वाहन स्क्रैपिंग से नये वाहनों की मांग के साथ रोजगार भी बढ़ेगें : नितिन गडकरी

श्री नितिन गडकरी ने सरकार द्वारा स्वीकृत ईएलवी स्क्रैपिंग एवं रिसाईक्लिंग यूनिट, मारुति सुजुकी तोयोत्सु इंडिया प्राईवेट लिमिटेड (एमएसटीआई) का आज नोएडा में उद्घाटन किया।
वाहन स्क्रैपिंग से नये वाहनों की मांग के साथ रोजगार भी बढ़ेगें : नितिन गडकरी
वाहन स्क्रैपिंग से नये वाहनों की मांग के साथ रोजगार भी बढ़ेगें : नितिन गडकरीRaj Express

नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज कहा कि देश में पुराने वाहनों को समाप्त करने के उद्देश्य से जो राष्ट्रीय नीति बनाई गई है उससे न सिर्फ सड़कें साफ और सुरक्षित होंगी बल्कि वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी और नये रोजगार के साथ ही अर्थव्यवस्था में भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की भागीदारी बढ़ेगी।

श्री गडकरी ने सरकार द्वारा स्वीकृत ईएलवी स्क्रैपिंग एवं रिसाईक्लिंग यूनिट, मारुति सुजुकी तोयोत्सु इंडिया प्राईवेट लिमिटेड (एमएसटीआई) का आज नोएडा में उद्घाटन करने के अवसर कहा कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग अभी 7.5 लाख करोड़ रुपये का है जिसके अगले पांच वर्षाें में बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपये के होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग होने से नये वाहनों की मांग में करीब 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है और इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि, एक पुराने वाहन से जितना प्रदूषण फैलता है उतना 15 नये वाहनों से प्रदूषण होता है। इस लिहाज से भी स्क्रैपिंग किये जाने से वायु प्रदूषण में भी कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि पहले इस तरह की वाहन स्क्रैपिंग यूनिट अमेरिका, ब्राजील और जर्मनी जैसे देशों में थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अब मात्र 40 करोड़ रुपये की लागत से इस तरह की इकाई लगायी जा रही है। उन्होंने कहा कि पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग से न सिर्फ देश में कई महत्वपूर्ण पदार्थाें के आयात में कमी आयेगी बल्कि आयात बिल भी कम होगा और पुराने वाहनों के अवशेष से उन पदार्थाें का निकालने से देश में नये रोजगार सृजित होंगे।

उन्होंने देश के हर जिले में इस तरह के दो से तीन वाहन स्क्रैपिंग इकाई लगाये जानेे की आवश्यकता बताते हुये ऑटोमोबाइल कंपनियों से पुराने वाहन मालिकों को नये वाहन खरीदने पर कुछ छूट भी देने की अपील की। उन्होंने कहा कि वाहन स्क्रैपिंग से ऑटोमोबाइल उद्योग की लागत में न सिर्फ 30 से 50 फीसदी तक की कमी आयेगी बल्कि भारतीय वाहन वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी भी होंगें जिससे निर्यात में बढोतरी होगी। अभी तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के वाहनों का निर्यात किया जा रहा है। भारतीय दोपहिया वाहन कंपनियां दुनिया भर में वाहन निर्यात करती है और दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक भी है।

इस अवसर पर भारत में जापान के एम्बेसडर एक्सट्राऑर्डिनरी एवं प्लेनिपोटेंशियरी सतोषी सुजुकी भी मौजूद थे। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार के उच्चाधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद थे।

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