117 लोगों ने पत्र लिख की यह मांग
117 लोगों ने पत्र लिख की यह मांगSocial Media

नूपुर शर्मा पर SC के जजों की तीखी टिप्पणियों के खिलाफ 117 लोगों ने पत्र लिख की यह मांग

नूपुर शर्मा द्वारा दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की तीखी टिप्पणियों के खिलाफ 117 लोगों ने खुला पत्र लिखा और की यह मांग।

दिल्ली, भारत। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर चर्चा में आई नूपुर शर्मा द्वारा दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की तीखी टिप्पणियों के खिलाफ 117 लोगों ने खुला पत्र लिखा है।

जजों ने टिप्पणियों के जरिए लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया है :

इन 117 लोगों में 15 पूर्व जज, 77 पूर्व नौकरशाह और 25 पूर्व सैन्य अफसर शामिल हैं और इस दौरान पत्र में कहा गया है कि, "सुप्रीम कोर्ट के जजों ने टिप्पणियों के जरिए लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया है। हम जागरूक नागरिक के तौर पर मानते हैं कि देश का लोकतंत्र तभी पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है, जब देश के सभी संस्थान संविधान के दायरे में रहकर ही काम करें।"

इतना ही नहीं पत्र में आगे यह भी कहा गया है कि, ''सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा लांघी है और हमें खुला पत्र लिखने के लिए मजबूर किया है। जो दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां की गई हैं, वे भारत की न्यायिक व्यवस्था पर एक अमिट दाग की तरह हैं।"

इस दौरान पत्र में मांग की गई है कि, इस पर तत्काल सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए। इसका लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर असर देखने को मिल सकता है। देश की कई हस्तियों की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि न्यायपालिका के इतिहास में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों का कोई दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलता है।

पूर्व जजों समेत कई हस्तियों के खुले पत्र में कहा गया, ''दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित टिप्पणियों से देश और दुनिया में बहुत से लोगों को सदमा सा लगा है। न्यूज चैनलों पर जजों की जिन टिप्पणियों पर खबरें चलीं, वह जजमेंट का हिस्सा ही नहीं थे। ऐसे में इन टिप्पणियों ने न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं। ऐसा कोई और उदाहरण देश के न्यायिक इतिहास में देखने को नहीं मिलता है।''

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