पद्म भूषण पंडित राजन मिश्रा का कोरोना से निधन, PM मोदी ने जताया दुख

पद्मभूषण राजन साजन मिश्र की जोड़ी टूट गई है। शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित राजन मिश्र का कोरोना की वजह से निधन हो गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिल सका।
पद्म भूषण पंडित राजन मिश्रा का कोरोना से निधन
पद्म भूषण पंडित राजन मिश्रा का कोरोना से निधनSocial Media

पद्मभूषण राजन साजन मिश्र की जोड़ी टूट गई है। शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित राजन मिश्र का कोरोना की वजह से निधन हो गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिल सका। करीब 6:30 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली। दुनिया भर में मौजूद तमाम प्रशंसक इस समय शोक में डूब गए हैं और इस महान हस्ति को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

परिजनों ने बताया कि, किडनी की समस्या होने पर राजन मिश्र का डायलिसिस किया गया। उन्हें रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ा, जिसके चलते उनकी तबीयत बिगड़ गई। आनन-फानन में डॉक्टरों को उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा, लेकिन अस्पताल में एक भी वेंटिलेटर खाली नहीं था। यहां मौजूद सभी छह वेंटिलेटर पर मरीज पहले से ही भर्ती थे। डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि, मरीज को तत्काल वेंटिलेटर की जरूरत है, लेकिन उनके यहां उपलब्ध नहीं है। लेकिन जब सेंट स्टीफन हॉस्पिटल में समय रहते वेंटिलेटर नहीं मिला, तो पंडित जी को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

नरेंद्र मोदी ने जताया दुख:

पंडित राजन मिश्र के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जाहिर किया है। ट्वीट कर लिखा है, "शास्त्रीय गायन की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पंडित राजन मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। बनारस घराने से जुड़े मिश्र जी का जाना कला और संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!"

बनारस में हुआ जन्म:

पंडित राजन मिश्र की बात करें, तो उनका जन्म बनारस के शास्त्रीय संगीत घराने में हुआ था। वहीं अपने शुरुआती जीवन में उन्हें पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र से तालीम मिली थी। दोनों भाइयों ने अपनी साधना और आपसी तालमेल से जुगलबंदी का ऐसा समां बांधा कि, दुनिया दीवानी हो गई। उन्हीं की वजह से युवा पीढ़ी भी शास्त्रीय संगीत की मुरीद हो गई।

पद्म भूषण से हुए सम्मानित:

राजन मिश्रा भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। इन्हें सन 2007 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत कार्यक्रम दिया और इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसएसआर, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश समेत दुनिया भर के कई देशों में प्रदर्शन किया।

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