Bank Strike: हड़ताल दो दिन, बंद रहेंगे चार दिन, नफा-नुकसान पर RE की पड़ताल

दो दिन की घोषित हड़ताल परिणित होती है तो इसका असर चार दिन तक बैंकों के कामकाज पर पड़ेगा, क्योंकि कुल चार दिन तक बैंकों में ताला लटका रहेगा।
दो दिन हड़ताल की स्थिति में बैंकों में चार दिन लटका रहेगा ताला।
दो दिन हड़ताल की स्थिति में बैंकों में चार दिन लटका रहेगा ताला।Syed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स –

  • बैंकों में दो दिनों तक हड़ताल

  • जानिए कब चार दिन बैंक रहेंगे बंद

  • पिछली-अगली हड़ताल पर RE की पड़ताल

राज एक्सप्रेस। बैंक संगठनों ने सदस्यों की मांगों पर ध्यान आकृष्ट कराने के लिये अगले मार्च महीने में दो दिनों की हड़ताल का निर्णय लिया है। आपको बता दें संगठनों ने आह्वान तो दो दिनों की स्ट्राइक का किया है लेकिन हड़ताल की स्थिति में बैंक चार दिन बंद रहेंगे। पिछली हड़तालों के नफा-नुकसान पर राज एक्सप्रेस (RE) की पड़ताल।

UFBU ने की घोषणा -

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) ने अगले महीने मार्च में दो दिनों की हड़ताल (Strike) करने का आह्वान किया है। सनद रहे UFBU बैंक कर्मचारियों के प्रमुख नौ संगठनों की शीर्ष निकाय है। मतलब बैंक स्ट्राइक के इस आह्वान को बैंक से जुड़े लगभग सभी संगठनों की सहमति प्राप्त है।

चार दिन ताला! -

यदि दो दिन की घोषित हड़ताल परिणित होती है तो इसका असर चार दिन तक बैंकों के कामकाज पर पड़ेगा। दरअसल हड़ताल के कारण लगातार चार दिन तक बैंकों में ताला लटका रहेगा। घोषित हड़ताल मार्च महीने के मध्य में पड़ने वाली है।

अवकाशों का पेंच -

मार्च महीने के मध्य में 15 मार्च से घोषित दो दिन की हड़ताल में 15 मार्च को सोमवार और 16 मार्च को मंगलवार रहेगा। इसके पहले 13 और 14 मार्च की स्थिति में 13 मार्च को महीने के दूसरे शनिवार का अवकाश और फिर 14 मार्च को रविवार का साप्ताहिक अवकाश रहेगा।

हड़ताल का कारण -

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में दो दिन (Two days of strike in banks) के लिये स्ट्राइक कॉल की है। इस हड़ताल का फैसला मंगलवार को आयोजित बैठक में लिया गया।

UFBU की मंगलवार को हुई बैठक में बैंकों के निजीकरण के सरकार के निर्णय का विरोध करने का फैसला किया गया है।

सीएच वेंकटचलम, महासचिव, ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसएिशन (AIBEA)

महासचिव ने कहा, ‘‘बैठक में केंद्र सरकार के बजट में बैंकों में सुधारों के बारे में घोषित घोषणाओं से जुड़े अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई। आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) एवं सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण, एलआईसी में विनिवेश, एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण, बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक एफडीआई (FDI) की स्वीकृति के साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी की बिक्री जैसी घोषणाओं पर बैठक में चर्चा केंद्रित थी।’’

UFBU ने बजट में बताये गये उपायों को कर्मचारियों के हितों के विरुद्ध मानकर इसका विरोध करने के लिए हड़ताल का आह्वान किया है। हड़ताल के समर्थन में एआईबीओसी (AIBOC) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि विचार-विमर्श के बाद सरकार के निर्णय के खिलाफ हड़ताल का निर्णय लिया गया है।

सुगबुगाहट इसलिए -

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में प्रस्तुत आम बजट के दौरान अपने बजट भाषण में विनिवेश कार्यक्रम (Disinvestment Programme) के मद्देनजर सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।

इससे पहले सरकार साल 2019 में आईडीबीआई बैंक में अपनी बहुलाभांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर उसका निजीकरण कर चुकी है। साथ ही पिछले चार सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों के विलय के कारण भी बैंक संगठन लामबंद होते नजर आ रहे हैं।

यूएफबीयू के सदस्य संगठन -

यूएफबीयू की मेंबर लिस्ट में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसिशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (AIBOC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉयज (NCBE), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) और बैंक एम्प्लॉयज कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया जैसे संगठनों के नाम दर्ज हैं।

अन्य में इंडियन नेशनल बैंक एम्प्लॉयज फेडरेशन (INBEF), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (INBOC), नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (NOBW) और नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (NOBO) भी इसमें शामिल हैं।

साल की पहली हड़ताल -

वैसे हड़ताल अभी हुई नहीं है उसका आह्वान हुआ है। मार्च में प्रस्तावित हड़ताल के वास्तव में परिणित होने की स्थिति में यह हड़ताल मौजूदा वर्ष 2021 के साथ ही नए दशक में भारत के बैंकिंग इतिहास की पहली बृहद हड़ताल होगी।

पिछली हड़तालों की पड़ताल –

इस साल प्रस्तावित हड़ताल में शामिल मुद्दों में से कुछ मुद्दे पिछली हड़तालों का विषय रह चुके हैं। राज एक्सप्रेस (RE) पर जानिये पिछली हड़तालों के मुद्दे और बैंक स्ट्राइक से देश के कामकाज पर कितना असर पड़ा।

22 हजार करोड़ की हानि -

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2017 में सरकारी बैंकों की एक दिन की हड़ताल का बड़ा असर देखने को मिला। एक दिवसीय बैंक हड़ताल से 22 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ। हड़ताल के कारण तमाम ATM चंद मिनटों में खाली हो गये।

वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने सरकार के प्रस्तावित कंसालिडेशन मूव यानी समेकन प्रयास के अलावा अन्य मांगों के समर्थन में 22 अगस्त को एक दिवसीय हड़ताल का फैसला किया था।

इतना व्यापक असर -

हड़ताल की वजह से भारत के अधिकांश हिस्सों के सरकारी बैंकों में चेक क्लियरेंस, मनी ट्रांसफर, कैश रैमिटेंस और डिपॉजिट के अलावा आहरण जैसी बैंकिंग सेवाएं बाधित रहीं।

कुछ प्राइवेट बैंकों में भी कमोबेश यही स्थिति रही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ चेक क्लियरेंस के कारण ही बैंकिंग सेक्टर को 22,000 करोड़ की चपत एक दिन की हड़ताल से लगी।

निजी बैंकों जैसे ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक की शाखाओं में काम चलने से आम जनता को हालांकि कुछ राहत रही।

2018 में दो दिन -

वर्ष 2018 में बैंकों की दो दिनी हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। बैंकिंग हड़ताल से पूरे भारत में सेवाएं प्रभावित हुईं। सरकारी बैंकों की हड़ताल के अलावा निजी बैंकिंग सेवाएं जारी रहने से लोगों की परेशानी कम थी।

भारतीय बैंक एसोसिएशन (IBA) द्वारा 30 मई 2018 को प्रस्तावित अल्प वेतन वृद्धि के विरोध में 10 लाख कर्मचारियों के दो दिवसीय हड़ताल में शामिल होने से बैंकिंग कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ा।

हड़ताल को पुरानी पीढ़ी के कुछ निजी बैंकों के साथ विदेशी बैंकों के कर्मचारियों का भी समर्थन हासिल था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक हड़ताल के दौरान मात्र 25 फीसद शाखाओं में कामकाज हुआ।

हड़ताल की तारीख -

चूंकि यह हड़ताल महीने के अंत में थी, इसलिए बैंक शाखाओं से वेतन निकासी कार्य प्रभावित हुआ। कुछ एटीएम की झोली शाम तक ही खाली हो गई। हड़ताल की वजह से जमा, एफडी नवीनीकरण, सरकारी खजाने और मुद्रा बाजार के संचालन जैसे कामकाज भी प्रभावित हुए।

एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की 4,000 बैंक शाखाओं के 25 हजार कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के कारण तकरीबन 30 लाख करोड़ रुपये के कारोबार पर असर पड़ा।

21,700 करोड़ का लेन-देन प्रभावित -

एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में लगभग 21,700 करोड़ रुपये के बैंकिंग लेनदेन पर असर पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि 30 मई बुधवार को 10 लाख से अधिक बैंकर्स वेतन समीक्षा की मांग के समर्थन में हड़ताल में शामिल हुए।

2019 दो दिवसीय हड़ताल

साल 2019 में 8 और 9 जनवरी को हड़ताल का आह्वान किया गया था। बैंक ऑफ बड़ौदा को दो अन्य पीएसयू बैंकों देना बैंक और विजया बैंक के साथ मिलाने के विरोध में बैंक यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया था।

आपको बता दें इसके पहले 21 और 26 दिसंबर को, बैंक कर्मचारियों ने वेतन संशोधन और बैंक विलय योजना को रद्द करने की मांग के साथ दो दिवसीय हड़ताल की थी। हड़ताल से देश भर में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं।

2020 में घाटा -

मीडिया रिपोर्ट्स में उल्लेख के मुताबिक अधिक वेतन की मांग पर अड़े बैंक कर्मचारियों ने मार्च में 3 दिनों तक हड़ताल का आह्वान किया था। इस दौरान प्रस्तावित हड़ताल से 45,000 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान रिपोर्ट्स में आंका गया था।

मीडिया रिपोर्ट कहती हैं कि, इसके पहले 8 जनवरी को की गई अखिल भारतीय हड़ताल को कई श्रमिक संघों का भी समर्थन हासिल था। इस दौरान बैंक कर्मचारियों ने 31 जनवरी और 1 फरवरी के बीच काम न करने का फैसला किया था। जो कि बजट दिवस भी था।

नुकसान की गणना -

इस साल बैंकों की हड़ताल से करदाताओं और बैंकों को प्रत्येक हड़ताल दिवस 15,000 करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन एक्सपर्ट्स ने किया।

एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 में, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन ने 2-दिवसीय बैंकिंग हड़ताल के परिणाम स्वरूप 30,000 करोड़ रुपये के नुकसान की गणना की। इस मान से तीन दिन की हड़ताल से कुल 45 हजार करोड़ रुपयों के नुकसान का आंकलन किया गया।

2021 में संभावित नुकसान –

देश में आगामी महीने आह्वान की गई दो दिवसीय हड़ताल पर कर्मचारी संगठन पदाधिकारियों के साथ ही व्यापार जगत से जुड़ी बॉडीज से भी हमने उनके विचार जानने चाहे। जानिये किसने क्या कहा-

हड़ताल से मध्य प्रदेश में 7000 जबकि भारत में एक लाख से अधिक शाखाओं में काम प्रभावित होगा। एक अनुमान के तौर पर हड़ताल से 250 लाख करोड के बैंकिंग कारोबार पर असर पड़ने की संभावना है।

- वीके शर्मा, समन्वयक, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU), जनरल सेक्रेटरी, मप्र. बैंक एम्प्लॉई एसोसिएशन

सरकार बैंकों एवं पब्लिक सेक्टर का निजीकरण कर रही है। अच्छी परफॉर्मेंस वाले सेक्टर्स पर सरकारी कुल्हाणी चलना चिंताजनक है। सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध जरूरी है। प्राइवेट सेक्टर बैंक का प्रदर्शन किसी से छिपा नहीं है। स्टेट बैंक ने यदि यस बैंक को सहारा न दिया होता तो यस बैंक की क्या हालत होती यह सर्वविदित है।

- विजय मिश्रा, डिप्टी जनरल सेक्रेटरी, SBI, OA, जबलपुर

व्यापार जगत की राय जुदा -

इस बारे में व्यापार और व्यापारियों के हित संवर्धन और उसकी रक्षा के लिए बनाए गए संगठनों की राय जरा जुदा है। उन्होंने इस हड़ताल को औचित्यहीन बताया है।

“सरकार ने सारे सरकारी/निजी कामकाज को बैंक से कराना अनिवार्य किया है। अब जब बैंक बंद होगा तो समझिये सारा व्यापार बंद, फिर नुकसान समझा जा सकता है। हमारा कहना है कि जितनी सुविधाएं बैंक कर्मियों को मिली हैं उस लिहाज से यह हड़ताल कोरोना जैसी समस्या के बीच समझ नहीं आती।”

- रवि गुप्ता, अध्यक्ष, महाकौशल चैंबर ऑफ कॉमर्स, जबलपुर, मध्य प्रदेश

एक सवाल के जवाब में वे कहते हैं। यदि निजी बैंक स्ट्राइक में शामिल नहीं भी होते हैं तो उसका उतना असर नहीं पड़ेगा क्योंकि बिजनेस संबधी अधिकांश खातों के लेनदेन हड़ताल में शामिल होने वाले बड़े बैंकों से ही होते हैं।

कोरोना जनित परिस्थितियों में कमजोर हुई अर्थव्यवस्था के सामने बैंक कर्मचारियों की आगामी हड़ताल एक तरह से सरकार की अग्नि परीक्षा होगी। दरअसल दो दिन की घोषित हड़ताल परिणित होती है तो इसका असर चार दिन तक बैंकों के कामकाज पर पड़ेगा, क्योंकि कुल चार दिन तक बैंकों में ताला लटका रहेगा।

डिस्क्लेमरआर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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