नाबालिग बालिका ने बेतवा नदी में लगाई छलांग, तटों पर नहीं थे सैनिक मौजूद

विदिशा, मध्यप्रदेश। सुबह लगभग 6 बजे एक नाबालिग बालिका ने बेतवा के पुराने छोटे पुल से पानी में छलांग लगा दी। मौजूद लोगों ने देखा और होमगार्ड सैनिकों को सूचना दी।
बेतवा का पुराना छोटा पुल
बेतवा का पुराना छोटा पुलराज एक्सप्रेस, संवाददाता

हाइलाइट्स :

  • होमगार्ड की मोटर बोट खराब

  • सही होती तो बचाई जा सकती थी बालिका की जान

  • तटों पर नहीं थे सैनिक मौजूद

विदिशा, मध्यप्रदेश। सुबह लगभग 6 बजे एक नाबालिग बालिका ने बेतवा के पुराने छोटे पुल से पानी में छलांग लगा दी। मौजूद लोगों ने देखा और होमगार्ड सैनिकों को सूचना दी। बताया जाता है कि यह नाबालिग अपने घर पर किसी कारण से झगड़कर खुदकुशी करने ही आई थी। पहले कुछ देर पुल पर खड़ी रही फिर अपना मोबाईल पटका और पानी में छलांग लगा दी। बालिका के गिरते समय अगर सैनिक होते तो जान बचाई जा सकती थी। जैसे-तैसे मोटर वोट आई तो वह भी नदी में बंद हो गई। बाद में दूसरी मोटर वोट आई तब कहीं जाकर तलाशी शुरू की गई। लगभग 12 घंटे की मशक्कत के बाद बालिका की लाश सैनिकों को मिली। अगर समय रहते सतर्कता बरती जाती तो बालिका की जान बच सकती थी।

मुक्तिधाम सेवा समिति सचिव मनोज पाण्डे ने तुरंत कंपनी कमाण्डर को फोन लगाया और सूचना दी। वर्षा काल और बाढ़ जैसे हालातों में बेतवा नदी के घाटों पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाना चाहिए। यहां होमगार्ड सहित पुलिस के जवान प्रत्येक घाटों पर मौजूद रहे जिससे लोगों के जानमाल की सुरक्षा की जाए। गत शुक्रवार को बेतवा में नाबालिग लड़की के गिर जाने से सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। अगर वहां होमगार्ड या पुलिस के जवान तैनात होते तो इस घटना को बचाया जा सकता था। मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे के मुताबिक वह नाबालिग लड़की पहले छोटे पुल पर काफी देर खड़ी रही थी उसी बीच अगर सुरक्षा व्यवस्था माकूल होती तो उसका जीवन बचाया जा सकता था।

वहीं, बाढ़ और वर्षा काल की विभीषिका के बीच होमगार्ड के संसाधन की भी कमी साफ देखने को मिली जब छोटे पुल से चरण तीर्थ और मुक्तिधाम वाले पुल पर लड़की के रेस्क्यू के समय मोटर बोट कुछ दूरी पर चलते ही खराब हो गई। ऐसी बाढ़ की स्थिति में संसाधनों का ऐसे खराब होना जीवन मूल्यों पर प्रश्नचिन्ह जरूर खड़ा करता है। श्री पांडे के मुताबिक उन्होंने खुद होमगार्ड के कंपनी कमांडर को मोबाइल पर मोटर बोट के खराब होने की सूचना दी तब आधा घंटे के अंदर दूसरा इंजन आया फिर रेस्क्यू शुरू हो सका। इसलिए बाढ़ और वर्षा काल में बेतवा नदी पर प्रशासन समय-समय पर संसाधन की कमी और जवानों की तैनाती की माकूल व्यवस्था देखना चाहिए।

श्री पांडे के मुताबिक आज भी प्रतिदिन बेतवा नदी पर और उसके घाटों पर छोटे-छोटे बच्चे नाबालिग लड़के लड़कियां सेल्फी और फोटोग्राफी करते नजर आते हैं उनको अनेक बार मैं खुद भी वहां से हटा चुका हूं लेकिन यह क्रम जारी है इस और भी प्रशासन को देखना चाहिए। वहीं दूसरी ओर छोटे पुल से लेकर मुक्तिधाम के पुल तक जो जलकुंभी पूरे क्षेत्र में फंसी पड़ी है उसको भी डिस्ट्रॉय करना चाहिए क्योंकि बाढ़ जैसे हालात में कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वह जल्दी ही माकूल इंतजाम बेतवा के विभिन्न घाटों पर निर्धारित कर दे जिससे लोगों की जान माल का नुकसान ना हो।

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