राज एक्सप्रेस। जैसा की सभी जानते है कि, चीन की गिनती ऐसे देशों में होती है जो हर क्षेत्र में संपन्न है। इसके बाबजूद भी चीन वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेता है और बैंक उसे कर्ज दे देती है। इसी बात को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वर्ल्ड बैंक से कहा है कि, बैंक को चीन को कर्ज देना बंद कर देना चाहिए। इतना ही नहीं ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्वीटर पर ट्वीट द्वारा कहा कि,
आखिर क्यों वर्ल्ड बैंक चीन को कर्ज दे रहा है? क्या यह संभव हो सकता है? चीन के पास बहुत पैसा है और यदि नहीं भी है तो, वे इसे बना सकते हैं। रुकें
डोनाल्ड ट्रम्प
क्या कहा डोनाल्ड ट्रम्प ने :
डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को ट्वीटर पर अपना बयान दिया इस बयान के बाद इस बात की काफी चर्चा हो रही थी, वहीं इस बयान पर वित्त मंत्री स्टीवन न्यूकिन ने भी ट्रंप का समर्थन करते हुए कहा चीन देश स्वयं ही छोटे-छोटे कई देशों को अरबों डॉलर का कर्ज देता है, ऐसे में उसे कर्ज लेने की क्या जरूरत है। संसद के दौरान दिए बयान में वित्त मंत्री ने अमेरिका द्वारा चीन को जो बहुवर्षीय कर्ज दिया जाता है उस कार्यक्रम पर आपत्ति जताई।
वर्ल्ड बैंक द्वारा दिया गया कर्ज :
वर्ल्ड बैंक ने 2019 के वित्त वर्ष में चीन को लगभग 1.3 अरब डॉलर (भारतीय करेंसी में 9268 करोड़ रुपए) कर्ज दिया। जो, 2017 के 2.4 अरब डॉलर (भारतीय करेंसी में 17,111 करोड़ रु.) की तुलना में लगभग आधा ही है। खबरों के अनुसार पिछले पांच सालों में वर्ल्ड बैंक ने चीन को लगभग 1.8 अरब डॉलर (भारतीय करेंसी में 12,833 करोड़ रूपये) का लोन दिया है।
वर्ल्ड बैंक का प्लान :
वर्ल्ड बैंक द्वारा गुरुवार को ही चीन के बेसिक मुद्दों और पर्यावरणीय ढांचे को देखते हुए सुधार करने के मकसद से पांच साल के कर्ज कार्यक्रम पर विचार शुरू किया था। हालांकि दूसरी तरफ बैंक ने चीन की मदद करने का वादा कर दिया है। वहीं इस मुद्दे पर बोर्ड का कहना यह है कि, जो कर्ज हर साल दिया जाता है वो जल्द ही कम हो जाएगा।
चीन का कहना :
इस बात पर चीन का कहना है कि, अमेरिका के राजनायिकों से जुड़े कुछ मुद्दों पर चीन द्वारा उनके खिलाफ कई कदम उठाए गए हैं। जैसे कि, अमेरिका को स्थानीय अधिकारियों से मिलने से पहले अब विदेश मंत्रालय को सूचित करना पड़ेगा। हालांकि, अमेरिका द्वारा भी बीते अक्टूबर में चीन के राजनायिकों को आदेश दिया गया था कि, वे अमेरिका में किसी अधिकारी से मिलने और किसी कॉलेज या रिसर्च इंस्टीट्यूट में जाने से पहले विदेश मंत्रालय को सूचित करें। इसलिए अमेरिका, चीन के इन कदमों को आपसी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है।
प्रवक्ता का कहना :
वहीं इस मुद्दे को लेकर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता चुनयिंग ने कहा कि, 'चीन ने नए उपायों के बारे में अमेरिकी दूतावास को बुधवार को सूचित कर दिया है। यह कदम चीनी राजनायिकों पर अमेरिकी पाबंदियों के जवाब में उठाया गया है। हम फिर यह आग्रह करते हैं कि, अमेरिका अपनी गलतियों को सुधार ले और नियमों को रद्द कर दे।'
व्यापार युद्ध :
एक तरफ दोनों देशो के बीच व्यापार युद्ध छिड़ा हुआ है, जिसके लिए अमेरिका और चीन नए व्यापार समझौते पर सहमति बनाने के लिए काम कर रहे हैं। जिसमे अमेरिका द्वारा चीन पर 550 अरब डॉलर के उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा कर चुका है। जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका द्वारा मई में चीन पर 250 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क को 10% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया था। इसी शुल्क को 1 सितंबर से 300 अरब डॉलर के आयात पर 10% शुल्क में बदल दिया गया और अब दूसरी तरफ ट्रंप का ये बयान। इन हालातों को मद्दे नज़र रखते हुए यह बता पाना मुश्किल है कि, दोनों देशों के बीच तनाव कब खत्म होगा।
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