Daket of Dholpur Review
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डकैतों के ख़िलाफ़ किसानों के सशस्त्र संघर्ष की सशक्त दास्तां है 'डकैत ऑफ़ धौलपुर

किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएं, तो आख़िरकार उन बेबस किसानों के पास क्या चारा बच जाता है? इसी कहानी को सशक्त अंदाज़ में पेश किया गया है फ़िल्न 'डैकत ऑफ़ धौलपुर' में।
डकैत ऑफ धौलपुर(4 / 5)

कलाकार : मनोज चतुर्वेदी, राधा अजमेरा, संतोष याग्निक, सुधीर शुक्ला

लेखन और निर्माण : मनोज चतुर्वेदी

निर्देशक : अफ़ज़ल ख़ान

संगीतकार : लोकेश कुशवा और हरीश शर्मा

Daket of Dholpur Review : ये सर्वविदित है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान‌ इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं जिनके बगैर देश के लिए न तो खड़ा होना मुमकिन है और न ही इस मुल्क के तमाम लोगों का पेट भरना भी संभव है। लेकिन जब अपना ख़ून-पसीना बहाकर खेती करने वाले किसान के साथ अत्याचार होने लगे, डकैतों द्वारा उनके ज़मीनों को हथिया लिया जाए और उनके परिजनों को मौत के घाट उतारा जाने लगे और ऐसे में किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएं, तो आख़िरकार उन बेबस किसानों के पास क्या चारा बच जाता है? इसी कहानी को सशक्त अंदाज़ में पेश किया गया है फ़िल्न 'डैकत ऑफ़ धौलपुर' में।

किसानों पर डकैतों के ज़ुल्म और आतंक की भयावह दास्तां को बयां करती फ़िल्म 'डकैत ऑफ़ धौलपुर' में दिखाया गया है कि कैसे जब डकैतों का मासूम किसानों पर अत्याचार हद से बढ़ जाता है तो किसान भी अपना आपा खो बैठते हैं और फिर कृषि से जुड़े उपकरणों को छोड़कर हाथों में हथियार उठा लेते हैं और ख़ूंखार डकैतों से अपने घरों और ज़मीन को बचाने के लिए सशस्त्र संघर्ष करते हैं।

फ़िल्मों में डकैती की थीम को कई बार अलग अलग तरीके से एक्सप्लोर किया गया है, मगर 'डकैती ऑफ़ धौलपुर' उन सभी फ़िल्मों से इसलिए अलग है क्योंकि इसमें डकैतों द्वारा किसानों पर होने वाले ज़ुल्म और फिर उनके द्वारा बदला लेने की कहानी को बड़े ही मार्मिक और संजीदा अंदाज़ में पेश किया गया है।

'डकैत ऑफ़ धौलपुर' का निर्माण करने वाले मनोज चतुर्वेदी ने ही इस फ़िल्म की कहानी भी लिखी है जिसके ज़रिए उन्होंने डकैतों के लिए मशहूर इलाके धौलपुर के किसानों के दर्द को शिद्दत से पेश करने की कोशिश की है। मनोज चतुर्वेदी ने इस फ़िल्म में एक हीरो के तौर पर प्रमुख भूमिका भी निभाई है और अपनी अदकारी से फ़िल्म में जान डाल दी है। फ़िल्म की हीरोइन राधा अजमेरा ने भी कमाल का काम किया है तो वहीं विलेन के रूप में संतोष याग्निक और सुधीर शुक्ला का ख़ूंखार अंदाज़ भी देखते ही बनता है।

अफ़ज़ल खान के निर्देशन में बनी 'डकैत ऑफ़ धौलपुर' एक्शन और रोमांच से भरपूर फ़िल्म है जिसे एक अंदाज़ रोचक अंदाज़ में निर्देशक ने बड़े पर्दे पर पेश किया है। फ़िल्म को देखते हुए आप एक पल के लिए पर्दे से अपनी नज़रें नहीं हटा पाएंगे। दिनेश परिहार के अर्थपूर्ण गीत और लोकेश कुशवाह व हरीश शर्मा का सुमधुर संगीत इस फ़िल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हुए कानों को सुकून पहुंचाते हैं।

डकैतों द्वारा किये जाने वाले बेहिसाब ज़ुल्म और मासूम किसानों के बीच सशस्त्र संघर्ष की दास्तां 'डकैत ऑफ़ धौलपुर' महाशिवरात्रि के मौके पर यानी 08 मार्च को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है। यह एक ऐसी जानदार फ़िल्म है जिसे हर हाल में बड़े पर्दे पर और कम से कम एक बार ज़रूर देखना चाहिए।

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