कोरोना का कहर : जिले में पहली मौत, 10 गंभीर, आंकड़ा 150 पार

शहडोल, मध्य प्रदेश : कोयलांचल के बुढ़ार, अमलाई में फिर 6 नये मामले। रेलवे के गैंगमैन की संक्रमण से हुई मौत। संक्रमण के बाद भी नहीं सील किया अस्पताल।
कोरोना संदिग्ध की जिले में पहली मौत
कोरोना संदिग्ध की जिले में पहली मौतSocial Media

शहडोल, मध्य प्रदेश। देश की आजादी के 74 वर्षों बाद शनिवार को पहला मौका था, जब सार्वजनिक तौर पर स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया। प्रदेश सरकार सहित जिला प्रशासन पूरी तरह से कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर प्रयासरत है, बावजूद इसके रविवार को जिले में कोरोना संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति की मौत हो गई, रविवार दोपहर तक लगभग 133 संक्रमित मरीजों का उपचार मेडिकल कालेज में किये जाने की खबर है, वहीं यह भी बताया गया कि 10 मरीजों में संक्रमण का खतरा अधिक होने के कारण उन्हें आईसीयू में ऑक्सीजन देकर रखा गया है, शाम को एक बार फिर कोयलांचल में 06 नये मरीजों के सामने आने की पुष्टि प्रशासन ने की जिसमें मुख्यालय के गोरतरा के एक मामले के अलावा बुढ़ार नगर पंचायत के वार्ड नम्बर-01 का एक, वार्ड नम्बर-02 से दो तथा थाना क्षेत्र के सरईकापा में एक व्यक्ति को संक्रमित होना पाया गया, अमलाई थाना में पदस्थ एक और पुलिस कर्मी को भी संक्रमित होने की पुष्टि प्रशासन ने की, यह व्यक्ति थाने के पीछे स्थित स्टोर कालोनी का निवासी बताया गया है।

जान-बूझकर की भूल या :

14 अगस्त को मुख्यालय स्थित श्रीराम अस्पताल में वृद्ध महिला को इलाज के लिये भर्ती किया गया, जब महिला की हालत बिगड़ने लगी व उसमें कोरोना के लक्षण नजर आने लगे तो, उसका सैम्पल जांच के लिये लिया गया। महिला कोरोना पॉजिटिव आई, उसे मेडिकल कालेज में भर्ती कर दिया गया, लेकिन प्रशासन ने हिस्ट्री नहीं खंगाली या फिर आंखे मूंद ली। श्रीराम अस्पताल का शायद एक फ्लोर सील किया गया, बाकी अस्पताल चालू रहा। इधर प्रबंधन का कहना है कि उसने कोविड वार्ड में महिला को भर्ती किया था और भर्ती के कुछ घंटों बाद ही जबलपुर रेफर की सलाह दी थी, कोरोना पॉजिटिव आने के बाद हमने वार्ड बंद करने के साथ उसकी सेवा में लगे कर्मियों को क्वारंटाइन कर दिया है।

स्टेडियम में सन्नाटा, स्टेशन पर सार्वजनिक आयोजन :

शहडोल संभागीय मुख्यालय का ऐतिहासिक महात्मा गांधी स्टेडियम जहां 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों ही राष्ट्रीय पर्वों पर सुबह से ही मेला लगा रहता था, 2 से 3 दिन पहले ही अधिकारी व्यवस्था की तैयारियों को अंजाम देते थे और स्थानीय विद्यालयों सहित समाजसेवी संगठनों के लोग तथा बच्चे यहां अपनी प्रस्तुतियां देते थे। कोरोना संक्रमण काल के कारण जिला प्रशासन ने सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया था। यही नहीं जिला दंडाधिकारी द्वारा इस संदर्भ में पहले ही समाचार पत्रों के माध्यम से जिले भर में स्थित सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई थी, जिस कारण 15 अगस्त को महात्मा गांधी स्टेडियम में सन्नाटा पसरा रहा। लेकिन दूसरी तरफ यह बात भी सामने आई कि शहडोल रेलवे स्टेशन के प्रांगण में रेलवे अधिकारियों द्वारा यहां ध्वजारोहण का सार्वजनिक तौर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्कूली बच्चों को आमंत्रित किया गया था। वहीं स्थानीय जन, समाजसेवी व रेलवे से जुड़े वर्दीधारी भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। हालांकि अधिकांश लोगों ने यहां सोशल डिस्टेंस के नियमों के तहत मास्क लगाए हुए थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में सार्वजनिक रूप से कार्यक्रम का आयोजन और उसी शहर में इस स्थान से लगभग एक किलोमीटर दूर जिले का गौरव माने जाने वाले महात्मा गांधी स्टेडियम के कार्यक्रम का ना होना चर्चा में बना हुआ है। आम लोगों में चर्चा है कि जिले में 2 नियम लागू है, एक जगह कार्यक्रम पूरे हर्षोल्लास और पुराने रिवाज़ो से मनाया जा रहा था, वहीं महात्मा गांधी स्टेडियम में भी स्टेशन की तरह से क्या कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सकता था। यदि महात्मा गांधी स्टेडियम में कार्यक्रम के आयोजन के कोरोना के फैलने का भय था, तो रेलवे क्षेत्र में मनाए गए कार्यक्रम से कोरोनावायरस के फैलने की आशंका नहीं थी क्या? लोगों ने यह भी कहा कि स्टेडियम में कार्यक्रम नही तो कम से कम इस ऐतिहासिक स्थान पर नगर पालिका या जिला प्रशासन के जिम्मेदार राष्ट्रीय ध्वज तो फहरा ही सकते थे।

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