खटाई में पड़ी टाटा समूह के साथ बिसलेरी की डील
खटाई में पड़ी टाटा समूह के साथ बिसलेरी की डीलRaj Express

कंपनी की ज्यादा कीमत चाहते हैं रमेश चौहान, खटाई में पड़ी टाटा समूह के साथ बिसलेरी की डील

1969 में चौहान परिवार ने 4 लाख रुपए में शुरू की थी कंपनी, आज देश के 32 फीसदी वाटर मार्केट पर जमाया कब्जा।

राज एक्सप्रेस। भारत में बोतलबंद पानी के सबसे पॉपुलर ब्रांड बिसलेरी की टाटा ग्रुप के साथ डील अटक गई है। सूत्रों के अनुसार टाटा समूह की Bisleri में स्टेक हासिल करने के लिए चल रही बातचीत में ट्रांजेक्शन स्ट्रक्चर को अंतिम रूप देने के दौरान गतिरोध पैदा हो गया है। टाटा समूह के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान रमेश चौहान ने कहा है कि कंपनी के मूल्यांकन को लेकर उनके पक्ष में कुछ असहमतियां हैं। इस डील को आगे बढ़ाने के पहले इन्हें सुलझाया जाना जरूरी है। सूत्रों के अनुसार रमेश चौहान टाटा समूह के साथ बिसलेरी की डील से 1 अरब डॉलर मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बातचीत जब उसके निकट पहुंचती नहीं दिखी तो उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज कराई। इसी वजह बिसलेरी की बिक्री को लेकर चल रही बातचीत को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।

फिर शुरू हो सकती है सौदे पर चर्चा :

इस लेनदेन से जुड़े सूत्रों ने अपने नाम का जिक्र न करने की शर्त पर बताया कि दोनों पक्षों के बीच सहमति कायम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है टाटा समूह और बिसलेरी के बीच इस सौदे को लेकर जल्दी ही फिर चर्चा शुरू हो सकती है। कंपनी सूत्रों के अनुसार इस डील में कुछ अन्य संभावित दावेदारों के नाम भी सामने आ सकते हैं। इस मुद्दे को लेकर दोनों की कंपनियों की ओर से किसी तरह की टिप्पणी नहीं की जा रही है। इस डील से जुड़े सवालों वाली ईमेल का कंपनी ने जवाब नहीं दिया है।

पैकेज्ड वाटर मार्केट की मार्केट लीडर है Bisleri :

Bisleri के इतिहास पर नजर डालें तो साल 1969 में चौहान फैमिली ने महज 4 लाख रुपए में इसे एक इतालवी कंपनी से खरीदा था। 2022 में टाटा समूह के साथ इसका सौदा एक अरब डॉलर से अधिक में करने की बातचीत हो रही है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि कभी बिसलेरी का पानी कांच की बोतलों में बेचा जाता था। प्लास्टिक की बोतलों ने बाद में कांच की बोतलों को रिप्लेस कर दिया। आज देश में पैकेज्ड वाटर मार्केट 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का है। इसमें से 60 फीसदी हिस्सा असंगठित है। संगठित पानी के बाजार में बिसलेरी की हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी है।

देश भर में 122 ऑपरेशनल प्लांट :

बिसलेरी वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक देश में बिसलेरी के 122 से अधिक ऑपरेशनल प्लांट हैं। पूरे भारत में लगभग 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक इसका डिस्ट्रीब्यूटरों का बड़ा नेटवर्क है। बिसलेरी के अध्यक्ष रमेश चौहान ने नवंबर 2022 में बताया था कि वह कंपनी क्यों बेचने की कोशिश कर रहे हैं।

इन वजहों से बिसलेरी को बेचना चाहते हैं रमेश चौहान :

82 वर्षीय रमेश चौहान ने बताया था कि खराब स्वास्थ्य के अलावा और भी कई ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से उन्होंने बिसलेरी को बेचने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कंपनी बेचने की एक वजह तो यह है कि कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं है। उनकी बेटी और बिसलेरी की वाइस चेयरपर्सन जयंती इस कारोबार के प्रति बहुत उत्सुक नहीं है। इस स्थिति में उनके पास बिसलेरी को बेचने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।

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