बाजार में होंगे Made In India सेमीकंडक्टर, 76 करोड़ों की योजना को मंजूरी

देश में सेमीकंडक्टर निर्माण (semiconductor manufacturing) और उससे जुड़े उत्पादन को बढावा देने के लिए कैबिनेट से हजारों करोड़ की आर्थिक मदद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अनुमति मिली।
बाजार में होंगे Made In India सेमीकंडक्टर, 76 करोड़ों की योजना को मिल सकती मंजूरी
बाजार में होंगे Made In India सेमीकंडक्टर, 76 करोड़ों की योजना को मिल सकती मंजूरीSocial Media

Made in India Semiconductors : भारत जल्दी ही सेमीकंडक्टर (Semiconductor In India) के मामले में चीन (semiconductor in China) जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा। क्योंकि, देश में सेमीकंडक्टर निर्माण (semiconductor manufacturing) और उससे जुड़े उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट से हजारों करोड़ की आर्थिक मदद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अनुमित मिली। इस मामले में केंद्र मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है।

देश में होगा सेमीकंडक्टर का निर्माण :

दरअसल, अब आज भारत हर क्षेत्र में आत्मा निर्भर बन रहा है। लगभग हर तरह के प्रॉडक्ट आज आत्म निर्भर भारत के तहत उपलब्ध है। वहीं, अब देश में हो रही सेमीकंडक्टर की किल्लत को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया गया है कि, अब सेमीकंडक्टर का निर्माण भी भारत में किया जाएगा। इस मामले में जानकारी देते हुए केंद्र मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि,

'देश में सेमीकंडक्टर निर्माण (semiconductor manufacturing) और उससे जुड़े उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट से हजारों करोड़ की आर्थिक मदद को अनुमित मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने सेमीकंडक्टर निर्माण की विशाल योजना के लिए ने 76 हजार करोड़ की प्रोत्साहन राशि को अनुमति दी है। यह प्रोत्साहन तीन तरीकों से क्रियान्वयित होगा। योजना के तहत कंपाउड सेमीकंडक्टर वैफर फैब्रिकेशन (फैब), असेंबली, टेस्टिंग और पैकेजिंग सुविधा के लिए इकाई स्थापित करने में जो लागत आएगी उस पर 25 फीसद के प्रोत्साहन का प्रावधान होगा। योजना में ऐसे स्टार्टअप को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा जो सेमीकंडक्टर की डिजाइन को विकसित करने का काम करेंगे। प्रस्तावित योजना में उद्योगों द्वारा करीब 1.7 लाख करोड़ के निवेश की कल्पना की गई है।'

अश्विनी वैष्णव, केंद्र मंत्री

अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा है कि, 'सरकार की योजना है कि आने वाले 6 सालों में 20 से ज्यादा सेमीकंडक्टर डिजाइन, कंपोनेंट निर्माण और डिसप्ले फैब्रिकेशन इकाई लगाई जाए। एक बार योजना को कैबिनेट से अनुमति मिल जाती है तो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय इस पर विस्तार से काम करेगा, विशाल प्रोत्साहन के साथ सरकार सर्वोच्च सेमीकंडक्टर निर्माताओं को आकर्षित करने की योजना बना रही है जिसमें मीडियाटेक, इंटेल, क्वालकोम, सैमसंग और टेक्सान इन्स्ट्रूमेंटर शामिल है। सरकार ने यह फैसला उस वक्त लिया है जब पूरी दुनिया के उद्योग वैश्विक स्तर पर चिप के अभाव से जूझ रहे हैं।'

क्या है सरकार की पूरी योजना ?

रिपोर्ट के अनुसार सरकार का योजना के तहत पूंजीगत खर्च पर आर्थिक मदद, कुछ कंपोनेंट पर शुल्क में कमी और कार्यक्रम के जरिये लाभ प्रदान करना भी शामिल है। यह कदम निर्माण के स्तर को बढ़ावा देगा और साथ ही भारत में निर्माण और निर्यात का दायरा भी व्यापक होगा। पिछले महीने, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारते के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में बढ़ोतरी और जीवीसी में हिस्सेदारी पर एक विजन डॉक्यूमेंट का पार्ट -1 भी जारी किया था। जिसका उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी, यानी लोकल गोज ग्लोबल को आगे लाना है।

विजन डॉक्यूमेंट का लक्ष्य वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में पर्याप्त हिस्सेदारी हासिल करने, बड़े स्तर पर निर्माण क्षमता को बढ़ाना और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़ाने, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र निवेश में बदलाव और प्रतिस्पर्धा और निर्यात में बढ़ोतरी लाने के लिए लघु अवधि (1-4 साल) और दीर्घ अवधि (5-10 साल) रणनीतियों की भी सिफारिश की है। विजन डॉक्यूमेंटर में घरेलू चैंपियन तैयार करने और उनके उत्पादों को शीर्ष फर्मों और जीवीसी से जोड़ने की ज़रूरत पर भी जोर दिया है।

सेमीकंडक्टर इल्क्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाला एक अहम कंपोनेंट होता है, जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, कार, और दूसरे उपकरण और वाहन। वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर के अभाव की वजह से कई उद्योग पिछले एक साल से जूझ रहे हैं। जिसकी वजह से स्मार्टफोन, निजी कंप्यूटर, गेम कंसोल, ऑटोमोबाइल और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति पर भी असर पड़ रहा है।

इसकी वजह से ऑटो उद्योग को भी बहुत घाटा सहन करना पड़ रहा है। चिप की कमी की वजह से वैश्विक ऑटो उद्योग के उत्पादन में इस साल 63 लाख से 71 लाख वाहनों की कमी आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि, चिप की कमी अगले साल की छमाही तक पटरी पर नहीं आ पाएगी। चिप्स टू स्टार्टअप्स प्रोग्राम सरकर शुरू क कर रही है चिप्स तो स्टार्टअप्स प्रोग्राम जिससे देश में स्टार्टअप्स प्रोग्राम की शुरू कर रही है। जिसमें देश डेज़यानेर्स को बढ़ावा दिया जायेगा और इससे देश में रिसर्च और डेवलपमेंट की समस्या भी बदलेगी और छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

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