2025-26 तक हासिल कर लेंगे 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकॉनामी का लक्ष्य, जल्द लागू होंगे सख्त कानूनी प्रावधान

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा भारत एक बड़ी डिजिटल क्रांति से गुजर रहा है। इसे देखते हुए केंद्र ने कानूनी प्रावधानों पर काम शुरू किया है।
Rajeev Chandrashekhar
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राज एक्सप्रेस। उद्यमी से नेता बने इलेट्रानिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि भारत एक बड़ी डिजिटल क्रांति से गुजर रहा है। सन 2011 में भारत में लगभग 100 मिलियन इंटरनेट यूजर थे, जो 2023 आते-आते 800 मिलियन से ज्यादा हो गए। 12 सालों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में आठ गुना उछाल देखने में आई है। आज इंटरनेट ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 800 मिलियन यूजर्स तक पहुंच कायम करके लिखने-पढ़ने, सीखने-सिखाने और संचार के तौर तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया है। 2025-26 तक एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में कुशल कार्यबल और सख्त कानूनी प्रावधानों की जरूरत पड़ेगी। इलेट्रानिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा सरकार चाहती है कानून के माध्यम से यूजर्स के हितों को सुरक्षित किया जाए, ताकि यूजर्स को साइबर अपराधों के साथ-साथ गलत और गैर-जरूरी कंटेंट से भी बचाया जा सके।

बढ़ रहे इंटरनेट यूजर्स, कानून 22 साल पुराने

हाल के दिनों में देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) के अनुमान के अनुसार 2025 तक देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़कर 900 मिलियन हो जाएगी। इस बड़ी संख्या को साइबर धोखाधड़ी से बचाने के लिए कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत लाना जरूरी है। राजीव चंद्रशेखर ने कहा हमारी इकोनॉमी की टेक्नोलॉजी इंटेंसिटी (तीव्रता) बढ़ रही है। इनोवेशन इकोसिस्टम बढ़ रहा है, लेकिन दिक्कत की बात यह है कि इस सेक्टर को नियंत्रित करने वाला कानून 22 साल पुराना है। उन्होंने कहा कि सरकार फ्री स्पीच से जुड़ी चिंताओं से भी अवगत है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे कानूनी प्रावधान करने होंगे ताकि इंटरनेट सर्फेस परस्पर एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का मंच बनकर न रह जाए। अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर इंटरनेट पर गलत सूचनाएं या नफरत फैलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

कुछ प्रतिबंधों के अधीन हैं मौलिक अधिकार

अभिव्यक्ति की आज़ादी एक मौलिक अधिकार है। यह अधिकार कुछ प्रतिबंधों और चेतावनियों के अधीन है। मंत्रालय इसके लिए कानूनी प्रावधान तैयार कर रहा है। ऐसे लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर अब बच नहीं सकेंगे। डिजिटल इंडिया बिल में नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को बनाए रखने के प्रावधान किए गए हैं। इसमें अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की आज़ादी) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) पर विशेष जोर दिया गया है। डिजिटल इंडिया अधिनियम में वैश्विक मानकों के अनुरूप इंटरनेट उपयोग का एक ऐसा कानूनी ढांचे का विकास किया जाना है, जिसमें सभी लोगों के हितों की सुरक्षा की जा सके। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), गेमिंग और मेटावर्स जैसे सेक्टर्स में चेक और बैलेंस का एक सेट भी लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविक दुनिया और डिजिटल दुनिया के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए जरूरी प्रावधान करेगी।

विधाई प्रक्रिया में भी 'सबका साथ सबका विकास'

राजीव चंद्रशेखर ने कहा कहा एआई और मेटावर्स जैसी उभरती टेक्नोलॉजी यूजर्स को गैसलाइटिंग और डॉक्सिंग का शिकार बना सकती हैं। यदि ये काम वास्तविक जीवन में अपराध हैं, तो उन्हें डिजिटल दुनिया में भी अपराध होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वर्तमान में डिजिटल इंडिया बिल को अंतिम रूप देने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रही है। राजीव चंद्रशेखर ने दोहराया कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का दर्शन विधायी प्रक्रिया के हर चरण में मार्गदर्शक रहने वाला है। डिजिटल इंडिया के वादे को पूरा करने का एक अभिन्न हिस्सा महिलाओं के बीच इंटरनेट के उपयोग को बढ़ावा देना है। मंत्री का कहना है कि देश में लगभग 45 फीसदी इंटरनेट यूजर महिलाएं हैं, लेकिन मुख्य रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस रखने वाले परिवारों के कारण अंतर मौजूद है। राजीव चंद्रशेखर ने कहा अगर हम जनता के लिए सस्ते डिवाइस उपलब्ध करा सकते हैं, तो महिला इंटरनेट यूजर्स के अनुपात में वृद्धि की संभावना अधिक है।

उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करेगा नया अधिनियम

भारत में 86,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें से 30 फीसदी कंपनियां टेक्नोलॉजी सेक्टर से संबंधित हैं। आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखऱ का मानना है कि भारत के युवा अब रोजगार पाने के लिए चिंतित नहीं हैं, क्योंकि वे अपने लिए अवसर पैदा करने में व्यस्त हैं। दशकों से, हमारा जिक्र गरीब लोगों के देश के रूप में किया जाता था। आत्मविश्वास से भरे युवा भारतीयों ने अपनी उद्यमशीलता की भावना के माध्यम से उस धारणा को बदल दिया है। डिजिटल इंडिया अधिनियम इस उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देता है। इस दिशा में किए जाने वाले सुधार न केवल भारतीय स्टार्टअप्स को सफल होने में सक्षम बनाएंगे, बल्कि वैश्विक स्टार्टअप्स के लिए भी भारत को केंद्र के रूप में स्थापित करेंगे। डिजिटल क्रांतिल का वाहक बनने के लिए भारत के लिए कौशल निर्माण एक अनिवार्य टूल है।

8 सालों में कुशल कार्यबल तैयार करने पर रहा जोर

राजीव चंद्रशेखर ने पिछले आठ सालों में कौशल विकास की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। यद्यपि उन्होंने कहा कि भारतीय युवा अब भी पूरी तरह से कुशल नहीं हैं। देश 2014 के दौर से काफी आगे निकल चुका है। उस दौर के कुल 420 मिलियन कर्मचारियों में से 320 मिलियन कर्मचारी अकुशल हुआ करते थे। कंपनियों की कौशल आवश्यकताओं और कार्मिक क्षमताओं के बीच बड़ा अंतर हुआ करता था। लेकिन धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बड़ा बदलाव घटित हुआ। हालाँकि, एआई और इससे जुड़े सेक्टर्स में 45,000 से अधिक खाली पदों के साथ, काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है। राजीव चंद्रशेखर ने बताया इस साल के बजट में एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए 8,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मेकिंग इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड देश में कुशल विनिर्माण क्षमताओं के विकास के बिना डिजिटल इंडिया का वादा अधूरा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश और कर्नाटक को क्षमता निर्माण के उल्लेखनीय उदाहरणों के रूप में वर्गीकृत करते हुए कहा कि छह साल पहले उत्तर प्रदेश की टेक्नोलॉजी के सेंटर के रूप में कल्पना करना मुश्किल था। लेकिन यही राज्य 2023 में उत्तर भारत में सबसे बड़ा डेटा सेंटर होस्ट करता है और भारत में मोबाइल फोन का सबसे बड़ा निर्यातक भी है।

स्टार्टअप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, इनोवेशन का हब बना बेंगलुरू

टेक्नोलॉजी और डिजिटल भारत के बारे में चर्चा हमेशा कर्नाटक और उसके आईटी हब, बेंगलुरु को साथ लाती है। अब एप्पल जैसे वैश्विक निर्माताओं ने भारत में उत्पादन शुरू करने का निर्णय लिया है। एप्पल के पार्टनर फाक्सकान की बेंगलुरु के पास 700 मिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना है। कर्नाटक, जिसे कभी आईटी हब के रूप में जाना जाता था, अब स्टार्टअप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजाइन के इनोवेशन का हब बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत में एप्पल के विस्तार से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में कर्नाटक को एक नया प्रोत्साहन मिलेगा। नया प्लांट रोजगार तो पैदा ही करेगा, एक नई कार्य संस्कृति का भी विस्तार करेगा। एप्पल का आना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि एप्पल की फैक्टरियां 80 फीसदी महिलाओं को रोजगार देती हैं। उन्होंने कहा 2025-26 तक एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए आत्मनिर्भर भारत विजन के लिए सक्षम विनियम, कुशल कार्यबल और समावेशी विकास जरूरी होगा। आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अब हम इसी लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं।

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