चीन की दक्षता से नहीं हो सकता भारत का विकास
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चीन की दक्षता से नहीं हो सकता भारत का विकास : एस जयशंकर

एस जयशंकर ने कहा कि, दुनिया के प्रमुख देशों में से कोई भी विनिर्माण क्षमता के विकास के बिना अपना वैश्विक स्तर बनाए नहीं रख सकता...

नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था का विकास चीन की दक्षता से नहीं हो सकता और व्यवसायों को चाइना फिक्स की तरफ देखना बंद करने की आवश्यकता है। यह बात भाारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कही। उन्होंने भारत के विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता में वृद्धि पर भी जोर दिया। एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि दुनिया के प्रमुख देशों में से कोई भी विनिर्माण क्षमता के विकास के बिना अपना वैश्विक स्तर बनाए नहीं रख सकता। भारत को भी इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को ऐसे देशों से स्पर्धा नहीं करना चाहिए जो अपने देश में उत्पादन के लिए भारी सब्सिडी देते हैं और व्यवसयों को देश के खर्च पर अनुचित लाभ उठाने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए। जयशंकर जी२० शेरपा अमिताभ कांत की पुस्तक मेड इन इंडिया: ७५ ईयर्स आफ बिजनेस एंड इंटरप्राइज के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार विनिर्माण की आपूर्ति श्रंखला के निर्माण को प्राथमिकता देती है और मैं मेक इन इंडिया को आर्थिक और विनिर्माण कार्यक्रम के साथ-साथ एक रणनीति के रूप में भी देखता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से हमारा देश तब तक एक महान देश नहीं बन सकेगा जब तक वह निर्माण के क्षेत्र में महान नहीं बनता। यह बात हमें समझना चाहिए। हमें चाइना फिक्स की ओर देखना बंद कर देना चाहिए क्योंकि भारत का विकास चीन की दक्षता के सहारे नहीं हो सकता।

जयशंकर ने कहा कि यदि हम सच में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक अलग स्तर पर ले जाना चाहते हैं तो हमें घरेलू विक्रेताओं की श्रंखला बनानी होगी और यह तभी संभव है जब एक अच्छी विनिर्माण अर्थव्यवस्था का विकास किया जाए।

विदेश मंत्री ने कहा कि मैं जानता हूं यह रातों-रात नहीं हो सकता। लेकिन सरकार और आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति में शामिल व्यक्ति के रूप में मैं बता दूं कि हम विनिर्माण आपूर्ति श्रंखला को प्राथमिकता देते हैं जो इसके लिए जरूरी है।

विदेश मंत्री ने विनिर्माण विभाग को सहयोग देने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मुक्त करने और वैश्वीकरण के नाम पर हम अपने देश को औद्योगीकरण से विमुख नहीं कर सकते। हमें हमारी कठिनाइयों के हल ढूंढने होंगे। पिछले दशक पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि हमने बड़ी चुनौतियों से पार पाया है। हमें स्पष्ट रणनीति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं मेक इन इंडिया को आर्थिक कार्यक्रम के साथ-साथ एक रणनीति के रूप में भी देखता हूं।

विदेश मंत्री के बाद अमिताभ कांत ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और भारत के विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

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