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विलफुल डिफॉल्टर्स ने 87,295 करोड़ नहीं लौटाए, गीतांजलि जेम्स पर सबसे ज्यादा 8,738 करोड़ बकाया

वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि देश के टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टरों पर 31 मार्च 2023 तक बैंकों और वित्तीय संस्थानों का 87,295 करोड़ रुपए बकाया है।

हाईलाइट्स

  • भगोड़े मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टर है।

  • फ्रॉड ट्रांजैक्शन को रोकने को लागू किए गए सख्त प्रावधान, फिर भी रुक नहीं रहे मामले

  • मेहुल व नीरव, हेम सिंह भराना और आरईआई एग्रो देश में तीन सबसे बड़े डिफाल्टर

राज एक्सप्रेस । वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि देश के टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टरों पर 31 मार्च 2023 तक बैंकों और वित्तीय संस्थानों का 87,295 करोड़ रुपए बकाया है। इन विलफुल डिफॉल्टर्स में मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, ऋषि अग्रवाल की एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड शामिल हैं। गीतांजलि जेम्स पर 8738 करड़, एरा इंफ्रा पर 5750 करोड़ रुपए, आरआई एग्रो पर 5148 करोड़ रुपए बकाया है। एबीजी शिपयार्ड 4774 करोड़ रुपए, कानकास्ट स्टील एंड पावर 3911 करोड़़ रुपए। इसी तरह रोटोमैक ग्लोबल पर 2894 करोड़ रुपए, विनसम डायमंड्स पर 2846 करोड़ रुपए, फ्रास्ट इंटरनेशनल पर 2518 करोड़ रुपए, श्रीलक्ष्मी काटसिन पर 2180 करोड़ रुपए और जूम डेवलपर्स पर 2066 करोड़ रुपए बकाया है।

गीतांजलि जेम्स सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टर

वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के एक लिखित उत्तर में बताया कि विलफुल डिफॉल्टर यानी जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों में से टॉप 10 पर शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों (एससीबी) का 40,825 करोड़ रुपए बकाया है। वहीं भगोड़े मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टर है। उस पर बैंकों का 8,738 करोड़ रुपए बकाया है।

2022-23 में फ्रॉड के 66,069 मामले

एक जवाब में कराड ने बताया कि 2022-23 में फ्रॉड के 66,069 मामले सामने आए हैं। इससे 85.25 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले साल धोखाधड़ी के 65,893 मामले सामने आए थे। इससे 115.36 करोड़ रुपए की हानि हुई थी। उन्होंने कहा कि फ्रॉड ट्रांजैक्शन को रोकने के लिए आरबीआई समय-समय पर निर्देश जारी करता रहा है।

ये हैं देश के टॉप 3 डिफॉल्टर्स

गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन रहे मेहुल चोकसी और नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक का 14 हजार करोड़ से ज्यादा बकाया है। बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से 2011 से 2018 के बीच फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के जरिए उन्होंने बहुतु बड़ी रकम विदेशी खातों में ट्रांसफर की गई थी। दोनों ही इस समय देश से बाहर हैं। उन्हें सरकार ने भगोड़ा घोषित कर दिया है।

भराना ने सभी प्रमुख बैंकों को जमकर छकाया

उद्योगपति हेम सिंह भराना ने देश के लगभग सभी प्रमुख बैंकों से कर्ज लिया था। उनके काम करने का तरीका बेहद सरल था। वह अपनी कंपनी एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड के नाम पर लोन लेते थे और फिर पेमेंट नहीं करते थे। भराना ने 30 से ज्यादा संस्थाओं और लगभग 3,000 घर खरीदारों से 16,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की। 2016 में एरा इंफ्रा को एनपीए घोषित किया था।

आरईआई एग्रो ने 3,871.71 करोड़ का फ्रॉड किया

प्रवर्तन निदेशालय ने 2016 में सीबीआई के मामले के आधार पर आरईआई एग्रो कंपनी और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। यह कंपनी बासमती चावल की प्रोसेसिंग करती थी। सीबीआई की एफआईआर में दावा किया गया है कि आरईआई के डायरेक्टर्स ने यूको बैंक के नेतृत्व वाली कंसोर्टियम के तहत 14 बैंकों से 3,871.71 करोड़ का फ्रॉड किया।

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