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टाटा पावर को महाराष्ट्र ने दिया पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज से जुड़ी दो स्कीम्स में 13,000 करोड़ रुपए का काम

टाटा समूह की प्रमुख कंपनी टाटा पावर महाराष्ट्र में 'पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज' से जुड़ी 2800 मेगावाट की दो स्कीम्स में 13,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी।

हाईलाइट्स

  • पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएं (पीएसपी) अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता के समय पानी को निचले जलाशय से उच्च जलाशय में 'पंप' करती हैं।

  • उसी पानी का उपयोग अधिक मांग के दौरान बिजली पैदा करने के लिए निचले स्तर पर स्थित टर्बाइन चलाने के लिए किया जाता है।

  • पिछले 6 महीने पहले की तुलना में अब यह शेयर 13 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुका है।

राज एक्सप्रेस । टाटा समूह की प्रमुख कंपनी टाटा पावर महाराष्ट्र में 'पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज' से जुड़ी दो स्कीम्स में 13,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी। कंपनी ने मंगलवार को बताया दोनों परियोजनाओं की कुल क्षमता 2,800 मेगावाट होगी। यह खबर सामने आने के बाद कंपनी के शेयर मंगलवार को 0.52 प्रतिशत तेजी के साथ 233.85 रुपये पर बंद हुआ।

दोनों पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएं पुणे के शिरवता और रायगड के भिवपुरी में लगायी जाएंगी। जहां पुणे में लगने वाली परियोजना की क्षमता 1,800 मेगावाट होगी वहीं रायगड में लगने वाली परियोजना की क्षमता 1,000 मेगावाट होगी। इन दोनों परियोजनाओं से कुल मिलाकर 6,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।

महाराष्ट्र और कंपनी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए

टाटा पावर एक सदी से अधिक समय से राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं का संचालन कर रही है। परियोजनाएं खोपोली, भीरा और भिवपुरी में है। भीरा में 150 मेगावाट क्षमता की पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज परियोजना शामिल हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस की मौजूदगी में महाराष्ट्र सरकार और कंपनी के बीच समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए। कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रवीर सिन्हा ने कहा कि पीएसपी ऊर्जा भंडारण का एक और कुशल तरीका है। यह समझौता स्वच्छ और हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम है।

एक माह में कंपनी के शेयर में 4 फीसदी की तेजी

पिछले एक महीने के दौरान टाटा पॉवर के शेयरों की कीमतों में करीब 4 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है। वहीं, 6 महीने पहले की तुलना में अब यह शेयर 13 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुका है। जलविद्युत से जुड़ी पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएं (पीएसपी) अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता के समय पानी को निचले जलाशय से उच्च जलाशय में 'पंप' करती हैं। उसी पानी का उपयोग अधिक मांग के दौरान बिजली पैदा करने के लिए निचले स्तर पर स्थित टर्बाइन चलाने के लिए किया जाता है।

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