जल्दी ही ग्रीन एनर्जी एक्सपोर्ट हब के रूप में स्थापित होगा भारत
फिलहाल कच्चे तेल और गैस आयात से पूरी होती हैं देश की ऊर्जा जरूरतें
ग्रीन एनर्जी बढ़ाने के शुरू किए गए प्रयास, एनर्जी एक्सपोर्ट हब बनेगा भारत
राज एक्सप्रेस : देश में ग्रीन एनर्जी उत्पादन के प्रयास शुरू हो गए हैं। जल्दी ही देश ग्रीन एनर्जी के एक बड़े उत्पादन केंद्र के रूप उभरकर सामने आएगा। देश के सबसे बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी), ग्रीनको ग्रुप और वेलस्पन न्यू एनर्जी गुजरात के कांडला में दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (डीपीए) में ग्रीन एनर्जी उत्पादन के लिए एक लाख करोड़ रुपए की लागत से इकाई स्थापित करेंगेा। रिलांयस और एलएंडटी गुजरात के कांडला में करेंगे निवेश। इन इकाइयों में ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया का उत्पादन किया जाएगा।
ग्रीन एनर्जी का उत्पादन बढ़ने से भारत द्वारा सालाना किए जाने वाले अरबों डॉलर के कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी। अगर देश में ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाए, तो कच्चे तेल पर देश की निर्भरता कम हो सकती है। उल्लेखनीय है कि देश में एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में रिलांयस और एलएंडटी द्वारा किया जाने वाला तक का सबसे बड़ा निवेश है। कांडला में दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (डीपीए) को पिछले साल अक्टूबर में 300 एकड़ के 14 लैंड पार्सल पर इकाई स्थापित करने के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं। प्रत्येक लैंड पार्सल को सालाना 10 लाख टन (एमटीपीए) ग्रीन अमोनिया के लिए निर्धारित किया गया है।
सूत्रों के अनुसार पिछले माह डीपीए ने रिलांयस और एलएंडटी समेत चारो कंपनियों को भूखंड आवंटित कर दिए हैं। एक सूत्र कहा कि डीपीए ने कुल 4,000 एकड़ भूमि के साथ 14 भूखंडों की पेशकश की है। इसमें से रिलायंस को छह भूखंड आवंटित किए गए हैं। एलएंडटी को पांच, ग्रीनको ग्रुप को दो और वेलस्पन न्यू एनर्जी को एक भूखंड आवंटित किया गया है। रिलांयस और एलएंडटी और दो अन्य ने नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाई थी। सूत्रों के अनुसार चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद जून में इस बारे में सभी जानकारियों को सार्वजनिक किया जाएगा।
कांडला पोर्ट में 7 एमटीपीए ग्रीन अमोनिया और 1.4 एमटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कच्छ की खाड़ी में स्थित, डीपीए देश के पश्चिमी तट पर स्थित प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। बता दें कि रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों से प्राप्त बिजली का उपयोग करके पानी को इलेक्ट्रोलाइज करके ग्रीन हाइड्रोजन (जीएच2) बनाया जाएगा। इसमें किसी भी ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन नहीं होता है। यह ग्रीन हाइड्रोजन को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने के प्रयास का हिस्सा है। यह दुनिया को नेट-जीरो एमिशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
अमोनिया ग्रीन हाइड्रोजन के लिए सबसे बड़ा एंड-यूजर सेगमेंट है और बड़े पैमाने पर जीएच2 के उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने ऐसे तीन बंदरगाहों की पहचान की है, जिन्हें 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन का हब बनाया जाना है। इनमें कांडला के दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (डीपीए) के अलावा ओडिशा के पारादीप और तमिलनाडु के चिदंबरनार पोर्ट शामिल हैं। इन बंदरगाहों को 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन के हब के रूप में स्थापित किए जाने की योजना है।
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