पुश्तैनी घर को म्यूजियम बनते देखना चाहते थे दिलीप कुमार, अधूरी रह गई इच्छा

दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का आज निधन हो गया। दिलीप कुमार अपनी पुश्तैनी हवेली को म्यूजियम बनते देखना चाहते थे, लेकिन उनकी ये ख्वाहिश अधूरी रह गई।
पुश्तैनी घर को म्यूजियम बनते देखना चाहते थे दिलीप कुमार
पुश्तैनी घर को म्यूजियम बनते देखना चाहते थे दिलीप कुमारSocial Media

दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का आज निधन हो गया। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर है। दिलीप कुमार के फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स सोशल मीडिया के जरिए दिलीप कुमार को श्रद्धांजलि दे रहें हैं। दिलीप कुमार बचपन में पाकिस्तान में रहा करते थे। इसके बाद वो भारत आए थे। पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली आज भी वहां के रिहायशी इलाके किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित हैं। दिलीप कुमार चाहते थे कि, इस हवेली को म्यूजियम में बदल दिया जाए, ताकि उनके पुरखों की यादों को संभालकर रखा जा सके। मगर आज अंतिम सांस के साथ ही यह ख्वाहिश भी मन में दबी रह गई।

100 साल से भी ज्यादा पुराना है पुश्तैनी घर:

बता दें कि, दिलीप कुमार का 100 साल से भी ज्यादा पुराना पुश्तैनी घर पाकिस्तान प्रांत के ख्वानी बाजार क्षेत्र में स्थित है। मगर पाकिस्तान सरकार और मौजूदा मालिक के बीच में उलझा रह गया। पुश्तैनी हवेलियों पर औपचारिक संरक्षण की प्रक्रिया चल रही है।

खैबर पख्तूनख्वाह प्रोविंशियल सरकार ने इसकी पहल की थी, ताकि यहां म्यूजियम बनाया जा सके। मौजूदा मालिकों को इस काम के लिए 18 मई तक का समय दिया था। लेकिन अफसोस दिलीप साहब हवेली के सुधरने से पहली ही दुनिया छोड़कर चले गए। दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली और कपूर हवेली आस-पास ही हैं। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन से पहले राज कपूर और दिलीप कुमार ने इन इमारतों में अपने जीवन का शुरूआती हिस्सा गुजारा है।

पाकिस्तान सरकार घोषित किया राष्ट्रीय धरोहर:

साल 2014 में नवाज शरीफ सरकार के समय उनके घर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया था। उनकी पुश्तैनी हवेली को औपचारिक संरक्षण देने की प्रक्रिया चल ही रही थी, लेकिन उससे पहले ही दिलीप साहब इस दुनिया को अलविदा कह गए। अपने पुश्तैनी घर से दिलीप कुमार की ढेर सारी यादें जुड़ी थीं, जिसका जिक्र उन्होंने अपने आत्मकथा 'द सबस्टांस एंड द शैडो' में किया था।

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