Yes बैंक के शेयरों में लगा लोअर सर्किट तब भी मिला 95% सब्सक्रिप्शन

सोमवार को FPO शेयरों की लिस्टिंग के बाद Yes बैंक के शेयरों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, बैंक के शेयरों पर लोअर सर्किट लग गया। हालांकि, बैंक के FPO को काफी अच्छा सब्सक्रिप्शन मिला है।
Lower circuit in Yes bank shares
Lower circuit in Yes bank sharesSocial Media

राज एक्सप्रेस। देश पहले ही आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। ऐसे में कई प्राइवेट सेक्टरों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे ही हालत कुछ प्राइवेट सेक्टर के Yes बैंक के बनते नजर आ रहे हैं। दरअसल, सोमवार को FPO शेयरों की लिस्टिंग के बाद Yes बैंक के शेयरों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। इतना ही नहीं बैंक के हालत इस तरह के बने कि, बैंक के शेयरों पर लोअर सर्किट लग गया।

FPO शेयरों की लिस्टिंग :

बताते चलें, सोमवार को FPO शेयरों की लिस्टिंग के बाद Yes बैंक के शेयरों में 9.89% की गिरावट दर्ज की गई और इस तरह शेयरों की कीमत 12.30 रुपये पर जाकर मार्केट बंद हुआ। यदि मार्केट कैपिटालजेशन की बात करें तो उस आधार पर प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में शुमार देश का सातवां सबसे बड़ा बैंक 12 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर के द्वारा 15,000 करोड़ रुपये जुटा सका है। हालांकि, कंपनी के शेयरों में गिरावट के बैंक के FPO को काफी अच्छा सब्सक्रिप्शन मिला है।

बैंक को मिला कुल सब्सक्रिप्शन :

इन शेयरों के आधार पर Yes बैंक को 15,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए लाए गए FPO को 93% का सब्सक्रिप्शन मिला था। यदि इसमें Yes बैंक के एंकर इंवेस्टर्स का हिस्सा मिला दिया जाए तो, बैंक के FPO को कुल 95% का सब्सक्रिप्शन मिला था। बताते चलें, किसी भी इश्यू को यदि कुल मिलाकर 90% तक सब्सक्रिप्शन मिलता है तो, यह एक सफल इश्यू माना जाता है। वहीं, Yes बैंक ने FPO के लिए शेयरों का भाव 12-13 रुपये निर्धारित किया था। बैंक ने अपना FPO सब्सक्रिप्शन हासिल करने के लिए 15 जुलाई को खुला था।

क्या होता है FPO ?

बताते चलें, FPO किसी भी कंपनी या सेक्टर के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म है। जिसके तहत किसी एक्सचेंज पर पहले से लिस्टेड कंपनी इन्वेस्टरों या शेयर होल्डरों को नए शेयर जारी करती है। वहीं, अब Yes बैंक को विनियामकीय पूंजीगत की जरूरत को पूरा करने के लिए 9,000 करोड़ रुपये से 13,000 करोड़ रुपये कैपिटल की आवश्यकता है।

नोट : शेयर बाजार 10% या उससे ज्यादा की गिरावट को लोअर सर्किट लगना कहा जाता है। इस दौरान ट्रेडिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है।

क्यों रोकना पड़ता है ट्रेडिंग?

किसी भी देश के शेयर बाजार में बढ़ रही भरी गिरावट के चलते शेयर बाजार में इन्वेस्टरों के इन्वेस्ट को सुरक्षित रखने के लिए ट्रेडिंग को रोक दिया जाता है। ऐसा करने से इन्वेस्टरों को होने वाले बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है। हालांकि, इस दौरान भी नुकसान होता है, लेकिन ट्रेडिंग न रोकने की तुलना में थोड़ा कम।

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