जीवाश्म ईंधन पर आधारित दहन इंजन का युग अब खत्म हो चुका है
अब भविष्य ईवी का है, इस लिए बेहतर नेटवर्क स्थापित करना जरूरी
भारत को ईवी निर्माण में चैंपियन बनने को तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत
राज एक्सप्रेस : भारत को 2030 तक दोपहिया और तिपहिया वाहनों को 100% इलेक्ट्रिक बनाने और वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण में चैंपियन बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने का प्रयास शुरू करना चाहिए। यह बात जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कही। अमिताभ कांत ने भारत के वाहन उद्योग को तत्काल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर ले जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन पर आधारित दहन इंजन का युग अब खत्म हो चुका है और भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का है। उन्होंने कहा जीवाश्म ईंधन पर आधारित दहन इंजन तकनीक अब पुरानी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अब हमें तेजी से ईवी का चैंपियन बनने के प्रयास शुरू कर देने चाहिए।
अमिताभ कांत ने कहा कि अब भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का है। भारत के लिए अपने वाहन क्षेत्र के परिवर्तन को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7%, विनिर्माण जीडीपी में 35% और कुल निर्यात में 8% का योगदान देता है। अमिताभ कांत ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक वाहन बाजार है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े वाहन बाजार के रूप में, भारत को तीन-पहिया वाहनों के सबसे बड़े उत्पादक, दोपहिया वाहनों और बसों के दूसरे सबसे बड़े निर्माता और यात्री कारों के चौथे सबसे बड़े उत्पादक होने का गौरव प्राप्त है। ऐसे में भारत के ईवी का चैंपियन बनने से देश के विकास को सहारा मिलेगा।
सरकार के वाहन पोर्टल के डैशबोर्ड से पता चलता है कि ईवी पंजीकरण में खासकर 2-पहिया वाहनों की संख्या बढ़ रही है, हालांकि 3 और 4-पहिया वाहनों की संख्या में मामूली गिरावट देखने को मिली है। जनवरी 2024 में भारत में ईवी पंजीकरण 1,44,877 था, फरवरी में यह घटकर 1,41,382 हो गया लेकिन 30 मार्च तक महीने के आंकड़े में 32 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,86,143 वाहन दर्ज किया गया। अमिताभ कांत ने भारत को अब इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर अग्रसर करने की जरूरत पर बल दिया और 2030 तक दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 100% विद्युतीकरण का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने का प्रस्ताव रखा।
अमिताभ कांत ने कहा, 2030 तक भारत में ईवी अपनाने के लिए हमें कम से कम दस लाख फास्ट चार्जर्स की जरूरत पड़ने वाली है। उन्होंने कहा कि इन इकाइयों को घरेलू विनिर्माण के आधार पर हासिल करने की जरूरत है, न कि उन्हें आयात करके। अमिताभ कांत ने कहा हमें विनिर्माण में स्थानीयकरण को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके साथ ही बसों और वाणिज्यिक वाहनों के लिए मेगावाट-घंटे चार्जिंग की सुविधा भी देनी चाहिए। सभी ईवी निर्माताओं और स्टार्ट-अप्स को एक-दूसरे से अलग टेक्नोलॉजी बनाने के बजाय मिलकर काम करना चाहिए, ताकि एक ऐसा फास्ट-चार्जिंग नेटवर्क तैयार किया जा सके, जिसे परस्पर आधार पर संचालित किया जा सके। यह भारत में ईवी आंदोलन को गति देने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
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