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एफपीआई ने बीते वित्त वर्ष में भारतीय शेयर बाजार से 37,631 करोड़ निकाले, अगले साल कैसा रहेगा रुझान?

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजार से निकासी का सिलसिला बीते वित्त वर्ष (2022-23) में भी जारी रहा।

राज एक्सप्रेस। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजार से निकासी का सिलसिला बीते वित्त वर्ष (2022-23) में भी जारी रहा। वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी के बीच बीते वित्त वर्ष में एफपीआई ने 37,631 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इससे पहले 2021-22 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड निकासी की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में एफपीआई का निकासी का रुख पलटने की उम्मीद है, क्योंकि भारत में 2023-24 में वृद्धि की संभावना है।

इस साल पलट सकता है आउटफ्लो का ट्रेंड

हालांकि, माना जा रहा है कि आउटफ्लो का यह ट्रेंड मौजूदा वित्त वर्ष में पलट सकता है। जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में ग्रोथ की भरपूर संभावनाएं हैं, ऐसे में अब विदेशी निवेशकों का रूख बदल सकता है। मार्केट एनालिस्ट्स का मानना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में एफपीआई का रूख कई अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करेगा। इन फैक्टर्स में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पॉलिसी, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और जियो-पॉलिटिकल स्थिति शामिल हैं।

पहली बार लगातार दो साल दिखी बिकवाली

एफपीआई ने 1993 में निवेश शुरू किया था और यह पहली बार है, जब उन्होंने दो वित्तीय वर्षों में लगातार बिकवाली की है। एफपीआई ने वित्तवर्ष 22 में 1.4 लाख करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर बेचे थे। हालांकि, डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्तवर्ष 23 में बिक्री की रफ्तार धीमी होकर 37,632 करोड़ रुपये रही। इन निकासी से पहले एफपीआई ने वित्त वर्ष 2020-21 में इक्विटी में रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में 6,152 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

घरेलू मोर्चे पर इसलिए प्रभावित हुआ सेंटिमेंट

वित्तवर्ष 2023 में अधिकांश प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर में बढ़ोतरी शुरू कर दी है, जिसकी वजह से भारत सहित उभरते बाजारों से फंड की निकासी बढ़ गई। इसके चलते अधिकांश देशों में महंगाई में भी तेजी देखी गई है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती कमोडिटी की कीमतों के साथ-साथ रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण 2022-23 में एफपीआई ने बिकवाली की। घरेलू मोर्चे पर भी हालात बेहतर नहीं रहे, जिसके चलते बिकवाली देखी गई। बढ़ती महंगाई चिंता का कारण बनी हुई है और इसे काबू में करने के लिए आरबीआई ने भी दरों में बढ़ोतरी की। इसके चलते निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित हुआ।

बेहतर ढ़ंग से हुई नए वित्त वर्ष की शुरुआत

एक अन्य अहम पहलू जिसके कारण घरेलू शेयर बाजारों से निकासी हुई, वह अन्य संबंधित बाजारों की तुलना में इसका हाई वैल्यूएशन था। इन वजहों के चलते विदेशी निवेशक यहां मुनाफावसूली कर रहे हैं और अन्य बाजारों की ओर फोकस कर रहे हैं। इक्विटी के अलावा एफपीआई ने 2021-22 में 1,628 करोड़ रुपये डालने के बाद इस अवधि में डेट मार्केट से 8,938 करोड़ रुपये निकाले हैं। नए वित्त वर्ष की शुरुआत बेहतर हुई है और एफपीआई ने अप्रैल में अब तक भारतीय इक्विटी में 3747 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे ऐसा लगता है कि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट को लेकर निवेशकों की चिंता कुछ कम हुई है।

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