एफएमसीजी कंपनियों में नौकरियों की भरमार, बस हायरिंग की इजाजत चाहिए
एफएमसीजी कंपनियों में नौकरियों की भरमार, बस हायरिंग की इजाजत चाहिएSocial Media

एफएमसीजी कंपनियों में नौकरियों की भरमार, बस हायरिंग की इजाजत चाहिए

बाजार में बढ़ती कंज्यूमर गुड्स की डिमांड को पूरा करने के लिए एफएमसीजी कंपनियां सरकार से नई भर्तियां और ज्यादा मज़दूरों को काम पर बुलाने की इजाजत चाहती हैं।

राजएक्सप्रेस। हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, पेप्सिको, पारले प्रॉडक्ट्स, ब्रिटानिया, आईटीसी और मॉन्डेलेज जैसी बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनियों ने सरकार से अनुरोध किया है कि उन्हें ज्यादा हायरिंग करने दी जाए ताकि वे ज्यादा उत्पादन कर सकें। दरअसल ये कंपनियां चाहती हैं कि ग्रीन और ऑरेंज जोन में कारखानों में कम से कम 75 प्रतिशत मजदूरों को काम पर बुलाने की इजाजत दी जाए। अभी यह लिमिट 33 फीसदी की है। कंपनियां यह भी चाहती हैं कि रेड जोन में कंटेनमेंट एरिया के बाहर के कारखानों या इकाइयों में यह लिमिट 50 से 60 प्रतिशत की हो। कंपनियों ने सरकार के पास यह संदेश कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी सीआईआई के जरिए भेजा है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के अलावा सप्लाई चेन ऐंड लॉजिस्टिक्स पर बनाई गई उच्चस्तरीय समिति को संबोधित इस पत्र में कहा गया है, कंपनियां कामकाज बढ़ाने की राह पर हैं। लिहाजा दैहिक दूरी बनाए रखने के नियमों के दायरे में ही कामगारों की मौजूदगी बढ़ाने की सख्त जरूरत है ताकि खाने-पीने की जरूरी चीजों की उपलब्धता बढ़ाई जा सके। इस पत्र में कारखाना कानून में ढील देने की मांग भी की गई है। इसमें कहा गया है कि सरकार ओवरटाइम पेमेंट की व्यवस्था के साथ 12 घंटे कामकाज की इजाजत सभी राज्यों में दे। अभी आठ घंटे का वर्क शेड्यूल होता है। पत्र में कहा गया है कि यह कदम कामगारों की सहमति से उठाया जाना चाहिए और ओवरटाइम सामान्य वेतन के अनुपात में दिया जाएगा। ओवरटाइम पर राज्यों ने अलग-अलग कदम उठाए हैं। पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने कहा है कि वे ओवरटाइम की इजाजत देंगे, वहीं दूसरों ने अभी इस पर रुख को साफ नहीं किया है।

पूरे देश में एक सा हो वर्कआवर रिलीफ

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के एमडी वरुण बेरी ने कहा, लेबर वर्कफोर्स पर्सेंटेज पर पाबंदी क्यों रहनी चाहिए। साथ ही वर्कआवर पर रिलीफ राष्ट्रीय स्तर पर देनी चाहिए, न कि अलग-अलग राज्यों के लिए यह अलग-अलग होनी चाहिए। इससे कंज्यूमर डिमांड की पूर्ति करने में मदद मिलेगी। हमारा अनुरोध है कि इस मामले में एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया जाए। इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स ने कहा कि प्रतिबंधों में ढील देने के बावजूद जरूरी चीजों की आपूर्ति का स्तर 50 फीसदी के आसपास ही है और यह डिमांड से कम है। मेट्रो कैश ऐंड कैरी के एमडी अरविंद मेदीरत्ता ने कहा, एफएमसीजी कंपनियों की ओर से सप्लाई में गंभीर बाधा बनी हुई है क्योंकि वे हमारे पास लिस्टेड स्टॉक्स के 50 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। जहां तक जरूरी चीजों का मामला है तो इनकी आपूर्ति तो डिमांड से बहुत ही कम है।

तेजी से बढ़ रही कंज्यूमर डिमांड

पारले प्रॉडक्ट्स के कैटिगरी हेड मयंक शाह ने कहा, हम अब भी 60 से 65 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहे हैं। कंज्यूमर डिमांड तेजी से बढ़ रही है। उसे पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाना होगा। लेटर में कहा गया है कि ग्रीन और ऑरेंज जोन में भी कामगारों के उपलब्ध होने का मसला बना हुआ है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पुलिस से इजाजत लेना बहुत ही कठिन है। नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा, हम अपने कामकाज के बारे में सलाह लेने के लिए अथॉरिटीज से लगातार संपर्क में हैं।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। सिर्फ शीर्षक में बदलाव किया गया है। अतः इस आर्टिकल अथवा समाचार में प्रकाशित हुए तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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