Iran israel 12 day war ends with a lot of damage win loss details
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ईरान-इजरायल युद्ध: 12 दिन की जंग में ईरान ने बहुत कुछ गंवाया, इजरायल में भी खंडहर हो गई इमारतें; तस्वीरों के साथ समझें किसने क्या खोया, क्या पाया
Sun, 17 Aug, 2025
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तस्वीर तेहरान की है। इजरायल ने जंग के पूरे 12 दिन इस शहर की अलग-अलग लोकेशन पर बमबारी की। (सोर्स: AP)
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इजरायल ने 12 जून की देर रात ईरान पर सरप्राइज अटैक किया। उसका लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को तबाह करना था। हालांकि इस हमले के ठीक बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू के बयान के बाद साफ हो गया कि इजरायल की कोशिश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के साथ-साथ वहां सत्ता परिवर्तन की भी है। (सोर्स: AP)
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इस सरप्राइज अटैक में ईजरायल ने 200 फाइटर जेट्स, मिसाइल और ड्रोन्स की मदद से ईरान के न्यूक्लियर सेंटर, परमाणु वैज्ञानिक और बड़े सैन्य अधिकारियों के ठिकानों पर हमला किया। पहले दिन उसे जबरदस्त कामयाबी मिली। कई टॉप सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई।
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ईरान की सबसे शक्तिशाली मिलिट्री विंग ‘इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ (IRGC) के प्रमुख मेजर जनरल हौसेन सलामी, ईरान के सुरक्षा बलों के चीफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी समेत 20 टॉप सैन्य कमांडर मार गिराए गए। ईरान के 6 बड़े परमाणु वैज्ञानिकों की भी मौत हो गई। नातांज, इशफान और फार्दो न्यूक्लियर सेंटर्स पर भी इस दिन हमला हुआ लेकिन सतह पर मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर ही डैमेज हो सका। पहली स्ट्राइक में ही ईरान में 50 से ज्यादा लोग मारे गए। (सोर्स: AP)
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कुछ घंटों के ब्रेक के बाद इजरायल ने दोबारा हमला किया। इसमें भी न्यूक्लियर सेंटर्स पर बमबारी हुई। तीन अन्य परमाणु वैज्ञानिक मारे गए, कुछ और मिलिट्री अफसर भी जद में आ गए। इसी के फौरन बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई की। युद्ध का दूसरा दिन शुरू हो चुका था। ईरान के ड्रोन्स और मिसाइलों की खेप इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर गिरने लगी। इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर को हवा में नष्ट कर दिया लेकिन इक्का दुक्का मिसाइल रिहायशी इलाकों में गिरी। इसमें लोग मारे गए। घायलों की संख्या ज्यादा रही। (सोर्स: AP)
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पहले और दूसरे दिन की इस जंग के बाद इजरायल के हमले उसी स्पीड से जारी रहे। जंग के पहले हफ्ते में इजरायल लगातार ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमले करता रहा। अराक, बुशहेर के न्यूक्लियर प्लांट पर भी हमले हुए। धीरे-धीरे इजरायल ने ईरान के ऑइल डिपो और एनर्जी प्लांट पर भी निशाना साधना शुरू किया। (सोर्स: AP)
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ईरान इस दौरान लगातार इजरायल पर एक के बाद एक बैलिस्टिक मिसाइलों की खेप छोड़ता रहा। शुरुआती हफ्ते में ही ईरान ने 300 से ज्यादा मिसाइलें इजरायल पर दाग दी थी। नतीजा यह हुआ कि इजरायल के पास एयर डिफेंस के लिए इंटरसेप्टर की कमी आने लगी। 15 से 20% मिसाइलें इजरायली एयर डिफेंस को चकमा देकर अलग-अलग शहरों में गिरने लगी। इजरायली नागरिक अपने-अपने घरों को छोड़कर शेल्टर होम में दिन और रात गुजारने लगे। (सोर्स: AP)
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इजरायल ने अपने हमले का दायरा बढ़ाया और ईरान स्थित बैलिस्टिक मिसाइलों के कारखानों और लान्चर्स को निशाना बनाना शुरू किया। इसी के साथ इजरायल ने ईरान के एयर डिफेंस को भी एक-एक कर तबाह करना शुरू कर दिया। पहले हफ्ते में ही इजरायल ने ईरान के राडार सिस्टम सहित एयर डिफेंस के अन्य माध्यमों को खत्म कर दिया था। नतीजा यह हुआ कि ईरान अपनी ओर आ रही मिसाइलों को भेदने में सक्षम नहीं रहा। (सोर्स: Getty)
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दूसरे हफ्ते में इजरायल ने ईरान के एयर बेस को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया। इजरायली विमान आसानी से ईरान के हवाई इलाके में बिना किसी खौफ के घुमने लगे। उधर, ईरान लगातार इजरायली शहरों को निशाना बनाता रहा। उसकी मिसाइलें इजरायल की खूफिया एजेंसी मोसाद के ऑफिस से लेकर अमेरिकी एंबेसी तक गिरने लगी। इस दौरान ईरान और इजरायल दोनों देशों में मौत और घायलों की संख्या भी लगातार बढ़ती रही। (सोर्स: AP)
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इजरायल ने इस युद्ध में ईरान की टॉप लीडरशिप से लेकर सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया लेकिन वह न्यूक्लियर फैसिलिटी को तबाह नहीं कर पाया। ऐसे में अमेरिका ने उसकी मदद की। युद्द के 10वें दिन यूएस B-2 बॉम्बर ने पहाड़ों के नीचे बने ईरान के न्यूक्लियर सेंटर फार्दो पर बंकर बस्टर बम गिराए और इशफाहन, नातांज में क्रूज मिसाइलों से हमला किया। हालांकि इन तीनों सेंटर्स पर कितना नुकसान हुआ, इसका कैलकुलेशन अभी नहीं हो पाया है। (सोर्स: AP)
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अमेरिका के इस जंग में कूदने से बवाल मचा। अमेरिकी ही ट्रंप के इस फैसले का विरोध करने लगे। इसी बीच अगले दिन ईरान ने कतर और ईराक स्थित अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर हमला बोला। उसने कई मिसाइल दागी लेकिन अमेरिकी एयर डिफेंस ने यह हमला नाकाम कर दिया।
ईरान के अमेरिकी सैन्य बेस पर हमले के फौरन बाद इजरायल ने ईरान पर बड़ा हमला बोला और ईरान ने भी बैक टू बैक इजरायल पर मिसाइल दागी। इसके ठीक बाद अचानक ट्रंप ने इस युद्ध के खत्म होने का ऐलान किया। उनके बाद ईरान और इजरायल ने भी सीजफायर का ऐलान कर दिया। कतर की पहल से यह समझौता हुआ। (सोर्स: Getty)
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वाशिंगटन स्थित ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट संस्था के मुताबिक, 12 दिन के इस युद्ध में ईरान में 974 लोगों की मौत हुई और 3458 लोग घायल हुए। मरने वालों में सैनिकों की संख्या 300 तक आंकी जा रही है। उधर इजरायल में 28 लोग मारे गए और एक हजार से ज्यादा घायल हुए। (सोर्स: AP)
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इस युद्ध में मौतों की संख्या तो सीमित रही लेकिन ईरान को डिफेंस में बड़ा नुकसान पहुंचा। उसके एयर बेस, राडार सिस्टम, एयर डिफेंस, फाइटर जेट, मिसाइल लॉन्चर बड़े स्तर पर तबाह हुए। परमाणु वैज्ञानिकों और टॉप सैन्य कमांडरों की मौत से उसका मनोबल भी टूटा। एक खास बात यह भी कि अमेरिकी बमबारी के बाद उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी चाहे तबाह न हुई हो लेकिन वह इतनी डैमेज जरूर हो गई है कि अगले कुछ सालों तक ईरान परमाणु बम बनाने पर विचार नहीं कर सकता। यह युद्ध इजरायल की आंशिक जीत कहा जाएगा लेकिन उसे भी भारी नुकसान हुआ है। बीते दो हफ्तों से वहां सब कुछ ठप पड़ा हुआ है। लोगों ने बंकरों में दिन गुजारे हैं। कई इमारतें खंडहर में बदल चुकी हैं। (सोर्स: AP)