों में एफडी कराने पर बस आधा या एक फीसदी ब्याज मिलता था। ऐसे में वहां के निवेशक पाते थे कि भारत के शेयर बाजार में निवेश करने से इसकी तुलना में कहीं ज्यादा कमाई होती है। यही वजह है जब उन देशों में ब्याज की दर घटती है तो वे अपना पैसा भारतीय शेयर बाजार में लगा देते हैं। पिछले दिनों जब अमेरिका में ब्याज की दरें 5% से ज्यादा हो गई, तो विदेशी निवेशकों नेअपना पैसा निकालना शुरू कर दिया था।
इसी वजह से हाल के दिनों में शेयर बाजारों ने निराशाजनक प्रदर्शन किया। हाल के दिनों में एक बार फिर से अमेरिका में महंगाई की दर नीचे आने लगी है। अब उम्मीद है कि ब्याज की दरें भी नीचे आ जाना शुरू होंगी। अगर सब कुछ अनुमान के मुताबिक हुआ, तो एक फिर विदेशी निवेशक, एफआईआई बड़ी संख्या में भारत सहित दूसरे देशों में पैसा लगाने लगाना शुरू करेंगे।
ऐसे में शॉर्ट-टर्म में बाजार में बुलिश सेंटीमेंट हावी हो जाएगा और विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ेगा। हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों ने सबसे अधिक बिकवाली फाइनेंशियल शेयरों में की है। इस लिए उम्मीद है आने वाले दिनों में एक बार फिर से फाइंशियल सेक्टर में बढ़ोतरी देखने मिल सकती है। विदेशी पूंजी का प्रवाह वापस लौटा तो फाइनेंशियल शेयरों में उछाल देखने को मिल सकती है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, सीमेंट और डिजिटल कंपनियों के शेयरों में भी काफी निवेश आने की उम्मीद है।
डिस्क्लेमरः राजएक्सप्रेस.कॉम पर पब्लिश यह विश्लेण शेयर बाजार के विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित है। शेयर बाजार अत्यधिक जोखिम वाला क्षेत्र है। इस लिए हमारी आपको सलाह है कि निवेश के पहले अच्छी तरह से ट्रेडिंग के बारे में जानकारी एकत्र कर लें और अपने निवेश सलाहकार की राय भी अवश्य लें। राजएक्सप्रेस.कॉम किसी को निवेश की सलाह नहीं देता।
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