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मूडीज ने 2023 के लिए वृद्धि दर अनुमान को 6.7 % पर कायम रखा, सेवा क्षेत्र में तेजी का अनुमान

मूडीज ने चालू के भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 % के स्तर पर बरकरार रखा है। मूडीज के अनुसार घरेलू मांग में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था का इंजन बनी हुई है।

हाईलाइट्स

  • मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है।

  • मूडीज ने भारत की जीडीपी को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

  • मूडीज के अनुसार घरेलू मांग में बढ़ोतरी भारती अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन बनी है।

राज एक्सप्रेस । मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने चालू साल के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखा है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि देश में मजबूत घरेलू मांग की वजह से निकट भविष्य में विकास की रफ्तार कायम रहेगी। घरेलू स्तर पर लगातार बढ़ती मांग भारत की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में इंजन की भूमिका निभा रही है।

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का मानना है कि देश में मजबूत घरेलू मांग की वजह से निकट भविष्य में भी वृद्धि की रफ्तार कायम रहने वाली है। प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के कारण निर्यात के मोर्चे पर जरूरी थोड़ी कमजोरी दिखाई दे रही है, इसके बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था विकासमान बनी हुई है। मूडीज ने अपने 'वैश्विक वृहद आर्थिक परिदृश्य-2024-25 में कहा है कि घरेलू मांग में सतत बढ़ोतरी भारत की अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर रही है।

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हमें उम्मीद है कि भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2023 में करीब 6.7 प्रतिशत, 2024 में 6.1 प्रतिशत और 2025 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। भारत की आर्थिक वृद्धि दर जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत रही है, जो मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत थी। घरेलू खपत और ठोस पूंजीगत व्यय और सेवा क्षेत्र की गतिविधि में तेजी से देश की आर्थिक वृद्धि मजबूत रही है। मूडीज ने कहा मजबूत जीएसटी संग्रह, बढ़ती वाहन बिक्री, बढ़ता उपभोक्ता भरोसा तथा दोहरे अंक की ऋण वृद्धि से पता चलता है कि मौजूदा त्योहारी सीजन के बीच शहरी उपभोग मांग में तेजी बनी रहेगी।

हालांकि, ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं हालांकि असमान मानसून के कारण इसमें कमी दिखाई दे रही थी। मौसम की गड़बड़ियों की वजह से इससे फसल की पैदावार और कृषि आय में कमी आ सकती है। मूडीज ने कहा मुद्रास्फीति भी अगस्त में 4.8 प्रतिशत से कम होकर 4.5 प्रतिशत हो गई है। लेकिन सकारात्मक तथ्य यह है कि असमान मौसम और भूराजनीतिक अस्थिरता के बीच खाद्य व ऊर्जा की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम को लेकर भारतीय केंद्रीय बैंक सतर्क रुख अपनाएगा।

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