पिछले साल तक कुल आयात के 23% हिस्से की रूस से की जाती थी आपूर्ति
इराक, सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका की बाजार हिस्सेदारी में आई कमी
भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल में इराक की हिस्सेदारी घटकर 20% हुई
राज एक्सप्रेस । रूस-यूक्रेन युद्ध और जी7 देशों के प्रतिबंधों के बाद भी रूस ने 2023-24 में भारत के तेल आयात पर अपना दबदबा बनाए रखा है। एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार, रूस से किया जाने वाला कच्चे तेल का आयात अब भारत के कुल आयात का 35% हिस्सा हो गया है, जो पिछले साल 23% हुआ करता था। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इराक, सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका जैसे अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं की बाजार हिस्सेदारी में हाल के दिनों में कमी देखने को मिली है।
भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल में इराक की हिस्सेदारी घटकर 20% हो गई है, जबकि सऊदी अरब का हिस्सा 15% हो गया है। इसके साथ ही यूएई का 6% और अमेरिका का हिस्सा घटकर 3.5% रह गया है। आपूर्ति के मामले में, सबसे आगे रहने वाले रूस ने वित्त वर्ष 2024 में 1.57 मिलियन बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की है। जबकि पिछले साल रूस से प्रतिदिन एक मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल की आपूर्ति की गई। इराक की आपूर्ति 0.95 मिलियन बैरल प्रतिदिन से घटकर 0.89 मिलियन बैरल प्रतिदिन रह गई है।
जबकि सऊदी अरब की आपूर्ति 0.78 मिलियन बैरल प्रतिदिन से घटकर 0.69 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गई है। शिपिंग में चुनौतियों के बावजूद, भारतीय तेल कंपनियां आकर्षक छूट के कारण रूसी कच्चे तेल को तरजीह देते रहते हैं। रूस के भारतीय बाजार में दबदबे को सुनिश्चित करने वाली मुख्य वजह दरअसल छूट है। तेल उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि भारतीय तेल कंपनियां रूस से तेल आखिर क्यों खरीदते? रूस से भारत तक तेल भेजने में बहुत अधिक समय लगता है और इसकी लागत भी बहुत अधिक होती है।
यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से रूसी तेल पर छूट में काफी कमी देखने को मि्ली है। शुरुआत में, रूसी कच्चे तेल को अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड से 30 डालर प्रति बैरल की छूट पर बेचा जाता था, लेकिन अब यह छूट घटकर 2-3 डालर प्रति बैरल ही रह गई है। इसके बाद भी कच्चे तेल की खरीद के आंकड़े में कोई कमी नहीं देखने को मिली है। शुरुआत में शिपिंग और बीमा जटिलताओं से बचते हुए लागत प्रभावी रूसी कच्चे तेल की तलाश में भारतीय तेल कंपनियां प्रति बैरल 12-13 डॉलर की ही औसत छूट पा रही थीं।
और बुरी स्थित तब हुई जबकि कुछ माह बाद यह छूट घटकर 5-7 डालर प्रति बैरल के स्तर पर आ गई। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल के दिनों में, यह छूट और अधिक घटकर 2 से 3 डालर प्रति बैरल के स्तर पर आ गई है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि कच्चे तेल की खरीद में बचत का हिसाब लगाने वाली तेल कंपनियों के लिए यह अब भी आकर्षक बनी हुई है। भारतीय कंपनियां अब भी बड़े स्तर पर रूस से कच्चा तेल खरीद रही हैं।
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