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30 सितंबर के पहले डिमैट में बदलवा लें कागजी शेयर, 6 माह बाद इन पर नहीं मिलेंगे डिवीडेंड और अन्य लाभ : सेबी

सेबी ने कहा जिन लोगों के पास कागजी शेयर हैं, वे 30 सितंबर के पहले इन्हें डीमैट में बदलवा लें। इस तिथि के बाद उन्हें शेयरों पर मिलने वाला कोई लाभ नहीं मिलेगा।
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राज एक्सप्रेस। इस समय लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये के कागजी शेयर लोगों के पास हैं। कागजी शेयरों को आप सीधे शेयर बाजार में बेच या ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं। इन्हें बेचने या ट्रांसफर करने के लिए पहले उन्हें इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म यानी डीमैट में बदलना जरूरी है। इसके लिए सेबी ने निर्देश दिया है कि जिन लोगों के पास कागजी शेयर हैं, वे 30 सितंबर के पहले इन्हें इलेक्ट्रानिक फार्म यानी डीमैट में जरूर बदलवा लें। इस तिथि के बाद उन्हें शेयरों पर मिलने वाला कोई लाभ नहीं मिलेगा और न ही वे इसे बेच या ट्रांसफर कर सकेंगे।

ऐसा नहीं किया तो अमान्य हो जाएंगे शेयर

भारतीय प्रतिभूति सेबी ने कागजी शेयर रखने वाले निवेशकों को कुछ राहत देते हुए केवाईसी मानदंडों के अनुपालन के लिए समय सीमा छह माह बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया है। जिन लोगों के पास कागजी शेयर हैं, वे इस अवधि में कागजी शेयर को इलेक्ट्रिॉनिक रूप में बदलवाकर डीमैट खाते में जमा करवा सकते हैं। ऐसा नहीं होने पर आपके शेयर बोनस, डिविडेंड और अन्य कॉर्पोरेट कार्यों के लिहाज से अमान्य हो जाएंगे। शेयर बाजार नियामक सेबी के के नियमों के मुताबिक आप कागजी शेयरों को शेयर बाजार में बेच या ट्रांसफर नहीं सकते हैं। इसके लिए पहले उन्हें इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म यानी डीमैट में बदलना जरूरी है। नए नियमों के तहत, लिस्टेड कंपनियों में भौतिक प्रतिभूतियों के सभी धारकों को अपने रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंटों (आरटीए) को अपना पैन, पता और बैंक खाता विवरण और उनके संबंधित फोलियो नंबरों के लिए हस्ताक्षर प्रदान करना आवश्यक है।

तुरंत इस निर्देश पर गौर करने की जरूरत

जिन लोगों के पास कागजी शेयर हैं, उन्हें तुरंत इस पर गौर करने की जरूरत है। अनुपालन करने में विफल रहने पर एक अक्तूबर के बाद आरटीए फोलियो को फ्रीज कर देगा। इससे बेवजह बड़ी दिक्कत पैदा हो जाएगी। इस दिक्कत से बचने के लिए तुरंत सेबी के निर्देश पर अमल करने की जरूरत है। इतना ही नहीं बल्कि 31 दिसंबर, 2025 तक फ्रीज हुए शेयरों या फोलियो के लिए आरटीए और लिस्टेड कंपनियों को बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988, या धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत अधिकारियों को सूचित करने की आवश्यकता होगी। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, शेयर बाजार में लगभग करीब डेढ़ प्रतिशत शेयरधारिता अभी भी भौतिक रूप में है, जिसका कुल मूल्य 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

जिनमें ट्रेडिंग हो रही, उन्हीं शयरों को बदलना संभव

कागजी शेयर से डीमैट में शेयरों को को बदलने की प्रक्रिया को डीमैटेरियलाइजेशन कहते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि यदि कंपनी के शेयरों में अब भी कारोबार हो रहा है, तभी उसे डीमैट में बदल सकते हैं। यदि एक्सचेंज पर शेयर की लिस्टिंग समाप्त हो गई है, तो वैसी स्थिति में आप कागजी शेयर को डीमैट में नहीं बदल सकते हैं और आपके किसी काम के भी नहीं होंगे।ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको किसी डिपॉजिटरी, शेयर ब्रोकर के साथ एक डीमैट खाता खोलना होगा। इसमें आपको अपना केवाईसी सत्यापित करना होगा। डीमैट खाता खुल जाने पर अपने काजगी शेयरों को डीमैटेरियलाइज्ड फॉर्मेट में बदलने करने के लिए आवेदन देना होगा। इसके बाद अपने कागजी शेयरों को डीमैट खोलने वाली कंपनी के पास डीमैटेरियलाइज्ड आवेदन फॉर्म (डीआरएफ) के साथ जमा करना होगा। डीआरएफ के जमा होने के बाद आपको सभी सरेंडर शेयरों के लिए एक एक्नॉलेजमेंट पर्ची मिलेगी। जांच और सत्यापन के बाद आपके कागजी शेयर डीमैट खाते में आ जाएंगे।

पिछले साल 2.5 करोड नए डीमैट खाते खुले

पिछले वित्त वर्ष में बाजार में सुस्त रिटर्न और उतारचढ़ाव जारी रहने के बावजूद करीब 2.5 करोड़ नए डीमैट खाते खोले गए हैं। सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) के पास डीमैट खाते की संख्या में पिछले 12 महीने में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही कुल डीमैट खातों की संख्या 8.97 करोड़ से बढ़कर 11.44 करोड़ पहुंच गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में युवा आबादी बड़े पैमाने पर शेयर बाजार में निवेश कर रही है। बाजार में गिरावट के कारण शेयरों के दाम में कमी आने की स्थिति में उन्हें सस्ती दर पर शेयर खरीदने का मौका देता है। हाल के दिनों में लोगों में निवेश के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में हर साल डिमैट खाते खोले जा रहे हैं।

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