केंद्रीय बैंक ने लगातार सातवीं बार 6.5% पर स्थिर रखी रेपो दर
एसडीएफ और एमएसएफ दर क्रमशः 6.25% व 6.75% बनी रहेंगी
निकट भविष्य में आरबीआई की रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं
राज एक्सप्रेस। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लगातार सातवीं बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। इसका अर्थ यह है कि इससे आपके मौजूदा लोन की ईएमआई में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर, शक्तिकांत दास ने कहा है कि स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) की दर और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) की दर क्रमशः 6.25% और 6.75% पर बनी रहेंगी।
आइए जानें कि रेपो रेट क्या है और इसका आपकी ईएमआई पर क्या असर पड़ता है? रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालीन धनराशि मुहैया कराता है। बैंक तरलता की कमी होने पर सरकार द्वारा जारी प्रतिभूतियों या सोने जैसी संपत्तियों को केंद्रीय बैंक आरबीआई के पास जमा करके इस दर पर पैसा उधार लेते हैं। रेपो रेट में वृद्धि का सीधा प्रभाव बैंकों की उधारी लागत में वृद्धि के रूप में सामने आता है। नतीजतन, बैंक अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋणों पर ब्याज दरों में भी वृद्धि करते हैं, जिसका सीधा असर आपकी होम लोन, कार लोन आदि की ईएमआई पर पड़ता है, जिससे वे महंगी हो जाती हैं।
जानिए, क्या है भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति पर केंद्रीय बैंक का आउटलुक। गवर्नर दास ने यह भी सूचित किया है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 29 मार्च तक 645.6 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति फिलहाल मध्यम स्तर पर है और इसमें और कमी आने की उम्मीद है। आरबीआई ने इस वित्तीय वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 4.5% रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2023-24) की तुलना में कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7% लगाया है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि सभी जोखिम कारक संतुलित हैं।
यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली MPC बैठक थी। RBI आमतौर पर साल में कम से कम चार बार MPC बैठकें आयोजित कर देश की आर्थिक स्थिति का आकलन करता है। उसी के आधार पर मौद्रिक नीतिगत फैसले लेता है। रेपो रेट सहित अन्य दरों में भविष्य में होने वाले बदलावों का निर्णय मुद्रास्फीति, आर्थिक विकास और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों जैसे कारकों पर निर्भर करता है। हालांकि, रेपो रेट को लगातार बनाए रखने के फैसले से यह संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं है। माना जा रहा है कि साल के अंत तक केंद्रीय बैंक रेपो दर में गिरावट के बारे में सोच सकता है। बैंकों को जिस दर पर केंद्रीय बैंक से उधारी मिलती है, उसी के आधार पर ही बैंक आपकी ईएमआ्रई का निर्धारण करते हैं।
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